भारत में घट रही प्रजनन दर की वजह ?

विकसित और विकासशील दोनों देशों में प्रजनन दर घट रही है। जापान जैसे देश घटती प्रजनन दर से चिंतित है तो दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में भी गिरती प्रजनन दर को रिकॉर्ड किया गया है। अनुमान के मुताबिक निम्न आयु वाले देशों में उच्च प्रजनन दर बनी रहेगी। प्रजनन दर घटने के फायदे और नुकसान दोनों हैं।

भारत में घट रही प्रजनन दर की वजह…
नई दिल्ली। भारतीय महिलाओं में प्रजनन दर घट रही है। इसका खुलासा संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में हुआ है। मौजूदा समय में भारत में प्रति महिला प्रजनन दर 2 से नीचे आ चुकी है। जबकि 1950 में यह आंकड़ा प्रति महिला 6.2 बच्चे के बराबर था। कहा जा रहा है कि अगर ऐसा ही रहा तो 2050 तक प्रजनन दर 1.3 तक आ सकती है। वर्तमान में दुनिया की सबसे अधिक आबादी भारत में है। दूसरे नंबर पर पड़ोसी देश चीन है। अगर दुनिया की आबादी की बात करें तो यह आंकड़ा 800 करोड़ पार पहुंच गया है।
जापान समेत दुनिया के कई देश गिरते प्रजनन दर से जूझ रहे हैं। अनुमान के मुताबिक 2050 तक वैश्विक प्रजनन दर घटकर 1.8 हो जाएगी। वहीं 2100 में यह आंकड़ा 1.6 तक पहुंच सकता है। एक शोध से यह भी सामने आया है कि कम बच्चे पैदा करने वाली महिलाएं अधिक समय तक जीती हैं।
भारत में मौजूदा समय में दुनिया की सबसे युवा आबादी है। मगर प्रजनन दर में गिरावट का असर यह होगा कि देश में बुजुर्गों की आबादी बढ़ सकती है। इसका श्रम बाजार पर असर पड़ेगा। 1991 में देश में बुजुर्गों (60 साल से अधिक) की आबादी 6.1 करोड़ थी। मगर 2024 में यह लगभग 15 करोड़ हो गई है। बुजुर्गों की बढ़ती आबादी का असर स्वास्थ्य समेत कई सेक्टरों पर पड़ेगा।

इन देशों में अधिक होगी प्रजनन दर
क्यों गिर रही प्रजनन दर?

भारत में गिरती प्रजनन दर के कई आर्थिक और सामाजिक कारण है। शहरी क्षेत्रों में महिलाएं का रुझान कम बच्चे पैदा करने पर है। वहीं देरी से शादी, करियर, शिक्षा और परिवार नियोजन की वजह से भी प्रजनन दर में गिरावट आई है। हालांकि मौजूदा समय में भारत की आबादी धीमी गति से बढ़ रही है। कुछ लोगों का मानना है कि गिरती प्रजनन दर का लोगों के जीवन स्तर पर प्रभाव पड़ेगा। जीवन स्तर गुणवत्तापूर्ण होगा। संसाधनों का प्रबंधन ठीक से हो सकेगा। हालांकि गिरते प्रजनन दर का सबसे बड़ा नुकसान है कि आर्थिक विकास को बनाए रखना कठिन है।

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