ग्वालियर नगर निगम का जीपीएस दुरुस्त न निगरानी ?
ग्वालियर नगर निगम का जीपीएस दुरुस्त न निगरानी
दो वर्ष पूर्व नगर निगम ने जीपीएस की निगरानी की व्यवस्था जनता के हाथ सौंपने की कवायद की थी। इसमें वार्ड में चलने वाले वाहनों की स्थिति लोग स्वयं देख सकें, इसके लिए साफ्टवेयर डेवलप करने की तैयारी की गई थी, लेकिन बाद में सारी प्रक्रिया फाइलों में कैद होकर रह गई।
- टिपर और सेकंडरी वेस्ट वाहनों की नहीं हो पा रही है निगरानी, फैल रहा कचरा
- एआइ के जमाने में नगर निगम नहीं ले पा रहा तकनीक का सहारा
- जीपीएस का साफ्टवेयर डेवलप करने की तैयारी भी फाइलों में कैद
ग्वालियर: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) के जमाने में नगर निगम अब भी तकनीक के मामले में पिछड़ा हुआ है। शहर में डोर-टू-डोर कचरा प्रबंधन के लिए चलने वाले टिपर वाहनों और सेकंडरी वेस्ट वाहनों की निगरानी के लिए निगम ने जीपीएस की व्यवस्था की है, लेकिन यह सिर्फ दिखावे की साबित हो रही है। जीपीएस पर वाहनों के रूट और उनकी स्थिति तो नजर आती है, लेकिन निगरानी के नाम पर खानापूर्ति की जाती है।
दो वर्ष पूर्व नगर निगम ने जीपीएस की निगरानी की व्यवस्था जनता के हाथ सौंपने की कवायद की थी। इसमें वार्ड में चलने वाले वाहनों की स्थिति लोग स्वयं देख सकें, इसके लिए साफ्टवेयर डेवलप करने की तैयारी की गई थी, लेकिन बाद में सारी प्रक्रिया फाइलों में कैद होकर रह गई। यदि निगम द्वारा ऐसा मोबाइल एप डेवलप करा लिया जाए, तो जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित हो सकेगी और शिकायतों की संख्या भी घट जाएगी।
सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ चलाया अभियान
- नईदुनिया ने गत 20 सितंबर के अंक में च्सिंगल यूज प्लास्टिक का धड़ल्ले से उपयोगज् शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मुद्दा उठाया था। इसके बाद शनिवार को निगम के अमले ने अमानक पालीथिन के खिलाफ अभियान चलाया। इस दौरान 170 किलो से अधिक पालीथिन जब्त तक 1.11 लाख से अधिक का जुर्माना वसूल किया गया। जब्त की गई सभी सिंगल यूज प्लास्टिक को नष्ट कर दिया गया।
- निगम के अमले ने ग्वालियर पूर्व विधानसभा के अंतर्गत वार्ड 21, 24, 28, 45 और 57 में 10 किलो से अधिक पालीथिन जब्त कर 37 हजार 400 रुपये का जुर्माना वसूला। दक्षिण विधानसभा में सबसे ज्यादा 130 किलो अमानक पालीथिन जब्त की गई और 53 हजार 600 वसूले गए। ग्वालियर विधानसभा में 15 किलो पालीथिन जब्त तक 11 हजार 750 रुपये व ग्रामीण विधानसभा में आठ हजार 600 का जुर्माना किया गया।
रिपोर्ट में सिर्फ वाहन चलने और बंद होने की जानकारी
नगर निगम द्वारा स्मार्ट सिटी के कंट्रोल कमांड सेंटर में जीपीएस निगरानी की व्यवस्था की गई है। यहां बाकायदा निजी कंपनी के कर्मचारी बैठकर निगरानी करते हैं, लेकिन शाम के समय जो रिपोर्ट आती है उसमें यह जानकारी होती है कि वाहन कितना चला और उसने कितने चक्कर लगाए। कोई वाहन अगर गलत रूट पर चल रहा है या फिर बिना कचरा संग्रहित किए वार्ड में घूम रहा है, उसकी कोई रोक-टोक की व्यवस्था नहीं है। ना ही रिपोर्ट में उल्लेख रहता है कि कितने वाहनों ने तय रूट का उल्लंघन किया।
निगरानी को और मजबूत करेंगे
जीपीएस निगरानी को सुधारने के लिए निगमायुक्त ने पिछले दिनों निर्देश दिए थे। अब खामियों को दूर करने के साथ ही सर्वेक्षण से पहले निगरानी की व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा।
जनसंपर्क अधिकारी नगर निगम