यूपी PWD घोटाले में प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, 102 अधिशासी अभियंता दोषी करार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में सामने आए घोटाले के बाद योगी सरकार ने कार्रवाई करते हुए 102 अधिसी अभियंताओं को दोषी ठहराया है. इन अफसरों पर मनमाने ढंग से बजट खर्च करने का आरोप है. प्रशासन ने इनमें से 89 अभियंताओं की एक इन्क्रीमेंट रोकने का निर्णय लिया है.

जबकि एक करोड़ रुपये से अधिक राशि मनमाने ढंग से दूसरे मद में खर्च करने वाले 7 अभियंताओं को बड़ा दंड देने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है. आपको बता दें कि पिछले दिनों यूपी पीडब्ल्यूडी की एक गपनीय जांच में वर्ष 2017-18 और 2018-19 में बस्ती और देवरिया में 300 से ज्यादा सड़कों के निर्माण में यह घोटाला सामने आया था. यह जांच मुख्यमंत्री के आदेश पर की गई थी और इसकी रिपोर्ट भी उन्हें सौंप दी गई थी.

क्या है पीडब्ल्यूडी घोटाले का पूरा मामला?
साल 2017-18 और 2018-19 में शासन की ओर से बस्ती जिले में 300 से ज्यादा सड़कों के निर्माण के लिए धनराशि दी गई थी. जब मौके पर काम नहीं हुआ तो स्थानीय विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की थी. प्रारंभिक जांच में पीडब्ल्यूडी के अधीन आने वाले प्रांतीय खंड में गड़बड़ियां मिलीं.

बस्ती जिला मुख्यालय ने अधीक्षण अभियंता शशि भूषण की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय जांच टीम का गठन किया. इस टीम ने अपनी जांच में करीब 40 करोड़ का फंड डायवर्न बताया और धनराशि के बड़े हिस्से के गबन की आशंका भी जताई. इसके बाद मामले की विस्तृत जांच पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता को सौंपी गई.

करीब 300 सड़कों का निर्माण दिखाया गया
इसके बाद प्रमुख अभियंता की टीम ने मामले की गोपनीय जांच शुरू की. इस टीम की ओर से शासन को भेजी गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि बस्ती में बड़े पैमाने पर धनराशि का एक मद से दूसरे मद में डायवर्जन किया गया. इसके लिए एक्सईएन आलोक रमण को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया है कि उन्होंने उन सड़कों पर भी फंड डायवर्ट दिखाया,​ जिनपर किसी स्तर से भी काम स्वीकृत ही नहीं थे.

दोषी करार दिए गए उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर बस्ती और देवरिया जिले में कागजों पर ही 300 सड़कें बनाकर करोड़ों का भुगतान कराने का आरोप है. अधिकारियों ने मिलीभगत करके सौंदर्यीकरण और पैच वर्क के नाम पर राज्य कोष को लगभग 50 करोड़ रुपये का चूना लगाया.

सौंदर्यीकरण और पैच वर्क के नाम पर घोटाला
बस्ती में करीब 40 करोड़ की धनराशि का एक मद से दूसरे मद में डायवर्जन किया गया, नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता है. साथ ही देवरिया में रोड सेफ्टी और स्पीड ब्रेकर के लिए 10 करोड़ शासन की ओर से दिया गया था, लेकिन फंड दूसरे मद में खर्च कर दिया गया. अधिकारियों की ओर से 600 फर्जी सप्पलाई ऑर्डर बनाकर 6 करोड़ रुपये का भुगतान करा लिया गया. इतना ही नहीं, 10 करोड़ रुपये का खर्च ऐसे कामों पर दिखाए गए हैं, जो शासन से स्वीकृत ही नहीं थे.

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