दिल्ली में मुख्यमंत्री के बंगले का विवाद क्या है !
दिल्ली में मुख्यमंत्री के बंगले का विवाद क्या है, इस पर ताला क्यों लगा, आप-भाजपा क्या कह रहे?
Delhi CM Residence Controversy: दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व सरकारी आवास को सील करने पर आप-भाजपा आमने-सामने आ गए हैं। पीडब्ल्यूडी ने कहा कि आवास को सौंपने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। जहां भाजपा ने सीलिंग के फैसले को स्वागतयोग्य बताया है तो वहीं आप का आरोप है कि भाजपा इस आवास को किसी बड़े नेता को आवंटित करवाना चाहती है।
दिल्ली में एक बार फिर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने हैं। नया विवाद दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास से जुड़ा है। पिछले दिनों दिल्ली लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने बंगले को बंद कर दिया। पीडब्ल्यूडी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगला खाली करने के बाद यह किसी को आवंटित नहीं किया गया है। इसी आवास में मुख्यमंत्री आतिशी कुछ दिन पहले रहने आई थीं। अब आप ने आरोप लगाया है कि आतिशी से जबरन बंगला खाली कराया गया और उनका सामान हटा दिया गया। बीते दिन मुख्यमंत्री आतिशी की तस्वीरें सामने आईं जिसमें वो सामान के साथ अपने निजी आवास में काम करती नजर आईं।
भाजपा लगातार इस मुद्दे पर आप और दिल्ली सरकार पर हमलावर है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि संबंधित विभाग को चाबी सौंपे बिना आतिशी दोबारा बंगले में घुसने की कोशिश कर रही थीं। अब जनता के सामने ‘शीशमहल’ की सच्चाई सामने आएगी।
आइये जानते हैं कि दिल्ली सीएम के बंगले को लेकर विवाद क्या चल रहा है? दिल्ली के मुख्यमंत्री को बंगला कैसे मिलता है, इसकी प्रक्रिया क्या है? दिल्ली में इसको लेकर विवाद क्यों छिड़ा? आप क्या आरोप लगा रही? भाजपा ने इस मुद्दे पर क्या कह रही?
दिल्ली में मुख्यमंत्री के बंगले से जुड़ा विवाद बुधवार को एक बार फिर चर्चा में आ गया जब पीडब्ल्यूडी ने अरविंद केजरीवाल के पूर्व सरकारी आवास को सील कर दिया। हाल में यह बंगला इसलिए चर्चा में रहा क्योंकि भाजपा ने इसके नवीनीकरण में व्यापक भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और इसे ‘शीश महल’ की संज्ञा दी। अब जब पीडब्ल्यूडी ने आवास को सील किया तो कहा कि इसे सौंपने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। पीडब्ल्यूडी ने घर के गेट पर डबल लॉक लगा दिया है।हालांकि, आम आदमी पार्टी ने दावा किया है कि सीएम आतिशी को 6 फ्लैगस्टाफ रोड से बेदखल कर दिया गया और उनका सामान बाहर फेंक दिया गया। आतिशी 7 अक्तूबर को आधिकारिक तौर पर 6 फ्लैगस्टाफ रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में चली गईं, जहां पहले पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रहते थे। दूसरी ओर, आप सुप्रीमो केजरीवाल लुटियंस दिल्ली के फिरोज शाह रोड स्थित बंगले में चले गए हैं। यह आवास पंजाब से आप के राज्यसभा सदस्य अशोक मित्तल को आवंटित किया गया है।
इस विवाद के बीच पूर्व मुख्य सचिव आलोक सहगल ने कहा है कि दिल्ली में राज निवास (दिल्ली के उपराज्यपाल का निवास) को छोड़कर कोई भी आवास आधिकारिक तौर पर किसी भी विधायक के लिए निर्धारित नहीं है। सहगल ने एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में बताया कि जब कोई नया मंत्री पदभार ग्रहण करता है तो मंत्रिस्तरीय बंगलों का दोबारा आवंटन किया जाता है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि यही मकान अगले व्यक्ति को आवंटित किया जाएगा। सहगल ने कहा कि आवास आवंटित करने की प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं, जिसमें उचित आदेश और अवर सचिव या उप सचिव जैसे वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों द्वारा औपचारिक प्रमाणीकरण शामिल है। भले ही कोई मुख्यमंत्री हो, फिर भी आदेश पारित किया जाना चाहिए और उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि सरकारी नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति एक साथ दो सरकारी आवास नहीं रख सकता।
बुधवार शाम को पीडब्ल्यूडी ने अरविंद केजरीवाल के पूर्व सरकारी आवास को सील कर दिया। विभाग का कहना है कि सिविल लाइन स्थित 6 फ्लैग स्टाफ रोड आवास को पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खाली करने के बाद से किसी को आवंटित नहीं किया गया है। इसमें मौजूद सामान की सूची बनाने के बाद इसका आवंटन होगा। पीडब्ल्यूडी के अधिकारी बुधवार दोपहर सीएम आवास सील करने पहुंचे। उन्होंने बताया कि आवास खाली करने के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया। मुख्यमंत्री आतिशी के पास आवास की चाबियां तो थीं, पर उन्हें आवास आवंटित नहीं था। अधिकारियों ने सीएम से घर की चाबियां ले ली और गेट पर डबल लॉक लगा दिया। आवास को सील करने के साथ ही पीडब्ल्यूडी ने केजरीवाल को एक पत्र भेजकर उनसे दिल्ली के फ्लैगस्टाफ रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास की चाबियां सौंपने को कहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष सचिव प्रवेश रंजन झा को लिखे पत्र में पीडब्ल्यूडी ने कहा कि 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास की चाबियां उन्हें वापस नहीं की गईं। पत्र में कहा गया, ‘6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित मकान की चाबियां पीडब्ल्यूडी को सौंप दी गई थीं, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें वापस ले लिया गया, ताकि उन्हें सौंपने की प्रक्रिया पूरी की जा सके।’
पीडब्ल्यूडी ने कहा कि बीते रविवार को अधिकारियों के आवास पर जाने के बाद भी चाबियां उन्हें नहीं सौंपी गईं। विभाग ने यह भी कहा कि बंगले में निर्माण से संबंधित कुछ सतर्कता मामले चल रहे हैं और इसलिए यह जरूरी है कि वह घर का निरीक्षण करे और किसी और को घर आवंटित करने से पहले मकान के अंदर मौजूद सामान का विस्तृत जायजा ले। पीडब्ल्यूडी ने आगे बताया कि यह देरी न केवल नियमित प्रक्रियाओं में बाधा डाल रही है, बल्कि मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी को आवास के आवंटन को भी प्रभावित कर रही है।
आवास के सील होने के बाद राजनिवास से जुड़े सूत्रों ने कहा कि यह आवास अभी मुख्यमंत्री आतिशी को आवंटित नहीं है। उन्हें 17 एबी, मथुरा रोड आवास दिया गया है। कहा गया कि इस आवास का मालिक पीडब्ल्यूडी है। केजरीवाल ने घर खाली करने का दिखावा तो किया, पर नियमतः इसका कब्जा पीडब्ल्यूडी को नहीं दिया। आतिशी ने बिना आवंटन अपना सामान उस घर में रखा और फिर खुद ही वहां से हटाया।
बंगला विवाद के बीच मुख्यमंत्री सचिवालय ने आरोप लगाया है कि सीएम आतिशी का सामान बाहर निकलवा कर जबरन आवास खाली कराया गया है। सचिवालय ने आरोप लगाया कि भाजपा के इशारे पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी का सामान सीएम आवास से बाहर निकलवा दिया। इस आवास को वह किसी बड़े नेता को आवंटित करना चाहते हैं। देश के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री का आवास खाली कराया गया है। आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने आरोप लगाया कि जब भाजपा चुनाव में आप को हरा नहीं पाई तो सीएम आवास पर कब्जा करना चाह रही है। केजरीवाल ने सीएम आवास खाली कर दिया है। इसका प्रमाणपत्र भी है। अब उस आवास में मुख्यमंत्री आतिशी को शिफ्ट होना था और उन्होंने इसके लिए पत्र भी लिखा है। इसके बावजूद आवास आवंटित नहीं किया गया। आतिशी ने जब सीएम आवास को कैंप कार्यालय बनाकर मीटिंग शुरू की तो वहां से स्टाफ को भी हटा दिया गया है।
प्रदेश भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल के भ्रष्टाचार का प्रतीक शीश महल कभी खाली नहीं हुआ। जब वह अपने परिवार के साथ चले गए तो हम सबने नाटक देखा, लेकिन सरकारी नियमों के अनुसार केजरीवाल का आवास आज तक खाली नहीं हुआ।सचदेवा ने कहा कि लोकनिर्माण विभाग को इस विवादित ‘शीश महल’ को पहले ही सील कर देना चाहिए था, क्योंकि सीलिंग जन आकांक्षाओं के अनुरूप है और विभाग को इस भवन का वीडियो ग्राफिक सर्वेक्षण करवाकर रिपोर्ट दिल्ली की जनता के समक्ष रखनी चाहिए। भाजपा लगातार जांच व सीलिंग की मांग कर रही है। अब इसकी हर बात को जनता के बीच रखा जाना चाहिए। फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगले पर मुख्यमंत्री आतिशी का बिना सरकारी आवंटन नियमों के पालन के कब्जा करवाने की जल्दबाजी साफ दर्शाती है कि बंगले में कुछ न कुछ ऐसा है जिसे केजरीवाल न सिर्फ दिल्ली वालों से बल्कि कानून एवं लोकनिर्माण विभाग तक से छुपाकर रखना चाहते हैं।