सेबी चीफ माधबी पुरी बुच की लगी ‘क्लास’, अब सब बताना होगा ‘साफ-साफ’!
सेबी चीफ माधबी पुरी बुच की लगी ‘क्लास’, अब सब बताना होगा ‘साफ-साफ’!
अडानी समूह की जांच में पक्षपात करने को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में नाम आने के बाद अब सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर जांच का शिकंजा कस सकता है. सरकार और सेबी द्वारा उनके खिलाफ लगे आरोपों को निराधार बताए जाने के बाद अब पहली बार उनसे इन आरोपों पर ‘स्पष्टीकरण’ मांगा गया है.
मार्केट रेग्युलेटर सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच को अब अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में सब कुछ ‘साफ-साफ’ बताना होगा. अडानी ग्रुप में गड़बड़ियों की जांच करने में कथित पक्षपात करने को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में उन पर कई आरोप लगाए गए हैं. हालांकि सरकार और सेबी ने इन आरोपों को खारिज किया है. फिर भी विपक्षी दल कांग्रेस उन पर लगातार हमलावर है. वहीं अब लोकपाल ने माधबी पुरी बुच से उन पर लगे आरोपों को लेकर ‘स्पष्टीकरण’ मांगा है.
एंटी करप्शन इंस्टीट्यूशन लोकपाल ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच से स्पष्टीकरण मांगा है. उनके खिलाफ एक लोकसभा सांसद और दो अन्य लोगों ने लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी.
क्या कहा लोकपाल ने अपने आदेश में?
लोकपाल ने एक ऑफिशियल ऑर्डर जारी करके भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ आई शिकायतों पर उनसे स्पष्टीकरण मांगा. इस काम के लिए माधबी पुरी बुच को चार सप्ताह का समय दिया गया है.
हालांकि लोकपाल की ओर से ये साफ किया गया है कि उसने ये आदेश किसी शिकायत पर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के तहत दिया है. अभी वह इस मामले पर अपनी किसी तरह की राय नहीं रखता है और ना ही उसके आदेश का ये मतलब निकाला जाना चाहिए.
लोकपाल के आदेश में कहा गया है कि वह सेबी प्रमुख के खिलाफ दर्ज कराई कई शिकायत के एफिडेविट में विस्तार से बताए गए आरोपों पर स्पष्टीकरण देने के लिए उन्हें बुलाना उचित समझते हैं. आरोपों की जांच के लिए पहली नजर में किसी फैसले पर पहुंचने से पहले ‘लोकपाल अधिनियम की धारा-20(1)(C) के तहत उन्हें अपनी सफाई देने का मौका देना उचित समझते हैं.
सांसद पहुंची शिकायत लेकर लोकपाल के पास
लोकपाल के आदेश में कहा गया है माधबी पुरी बुच दोहराव से बचने के लिए तीनों शिकायतों में शिकायत के हिसाब से अपना जवाब या स्पष्टीकरण पेश कर सकती हैं. लोकपाल संस्था के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और पांच अन्य सदस्यों ने इस आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके सदस्यों में न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी, संजय यादव, रितु राज अवस्थी, सुशील चंद्रा और अजय तिर्की शामिल हैं. अब इस मामले पर लोकपाल के समक्ष अगली सुनवाई की तारीख 19 दिसंबर तय की गई है.
इससे पहले लोकपाल ने 20 सितंबर के अपने आदेश में कहा था कि सेबी प्रमुख पर अनुचित आचरण और हितों के टकराव का आरोप लगाने वाली लोकसभा सदस्य की शिकायत उसे किसी जांच का आदेश देने के लिए राजी करने में विफल रही है. लोकपाल ने ये बात माधबी पुरी बुच के मामले में आई दो शिकायतों की सुनवाई के दौरान कही. इसमें से एक शिकायत लोकसभा सांसद ने की थी.
माधबी पुरी बुच पर हैं ये आरोप
हिंडनबर्ग रिसर्च ने कुछ महीने पहले जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास उस विदेशी फंड में हिस्सेदारी थी, जिसे लेकर अडानी ग्रुप पर कथित वित्तीय हेराफेरी करने के आरोप है.
हालांकि बुच दंपति ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया था. साथ ही कहा था कि हिंडनबर्ग सेबी की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाने और चरित्र हनन करने की कोशिश कर रही है. अडानी ग्रुप ने भी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं में हेराफेरी करार दिया था.
विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने 13 सितंबर को सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि उन्होंने सेबी प्रमुख के खिलाफ लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराई है.
हालांकि लोकपाल ने इसी शिकायत पर 20 सितंबर को अपने आदेश में उनके नाम का उल्लेख किए बिना ही आरोपों की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता के सत्यापन के लिए शिकायतकर्ता के प्रयासों की जानकारी मांगी थी. फिर इसकी सुनवाई के लिए 17 अक्टूबर और फिर 8 नवंबर की तारीख तय की गई थी.