कॉर्पोरेट कंपनी की तरह गैंग चला रहा लॉरेंस, जेल हेडक्वार्टर ? zzz
कॉर्पोरेट कंपनी की तरह गैंग चला रहा लॉरेंस, जेल हेडक्वार्टर ..
इंटरव्यू से गैंगस्टर की भर्ती, सैलरी-इंसेंटिव और पकड़े जाने पर फैमिली को पेंशन
‘लॉरेंस की गैंग नए गुर्गों की तलाश में रहती है। एक टीम ऐसे लड़कों की प्रोफाइल शॉर्ट लिस्ट करती है, जो सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो डालते हैं। शॉर्टलिस्ट करने के बाद उनका बैकग्राउंड वेरिफाई कर कॉन्टैक्ट किया जाता है। फिर हायरिंग की प्रोसेस शुरू होती है।’
UP पुलिस के एक अधिकारी बताते हैं कि लॉरेंस गैंग में भर्ती और कामकाज का तरीका बिल्कुल किसी कॉर्पोरेट हाउस की तरह है। उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया कि लॉरेंस बिश्नोई 2014 से देश की अलग-अलग जेलों में बंद है, लेकिन जेल से ही नेटवर्क चला रहा है।
NCP नेता बाबा सिद्दीकी के मर्डर केस में मुख्य आरोपी शिव कुमार गौतम ने भी ऐसे खुलासे किए हैं। उसने पूछताछ में बताया कि लॉरेंस गैंग में वो मर्जी से नहीं गया, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए गैंग मेंबर्स ने ही उसे तलाशा था।
UP STF से जुड़े एक सोर्स ने दैनिक भास्कर को बताया कि जेल ही लॉरेंस का हेडक्वार्टर है। वहीं से पूरा गैंग ऑपरेट होता है। गैंग मेंबर्स को सैलरी और इंसेंटिव तो मिलता ही है, पकड़े जाने या मारे जाने पर फैमिली को पेंशन भी दी जाती है। लॉरेंस गैंग कैसे चलता है, गुर्गों की भर्तियां कैसे होती हैं और क्या हैं गैंग के नियम,
जेल से प्लानिंग, वहीं से जारी होते हैं आदेश UP STF में हमारे सोर्स ने बताया कि जेल में ही लॉरेंस पूरी प्लानिंग, एग्जीक्यूशन और अपॉइंटमेंट के आदेश जारी करता है। दूसरी जेल में शिफ्ट होने पर उसके गुर्गे भी छोटे अपराधों में खुद को अरेस्ट करवाकर उसके साथ शिफ्ट होते हैं। वे लॉरेंस की क्राइम कंपनी चलाने में मदद करते हैं।
लॉरेंस को जेल में फोन से लेकर इंटरनेट तक आसानी से मिल जाता है। इसके जरिए वो बाहर की दुनिया से कनेक्ट रहता है। बठिंडा जेल में रहते हुए लॉरेंस ने एक जर्नलिस्ट को वीडियो कॉल पर इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू में उसने जेल के सेटअप के बारे में बताया था। इसके बाद उसे गांधीनगर की साबरमती जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
पुलिस सोर्सेज के मुताबिक, लॉरेंस जानबूझकर जेल से बाहर आने की कोशिश नहीं करता। इसके पीछे दो वजहे हैं। पहली, वो जेल से आसानी से नेटवर्क चला लेता है। दूसरा, वहां वो सेफ रहता है। खालिस्तानी आतंकी अर्श डल्ला से उसकी दुश्मनी जगजाहिर है। यही वजह है कि उसने किसी भी बड़े मामले में जमानत के लिए अर्जी नहीं दी है।
16 से 30 साल के लड़कों का सिलेक्शन, गैंग में नाबालिग को खास जिम्मेदारी मुंबई पुलिस के एक अफसर ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि जॉब प्रोफाइल की तरह ही लॉरेंस गैंग से जुड़ने के लिए ऐज लिमिट तय है। 16 से 30 साल के युवाओं को ही गैंग में रखा जाता है।
नाबालिग को सिलेक्ट करने का मकसद बड़े क्राइम में शामिल होने के बावजूद, बड़ी सजा से बचाना है। लॉरेंस गैंग का मानना है कि इस ऐज ग्रुप के लोग फिजिकली एक्टिव रहते हैं और इन पर परिवार की जिम्मेदारियां भी नहीं होती हैं।
सोशल मीडिया पर प्रोफाइल की मॉनिटरिंग, बैकग्राउंड चेक करके ऑफर गैंग के मेंबर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के नाम से पेज बनाते हैं। इनसे जुड़ने वाले लड़कों को तवज्जो दी जाती है। ये एक तरह से रिज्यूम भेजने जैसा है।
UP पुलिस के अधिकारी पहचान न जाहिर करने की शर्त पर बताते हैं कि ये HR के काम जैसा ही होता है। एक टीम ऐसे लड़कों की प्रोफाइल शॉर्ट लिस्ट करती है, जो सोशल मीडिया पर क्राइम को ग्लोरिफाई करते हुए हथियारों के साथ फोटो डालते हैं।
इसके बाद बैकग्राउंड वेरिफाई किया जाता है। सब कुछ सही रहने पर उससे कॉन्टैक्ट किया जाता है। शुरू में अपॉइंटमेंट छोटे-मोटे क्राइम के लिए होता है। शिवकुमार ने भी पूछताछ में खुलासा किया था कि पहली बातचीत में लॉरेंस बिश्नोई के बारे में नहीं बताया जाता है।
गैंग में शामिल करने से पहले नए मेंबर्स को छोटे टास्क दिए जाते हैं। टास्क पूरा करने पर 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक दिए जाते हैं। इसके बाद ही बड़े कॉन्ट्रैक्ट मिलते हैं।
गैंग मेंबर्स कई लेवल पर लेते हैं इंटरव्यू, लॉरेंस छोटे गुर्गों से बात नहीं करता प्रोफाइल सिलेक्ट करने के बाद हर गुर्गे का इंटरव्यू होता है। इसे लॉरेंस गैंग में सीनियर मेंबर करते हैं। इंटरव्यू ऑडियो और वीडियो कॉल के जरिए होता है।
शिवकुमार ने बताया है कि उसका इंटरव्यू लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई ने स्नैपचैट पर लिया था। अनमोल ने शिवकुमार से कहा था कि वो जो करने जा रहा है, वो भगवान और समाज के लिए है। फिलहाल अनमोल US में है। ऐसी खबरें हैं कि अनमोल अमेरिका में रहता है। उसे 18 नवंबर को कैलिफोर्निया में अरेस्ट किया गया है।
अनमोल से पहले बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में अरेस्ट शुभम लोनकर ने उसका इंटरव्यू लिया था।
सोर्स के मुताबिक, लॉरेंस छोटे गुर्गों से बात नहीं करता है। वो कंपनी के CEO की तरह सिर्फ टॉप लेवल के मेंबर्स के कॉन्टैक्ट में रहता है। इनमें रोहित गोदारा, गोल्डी बराड़, काला जठेड़ी, अनमोल बिश्नोई, सचिन बिश्नोई और कपिल सांगवान शामिल हैं।
पुराने मेंबर्स देते हैं नए गुर्गों को ट्रेनिंग सिलेक्शन के बाद किसी कॉर्पोरेट कंपनी की तरह गुर्गों का इंडक्शन कराया जाता है। उन्हें गैंग के मेंबर्स से मिलवाया जाता है। लॉरेंस या उसकी गैंग से जुड़े बड़े क्रिमिनल सीधे नए गुर्गे से बात नहीं करते हैं।
पहले इन्हें टीम मेंबर्स के साथ रखा जाता है। ये रिपोर्टिंग मैनेजर जैसे होते है। वही उनके रहने, खाने-पीने और लॉजिस्टिक का इंतजाम करते हैं। कॉन्ट्रैक्ट कैसे पूरा करना है, वही डिसाइड करते हैं।
मुंबई पुलिस की अब तक की जांच में पता चला है कि बाबा सिद्दीकी को मारने का जिम्मा गैंग से जुड़े शुभम लोनकर को मिला था। उसने शिवकुमार समेत 15 से 20 लोगों की एक टीम को इस काम के लिए तैयार किया था।
शुभम ने ही टीम के बाकी मेंबर्स की ट्रेनिंग पुणे और करजत के जंगलों में करवाई थी। इनमें हथियार चलाना, टारगेट की रेकी करना और काम पूरा होने पर फरार होने के तरीके बताना शामिल था। इस ट्रेनिंग का खर्च भी शुभम ने ही उठाया था।,
नए गुर्गों को दी जाती है जॉइनिंग किट गैंग जॉइन करने के बाद सभी गुर्गों को जॉइनिंग किट भी मिलती है। इसमें मोबाइल के साथ नया नंबर दिया जाता है। सोर्स के मुताबिक, गुर्गों से कहा जाता है कि एक वारदात में एक फोन का इस्तेमाल करना है। ट्रेनिंग में फोन और बाकी एविडेंस खत्म करना सिखाया जाता है।
शिवकुमार ने पूछताछ में बताया है कि बाबा सिद्दीकी के मर्डर के लिए शुभम और यासीन ने उसे हथियार, मोबाइल फोन और सिम दिए थे। मर्डर के बाद बात करने के लिए अलग मोबाइल फोन और सिम भी दिए गए थे।
पूछताछ में ये भी खुलासा हुआ है कि हर गुर्गे को हथियार नहीं दिया जाता। वारदात से कुछ दिन पहले ही कॉन्ट्रैक्ट लेने वाले तक हथियार पहुंचाया जाता है और फिर काम पूरा होने पर उसे वापस ले लिया जाता है। बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में भी यही हुआ। पुलिस को अब तक शिवकुमार के पास से हत्या में इस्तेमाल हथियार बरामद नहीं हुआ है।
नए कॉन्ट्रैक्ट पर एक फिक्स अमाउंट, हर महीने सैलरी बाबा सिद्दीकी मर्डर केस की जांच से जुड़े UP पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर बताते हैं कि लॉरेंस गैंग कॉर्पोरेट सेक्टर की तरह गुर्गों को पैसे देता है। नए कॉन्ट्रैक्ट पर एक फिक्स अमाउंट और हर महीने सैलरी देने का वादा किया जाता है।
शिवकुमार ने भी खुलासा किया है कि उसे 10 लाख रुपए टोकन मनी और हर महीने कुछ पैसे देने का वादा किया गया था। पकड़े जाने या मारे जाने की स्थिति में फैमिली मेंबर्स का खर्च भी लॉरेंस गैंग उठाता है। उन्हें पेंशन के तौर पर हर महीने पैसे दिए जाते हैं।
टाइम पर कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने वालों को इंसेंटिव क्राइम के बाद छिपने की जगह ढूंढने से लेकर वहां रहने का खर्च गैंग उठाता है। लॉरेंस ने खास लोगों को छिपाने के लिए अमेरिका, अजरबैजान, UAE, पुर्तगाल, रूस, नेपाल और थाईलैंड में ठिकाने बनाए हैं। यहां से ये फिरौती और हथियारों की सप्लाई करते हैं।
लॉरेंस गैंग का अपना कोड ऑफ कंडक्ट लॉरेंस गैंग का प्राइवेट कंपनी की तरह ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ है। सेंट्रल जांच एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि लॉरेंस जेल में कई साल से ब्रह्मचर्य का जीवन जी रहा है। उसने गैंग के लिए भी उसी तरह के नियम बनाए हैं।
गैंग जॉइन करने वालों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वे कभी लड़कियों से बात नहीं करेंगे और न ही उनके साथ संबंध रखेंगे। लॉरेंस की कभी गर्लफ्रेंड नहीं रही है। उसका भाई अनमोल भी यही दावा करता है कि उसकी लाइफ में कोई लड़की नहीं है। गोल्डी बराड़ की भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
लॉरेंस गैंग ने गुर्गों को बता रखा है कि लड़की के कॉन्टैक्ट में आने से वे आसानी से ट्रैक हो जाएंगे। नियम के मुताबिक, गैंग मेंबर्स बच्चों और बुजुर्गों को मारने की सुपारी नहीं लेते हैं।
क्राइम के लिए पूरी प्लानिंग, प्लान B भी तैयार लॉरेंस गैंग हर कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने से पहले प्लानिंग करता है। मुंबई पुलिस के सोर्स के मुताबिक, बाबा सिद्दीकी के मर्डर से 4 हफ्ते पहले से उनकी रेकी की जा रही थी। वे कब घर से निकलते थे, किससे मिलते थे और कहां-कहां जाते थे, ये सब लॉरेंस गैंग को पता था।
ये भी तय किया गया कि बाबा पर उस जगह हमला करना है, जहां CCTV कैमरे न हों। प्रोजेक्ट की तरह एक डिटेल रिपोर्ट पुणे में बनाई गई और इसे अप्रूवल के लिए पहले अनमोल और फिर लॉरेंस को भेजा गया था।
हर प्रोजेक्ट की तरह इस हत्याकांड में भी प्लान B तैयार था। इसमें बाबा को नहीं मार पाने की स्थिति में उनके बेटे जीशान सिद्दीकी को मारने का प्लान था। जीशान की रेकी के लिए अलग टीम थी। मर्डर के बाद कैसे नेपाल भागना है, इसकी भी तैयारी पहले से थी।
सीक्रेट मिशन की तरह पूरा किया जाता है कॉन्ट्रैक्ट लॉरेंस ने गैंग चलाने के लिए सिस्टम तैयार किया है। इसमें ऐसे शूटर चुने जाते हैं, जो उस इलाके के लिए नए हों। उनके बैकग्राउंड के बारे में लोकल लोगों को कुछ भी मालूम न हो। ज्यादातर गुर्गे दूसरे राज्यों से लाए जाते हैं, जैसे बाबा सिद्दीकी के मर्डर में शामिल शूटर UP के हैं।
सेंट्रल जांच एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि शूटर को सिर्फ यही पता होता है कि उससे ऊपर कौन है। उन्हें नहीं पता कि उनके साथी शूटर्स कौन हैं। कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने पर गैंग से कम्युनिकेशन चेन ब्रेक कर दी जाती है, ताकि पकड़े जाने पर गैंग के बाकी मेंबर के नाम सामने न आएं।
फेक नैरेटिव गढ़ने के लिए अलग टीम मुंबई साइबर सेल से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि फेक नैरेटिव के लिए लॉरेंस गैंग ने एक टेक और सोशल मीडिया मैनेजमेंट टीम बनाई है। ये विदेशों में बैठकर सोशल मीडिया में अपने काम को ग्लोरिफाई करती है।
लॉरेंस गैंग के मेंबर फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब का इस्तेमाल क्रिमिनल एक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं। गैंग के लोग ‘जय बलकारी जी’ जैसे नारे हैशटैग में लिखते हैं। लगातार ऐसे वीडियो अपलोड करते हैं, जो युवाओं को धर्म के नाम पर एकजुट करने का मैसेज देते हैं।
गैंगस्टर के नाम से 50 से ज्यादा इंस्टाग्राम अकाउंट बने हैं। मुंबई पुलिस ने ऐसे फेक नैरेटिव गढ़ने वाले प्रोफाइल्स, पेजों को सिलेक्ट कर लिया है और उन्हें प्रतिबंधित करने के लिए ‘X’ और ‘META’ को लिखा है।
40 साल पहले भी ऐसे ही ऑपरेट होते थे गैंग अंडरवर्ल्ड पर किताबें लिख चुके मुंबई के सीनियर जर्नलिस्ट विवेक अग्रवाल बताते हैं कि लॉरेंस के शूटर शिवकुमार ने खुलासा किया है कि लॉरेंस गैंग ने उसे कॉन्ट्रैक्ट अमाउंट, सैलरी और पेंशन देने का वादा किया था। ठीक ऐसा ही 80 और 90 के दशक में भी होता था। कॉर्पोरेट तरीके से गैंग ऑपरेट करने की शुरुआत 80 के दशक में दाऊद इब्राहिम ने की थी।
दाऊद से पहले के डॉन अशोक जोशी, हाजी मस्तान, करीम लाला, वरदराजन मुदलियार और शबीर के दौर में ऐसा नहीं था। वे काम के हिसाब से पैसे दिया करते थे। हालांकि वे अपने मैनेजर या पीए को मंथली सैलरी जरूर देते थे।
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ड्रग्स, हथियार, फिरौती की कमाई से चल रहा लॉरेंस गैंग:थाईलैंड में कंट्रोल रूम, दिल्ली पुलिस के सामने लॉरेंस का कबूलनामा
‘गैंग का खर्च चलाने के लिए मुझे पैसों की जरूरत थी। मैंने जेल से ही रंगदारी मांगनी शुरू की। जो पैसे नहीं देता, उस पर गोलियां चलवा देता था। मैं चाहता था कि चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा में मेरी गैंग की दहशत हो।’
ये लॉरेंस बिश्नोई का कबूलनामा है, जो दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की 300 से ज्यादा पेज की रिपोर्ट में दर्ज है। ये रिपोर्ट 2021 में बनी थी। लॉरेंस अभी गुजरात की साबरमती जेल में है, लेकिन उसका सिंडिकेट लगातार बड़े क्राइम कर रहा है।
सलमान खान के घर पर फायरिंग हो या फिर 12 अक्टूबर को मुंबई में NCP नेता बाबा सिद्दीकी का मर्डर, पुलिस को लॉरेंस गैंग पर ही शक है। सवाल है कि आखिर लॉरेंस का नेटवर्क कैसे ऑपरेट हो रहा है, गैंग चलाने के लिए उसके पास पैसा कहां से आता है।
दैनिक भास्कर ने इसी की पड़ताल की। इसके लिए दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट पढ़ी। इसमें लॉरेंस बिश्नोई का पूरा कबूलनामा है। इसमें क्राइम की दुनिया में लॉरेंस की एंट्री, फिरौती-तस्करी से कमाई, जोधपुर कोर्ट में सलमान खान को धमकाने से लेकर थाईलैंड और कनाडा से गैंग ऑपरेट होने का जिक्र है।
क्राइम की दुनिया में लॉरेंस की एंट्री यूनिवर्सिटी इलेक्शन के झगड़े में पहली FIR कबूलनामे में लॉरेंस बिश्नोई ने खुद अपनी कहानी बताई है। इसके आखिर में उसके साइन भी हैं। ये बयान 2021 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारियों ने लिया था।
पढ़िए लॉरेंस का बयान ‘2007 में मैंने लॉ की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था। तब संपत नेहरा कॉलेज में प्रैक्टिस के लिए आता था। वो खालसा कॉलेज में पढ़ता था। यूनिवर्सिटी इलेक्शन के दौरान वीरेंद्र उर्फ काला राणा से दोस्ती हुई।‘
‘2008 में रॉबिन बराड़ ने स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी ग्रुप से प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ा था। मैं भी उसके लिए प्रचार करता था। उसी दौरान दूसरे ग्रुप से झगड़ा हो गया। मैंने अपने दोस्त की राइफल से विरोधी कैंडिडेट पर गोली चला दी। मुझ पर हत्या की कोशिश का मामला दर्ज हुआ।‘
‘मैं 1-2 महीने तक बुड़ैल जेल में रहा। जमानत पर बाहर आया। कुछ दिनों बाद विरोधियों पर गोली चला दी। मैं फिर जेल चला गया। उस दौरान यूनिवर्सिटी कैंपस में कई बार मेरे ग्रुप के दूसरे ग्रुप से झगड़े हुए। मेरे ग्रुप के कई लोग जेल भी गए।‘
‘2012 में मेरी पढ़ाई पूरी हो गई। इसके बाद भी हमारे ऑर्गनाइजेशन की कमान मेरे हाथ में ही रही। इसी दौरान मेरे दोस्त इंदरप्रीत ने मुझे रविंद्र उर्फ काली शूटर से मिलवाया। मैंने अपनी सेफ्टी और झगड़ों की वजह से काली शूटर को अपने साथ रख लिया।‘
2013 में पहला मर्डर, गोल्डी बराड़ भी साथ था ‘2013 की बात है। मैंने पंजाब के मुक्तसर में गवर्नमेंट कॉलेज से अपनी पार्टी से प्रेसिडेंट पद का कैंडिडेट उतारा। चुनाव प्रचार में मेरे साथ गोल्डी बराड़ भी था। मैंने, गोल्डी और कुछ दोस्तों के साथ मिलकर विरोधी कैंडिडेट का मर्डर कर दिया।‘
‘2014 की शुरुआत में मेरे दोस्त करमबीर का भाई काउंसलर का चुनाव लड़ रहा था। मैंने और गोल्डी बराड़ ने उसके खिलाफ खड़े कैंडिडेट को गोली मार दी। इसके बाद हम फरार हो गए। इस दौरान गैंग की ताकत बढ़ाने के लिए हमने कॉलेज के दोस्तों की मदद ली। तभी मेरी मुलाकात आनंदपाल से हुई। आनंदपाल राजस्थान का बड़ा गैंगस्टर था।
‘कुछ दिन जयपुर में रहने के बाद मैं सिरसा आ गया। यहां मैंने शराब तस्करों पर गोलियां चलवाईं। इसके बाद शराब तस्करों से पैसा फिक्स किया और उनसे हिस्सा लेने लगा। कुछ तस्करों से दुश्मनी भी हुई। वे मुझे पैसा नहीं देते थे और मुझे मारने की फिराक में रहते।‘
‘2014 के मई या जून की बात है। मैं दोस्तों के साथ सालासर बालाजी दर्शन करने जा रहा था। तभी एक बस ड्राइवर ने हमें ओवरटेक किया। हमने बस रुकवाकर उसे पीट दिया। पुलिस ने हमें पकड़ने के लिए नाकाबंदी कर दी। हम नाकाबंदी तोड़कर भागे, लेकिन सीकर में पकड़ लिए गए। हमारे ऊपर दो केस दर्ज हुए। मुझे जेल भेज दिया। बाद में मुझे रोपड़ जेल शिफ्ट कर दिया गया।‘
जेल में रहकर पहला क्राइम, कैदी को कोर्ट से भगाया ‘2014 में रोपड़ जेल में रहते हुए मेरी दोस्ती राजू उर्फ पहलवान से हुई। मैंने पहलवान को भगाने का प्लान बनाया। इसके लिए जेल के बाहर मौजूद अपने साथी को 30 हजार रुपए भिजवाए। पहलवान कोर्ट में पेशी के लिए गया, तभी मेरे साथी ने उसे भागने में मदद की।’
ये पहली बार था जब मैंने जेल में रहते हुए क्राइम किया था। इसके बाद गवाहों को डराने के लिए उन पर हमले करवाए। कैदियों को जेल से भागने में मदद की। जेल से छूटे अपराधियों को अपनी गैंग में शामिल कर लिया।
गैंग का खर्च चलाने के लिए शुरू की उगाही ‘गैंग का खर्च चलाने के लिए मैंने जेल से ही रंगदारी मांगनी शुरू कर दी। उसी दौरान मेरी बुआ के बेटे का मर्डर कर दिया गया। मैंने बदला लेने के लिए जेल से भागने का प्लान बनाया। जनवरी, 2015 में कोर्ट में पेशी से लौटते वक्त मैं काली शूटर और गैंग के साथियों की मदद से भाग निकला। इसके बाद मैंने अपने भाई की मौत का बदला लिया और धंधे को फैलाना शुरू किया।‘
‘हरियाणा, पंजाब, राजस्थान बॉर्डर और आसपास के इलाकों में शराब तस्करों को टारगेट किया। वे मुझे प्रोटेक्शन मनी देने लगे। गैंग के पास पैसा आने लगा। इन्हीं पैसों से हमने हथियार खरीदे। 2015 में गुड़गांव में रहने वाले रम्मी को मरवाने की तैयारी कर रहा था। तभी पंजाब पुलिस ने मुझे अरेस्ट कर लिया था।’
‘मैं कपूरथला जेल में था। वहां सुक्खा और जग्गू भगवानपुरिया मिले। दोनों मेरी गैंग से जुड़ गए। यहीं राजा पहाड़ी से दोस्ती हुई। उसने ही दिल्ली और पंजाब में नेटवर्क बढ़ाने में मदद की।’
लॉरेंस का कबूलनामा जिसमें उसने शराब तस्करों से प्रोटेक्शन मनी लेने की बात कही है। इसमें संपत नेहरा और जग्गू भगवानपुरिया के साथ काम करने का भी जिक्र है।
‘2016 में मैंने वीरेंद्र उर्फ काला राणा को गैंग में शामिल किया। उसकी मदद से दीपक उर्फ टीनू का भोंडसी जेल में रहने का सही इंतजाम कराया। इसके बाद दीपक के जरिए भोंडसी जेल में बंद संदीप उर्फ काला जठेड़ी से दोस्ती की। फिर हम साथ मिलकर बड़े नेटवर्क के जरिए काम करने लगे।’
‘मई, 2017 में मेरे कहने पर संपत नेहरा ने दीपक को भिवानी के पंचकूला सिविल हॉस्पिटल से पुलिस की हिरासत से छुड़वा लिया। संपत नेहरा और दीपक को कुछ दिन के लिए वीरेंद्र उर्फ काला राणा के ठिकानों पर रुकवाया।’
जोधपुर में हॉस्पिटल मालिक पर फायरिंग 17 मार्च, 2017 की सुबह करीब 6 बजे जोधपुर में श्रीराम हॉस्पिटल के मालिक डॉ. सुनील चांडक और ट्रैवल कंपनी मालिक मनीष जैन के घर फायरिंग की गई थी। लॉरेंस बिश्नोई ने कबूल किया कि ये भी उसी का काम था। उसने बताया…
‘2017 के आखिर में मैंने जोधपुर में गैंग मजबूत करने के लिए सुनील चांडक पर फायरिंग कराई थी। इसके अलावा एक ट्रैवल कंपनी के मालिक पर भी गोली चलवाई। इसके बाद दोनों से 50-50 लाख रुपए वसूले। इस केस में मुझे अरेस्ट कर रिमांड पर जोधपुर लाया गया था। जोधपुर के तीन हीरा कारोबारियों से मैं रंगदारी वसूल चुका था।’
‘अजमेर जेल में ट्रांसफर होने के बाद मैं आनंद पाल गैंग के मेंबर्स से मिला। वहीं आनंदपाल के छोटे भाई विक्की पाल से मुलाकात हुई। विक्की के कहने पर मैंने सीकर में उसके दुश्मन सरदार राव को मरवा दिया। इससे हमारी दोस्ती और गहरी हो गई।’
फेसबुक के जरिए नए लड़कों को गैंग से जोड़ा ‘मैं फेसबुक पर काफी एक्टिव रहता था। इसी वजह से नए-नए लड़के मुझसे जुड़ जाते थे। मैंने फिरौती के लिए जोधपुर के व्यापारी वासुदेव इसरानी को कॉल किया। उसने मुझे गालियां दीं। मैंने उसे मरवा दिया। इससे जोधपुर में मेरी गैंग का खौफ हो गया। इसके बाद मैंने कई कारोबारियों से फिरौती वसूली।‘
सलमान खान को पहली बार जोधपुर कोर्ट में दी धमकी ‘वासुदेव इसरानी मर्डर केस में गिरफ्तार करके मुझे जोधपुर कोर्ट लाया गया था। उसी दिन सलमान खान भी वहीं कोर्ट में था। कोर्ट से बाहर निकलते वक्त मैंने सलमान को जान से मारने की धमकी दी। उसने काले हिरण का शिकार किया था। कोर्ट से उसे सजा नहीं मिल रही थी।’
‘मैंने सिर्फ मीडिया में आने के लिए और मेरी कम्युनिटी में नाम के लिए ये सब किया था। सलमान खान को धमकी देने के केस में भी मेरी गिरफ्तारी हुई थी। मुझे जोधपुर जेल भेज दिया गया।‘
पुलिस एनकाउंटर करने लगी, तब साथियों को थाईलैंड भेजा ‘मेरी गैंग में अंकित भादु नाम का लड़का था। पुलिस ने चंडीगढ़ में उसका एनकाउंटर कर दिया। इससे गैंग में दहशत फैल गई। मैं नहीं चाहता था कि कोई डरकर काम करे। इसलिए संदीप उर्फ काला जठेड़ी से बात की। हमने वीरेंद्र उर्फ काला राणा और राजकुमार को थाईलैंड भेजने का फैसला लिया। दोनों के लिए नकली पासपोर्ट तैयार कराए और थाईलैंड भेज दिया।‘
राजकुमार ने पुलिस के सामने कबूल किया था कि उसे लॉरेंस ने थाईलैंड भेजा था। वो वहीं से मर्डर और फिरौती का काम देख रहा था।
‘राजकुमार थाईलैंड जाकर गैंग ऑपरेट करने लगा। गैंग के मेंबर इंटरनेट वॉयस कॉल से कॉन्टैक्ट करते थे। ये भी तय हुआ कि गैंग के मेन लीडर कुछ समय तक आपस में बात नहीं करेंगे। इंडिया में मौजूद सभी लोग एक-दूसरे से नहीं बल्कि थाईलैंड में राजकुमार से ही संपर्क करेंगे। इस तरह नेटवर्क फिर मजबूत बन गया। हम लोग थाईलैंड को कंट्रोल रूम की तरह इस्तेमाल करने लगे।‘
कनाडा-थाईलैंड में बैठे दोस्तों को सौंपी गैंग की जिम्मेदारी ‘मेरी गैंग विदेश से चलती रहे, इसलिए मैंने अपने दोस्तों से बात की। राजकुमार और वीरेंद्र थाईलैंड में थे। कॉलेज में पढ़ने वाले दोस्त गोल्डी बराड़ और करण कनाडा में सेटल थे। सैम लंदन में था।‘
‘इनसे कॉन्टैक्ट करके गैंग के लिए काम करने की बात की। गैंग ऑपरेट करने के लिए पैसे चाहिए थे। इसलिए हवाला के जरिए उन्हें पैसे भिजवाना शुरू किया। विदेश में बैठे दोस्तों के पास इंडिया में रहने वाले सभी गैंग और उनके मेंबर्स के नंबर नोट करा दिए। इस तरह पूरा नेटवर्क विदेश से ऑपरेट होने लगा।‘
‘हमने अक्टूबर, 2020 में बीकानेर के रहने वाले जुगल राठी पर फायरिंग कराई थी। उससे 2 करोड़ रुपए फिरौती वसूली। नवंबर, 2020 में एलडी मित्तल पर फायरिंग करके 5 करोड़ रुपए की फिरौती ली। इस तरह बड़ी-बड़ी फिरौती की मदद से विदेश में हमारा नेटवर्क आसानी से चलता रहा।‘
NIA रिपोर्ट में खुलासा, हवाला के जरिए मनीष भंडारी करता है पैसे ट्रांसफर NIA की रिपोर्ट से लॉरेंस गैंग की फंडिंग की पड़ताल की, तो पता चला कि दिल्ली का मनीष भंडारी हवाला के जरिए पैसे ट्रांसफर करता है। अब वो थाईलैंड शिफ्ट हो गया है। लॉरेंस के इशारे पर गैंगस्टर वीरेंद्र उर्फ काला राणा थाईलैंड चला गया था। वीरेंद्र ने ही मनीष की पहचान लॉरेंस से कराई थी।
इसके बाद मनीष भंडारी भारत में रंगदारी से वसूले पैसे विदेशों में पहुंचाने लगा। NIA का दावा है कि थाईलैंड में मनीष के कई नाइट क्लब हैं। कनाडा में गोल्डी बराड़ का साथी सतबीर सिंह उर्फ सैम हवाला के पैसों को इन्वेस्ट करता है। वो कनाडा में प्रीमियम लीग स्पोर्ट्स में भी पैसे लगाता था। इसके अलावा फिल्म प्रोडक्शन में भी पैसा लगाया। इससे होने वाली कमाई भारत में गैंग को भेजते हैं।
जेल में लॉरेंस कैसे गैंग बनाता है, गैंगस्टर जगदीप ने बताई कहानी दिल्ली पुलिस ने 30 मार्च, 2021 को गैंगस्टर जगदीप उर्फ जग्गू से पूछताछ की थी। उसने बताया कि, ‘मैंने पारिवारिक विवाद में 3 मर्डर किए थे। 2012 में पुलिस ने मुझे पकड़ लिया। 2015 में पंजाब की कपूरथला जेल भेज दिया गया। यहां लॉरेंस से मुलाकात हुई। हम अच्छे दोस्त बन गए। फिर मैं लॉरेंस गैंग के साथ काम करने लगा।‘
‘मैं ड्रग्स तस्करी और हथियारों की सप्लाई करने लगा। राजस्थान और पंजाब बॉर्डर पर तस्करी करवाता था। सीमा पार से हथियार मंगवाकर लॉरेंस गैंग को देता था। जेल से ही फोन पर बात करके पैसे-हथियार की व्यवस्था कर देता था। मैं थाईलैंड में रहने वाले लॉरेंस गैंग के मेंबर के संपर्क में हूं। उनके कहने पर आगे का काम करता हूं।‘
थाईलैंड से लॉरेंस गैंग का हिसाब-किताब देखता था राजकुमार लॉरेंस गैंग के मेंबर रहे राजकुमार उर्फ राजू बसौदी से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 18 मई, 2021 को पूछताछ की थी।
राजकुमार ने बताया, ‘हरियाणा की भोंडसी जेल में रहते हुए गैंगस्टर दीपक के जरिए लॉरेंस से कॉन्टैक्ट हुआ। मैंने फरारी के वक्त लॉरेंस गैंग के लड़कों को रहने की जगह दी थी। 2018 में लॉरेंस के साथी वीरेंद्र के साथ फर्जी पासपोर्ट पर थाईलैंड चला गया। वहीं से हम लोग गैंग ऑपरेट करते थे।‘
‘मैं गैंग के फाइनेंशियल सोर्स मैनेज करता था। 2019-20 में मैंने संपत नेहरा, संदीप उर्फ काला जठेड़ी के साथ मिलकर दिल्ली में क्राइम सिंडिकेट खड़ा किया। 2020 में थाईलैंड में पकड़ा गया। मुझे डिपोर्ट करके भारत लाया गया। दिल्ली और हरियाणा की जेल में रहा। जेल में रहते हुए भी मेरी नजर गैंग पर थी।‘
रिटायर्ड DCP बोले- दाऊद की राह पर चल रहा लॉरेंस दिल्ली की स्पेशल सेल में DCP रहे रिटायर्ड IPS अधिकारी एलएन राव बताते हैं, ‘लॉरेंस बिल्कुल दाऊद इब्राहिम की राह पर चल रहा है। उसका नेटवर्क इतना बड़ा हो चुका है कि लोगों के दिमाग में उसका खौफ है। लोग उसके बारे में जानते हैं। इसीलिए लॉरेंस के नाम पर धमकी मिलते ही लोग पैसे दे रहे हैं।‘
‘आप जान लीजिए कि 100 लोगों को अगर धमकी मिलती है, तो सिर्फ 10 लोग ही शिकायत करते हैं। 90 लोग शिकायत नहीं करते। डरकर पैसे दे देते हैं, ताकि बदमाशों से पीछा छूट जाए। यही वजह है कि गैंग के हौसले बढ़ रहे हैं।‘
क्या मुंबई में दाऊद की जगह ले रहा लॉरेंस:बाबा सिद्दीकी के मर्डर से बॉलीवुड-बिल्डरों पर धाक जमाने की कोशिश, 12 राज्यों में नेटवर्क
तारीख: 12 अक्टूबर वक्त: रात 9:30 बजे जगह: मुंबई में बांद्रा का खेर वाड़ी सिग्नल
NCP (अजित पवार गुट) के नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी बेटे जीशान के दफ्तर के बाहर निकले थे। तभी उन पर 6 गोलियां चलाई गईं। 2 गोली सिद्दीकी के पेट पर और एक सीने पर लगी। उन्हें तुरंत लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां रात 11.27 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
वारदात के बाद पुलिस ने तीन आरोपियों को अरेस्ट कर लिया। तीन आरोपी फरार हैं, उनकी तलाश जारी है। मर्डर की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई की गैंग ने ली है। बाबा सिद्दीकी रियल एस्टेट बिजनेस से भी जुड़े थे। हालांकि, वे पॉलिटिक्स और बिजनेस से ज्यादा बॉलीवुड कनेक्शन की वजह से फेमस रहे।
माना जा रहा है कि लॉरेंस, बाबा सिद्दीकी के मर्डर से बॉलीवुड और बिल्डर लॉबी में अपनी धाक जमाने की कोशिश कर रहा है। इससे पहले सलमान खान और उनके पिता सलीम खान को धमकी देना, फिर सलमान के घर पर फायरिंग करवाना भी इसी कोशिश का हिस्सा है। उसके काम करने का तरीका अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की तरह है।
लॉरेंस गैंग का नेटवर्क 12 राज्यों में फैला है। लॉरेंस गैंग ने बाबा सिद्दीकी को ही निशाना क्यों बनाया, क्या असल में सलमान से दोस्ती इसकी वजह है, या फिर ये डी कंपनी की तरह मुंबई को अपना गढ़ बनाने की कोशिश है। इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने मुंबई पुलिस के अधिकारी, रिटायर्ड पुलिस अफसर और सीनियर जर्नलिस्ट से बात की।
दाऊद गैंग के रास्ते पर लॉरेंस गैंग, मोडस ऑपरेंडी भी एक जैसी अंडरवर्ल्ड पर 12 से ज्यादा किताबें लिख चुके सीनियर जर्नलिस्ट विवेक अग्रवाल बताते हैं, ‘पहले सलमान खान और उनके पिता को धमकी दी गई, उनके घर पर फायरिंग करवाई गई। अब बाबा सिद्दीकी के मर्डर में भी लॉरेंस का नाम सामने आ रहा है। इससे ये साफ चुका है कि लॉरेंस बॉलीवुड, पॉलिटिक्स और बिल्डर लॉबी में धाक जमाना चाह रहा है।‘
‘मुंबई में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए वो बॉलीवुड के बड़े एक्टर यानी सलमान खान को मोहरा बना रहा है। ये तरीका अंडरवर्ल्ड से जुड़े लोग 70, 80 और 90 के दशक में अपनाते थे। इसके जरिए लॉरेंस मुंबई में हफ्ता वसूली का साम्राज्य खड़ा करने की कोशिश कर रहा है।‘
विवेक आगे कहते हैं, ‘लॉरेंस और दाऊद इब्राहिम की मोडस ऑपरेंडी बिल्कुल एक जैसी है। इसमें जरा भी फर्क नहीं दिखाई दे रहा है। जिस तरह बाबा सिद्दीकी पर हमला हुआ या इससे पहले सलमान खान के घर पर हमला हुआ था।‘
‘डी-कंपनी के वक्त में भी हथियार लाने का काम कोई करता था। वारदात कोई और अंजाम देता था। इस केस में भी यही नजर आ रहा है। रेकी करने के लिए भी दाऊद ने अलग लोग रखे थे। इस केस में भी यही हुआ है। बाबा सिद्दीकी पर हमला करने से पहले उन्हें किसी थर्ड पार्टी ने हथियार दिए थे। सभी लड़के हायर किए हुए थे।‘
दैनिक भास्कर को पुलिस सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तार और फरार आरोपियों को बाबा सिद्दीकी को मारने की सुपारी दी गई थी। बाबा पर हमला करने वालों को ढाई-ढाई लाख रुपए देने का वादा किया गया था। काम से पहले उन्हें 50 हजार रुपए एडवांस भी दिया गया था।
विवेक आगे बताते हैं, ‘लॉरेंस एक मामले में दाऊद गैंग से अलग होकर काम कर रहा है। वो ये कि दाऊद की गैंग में 30-40 साल के मैच्योर क्रिमिनल शामिल थे। लॉरेंस की गैंग में 700 से ज्यादा नौसिखिए और भटके हुए युवक हैं। इनकी उम्र 20 से 25 साल है। ये लॉरेंस के इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ये पैसे से ज्यादा फेम के लिए काम करते हैं, जबकि दाऊद के गुर्गे सिर्फ पैसों के लिए काम करते थे।‘
‘बाबा को गोली मारने का तरीका भी ठीक वैसा ही था, जैसे दाऊद के लोग 80-90 के दशक में करते थे। वो टारगेट पर उसके घर के आसपास ही हमला करते थे। टारगेट को बिल्कुल नजदीक से गोली मारी जाती थी। लॉरेंस भी इसी तरीके को अपनाकर मुंबई में बिल्डर लॉबी और बॉलीवुड लॉबी में दाऊद जैसा खौफ पैदा करना चाह रहा है।‘
नॉर्थ पर कब्जा करने के बाद मुंबई नया टारगेट इसके बाद हमने ये केस मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर एमएन सिंह से भी समझने की कोशिश की। वो बताते हैं, ‘NIA ने लारेंस, गोल्डी बराड़ समेत कई गैंगस्टर्स के खिलाफ कुछ दिन पहले गैंगस्टर टेरर केस में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें लॉरेंस गैंग की तुलना दाऊद इब्राहिम गैंग से की गई थी। इस चार्जशीट में कहा गया था कि लॉरेंस, दाऊद इब्राहिम के नक्शेकदम पर चल पड़ा है।‘
पूर्व पुलिस कमिश्नर ने आगे बताया, ‘दाऊद इब्राहिम ने ड्रग तस्करी, टारगेट किलिंग और एक्सटॉर्शन रैकेट के जरिए अपना साम्राज्य खड़ा किया। फिर उसने D कंपनी बनाई। ठीक उसी तरह लॉरेंस भी अपना साम्राज्य खड़ा करना चाहता है। दाऊद ने जिस तरह से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के सहारे 1993 ब्लास्ट को अंजाम दिया, ठीक उसी तरह ही लॉरेंस भी कर रहा है।‘
‘भारत से भागने के बाद दाऊद ने पाकिस्तान, दुबई और मिडिल ईस्ट देशों में अपना नेटवर्क बनाया। वहीं लॉरेंस का कारोबार कनाडा, अमेरिका, दुबई और पाकिस्तान तक फैल चुका है।‘
पूर्व पुलिस कमिश्नर बताते हैं, ‘दाऊद इब्राहिम ने छोटा राजन की मदद से गैंग को बढ़ाया। उसी तरह लॉरेंस लॉरेंस ने गोल्डी बराड़, सचिन बिश्नोई, अनमोल बिश्नोई, विक्रम बराड़, काला जठेड़ी, काला राणा के साथ मिलकर गैंग का नेटवर्क 12 राज्यों तक पहुंचा दिया। बाबा सिद्दीकी को टारगेट कर लॉरेंस गैंग देश की आर्थिक राजधानी में उगाही के नेटवर्क को और बड़ा करना चाहता है।‘
महाराष्ट्र पुलिस में DCP लेवल के एक अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि गुजरात पुलिस के पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि लॉरेंस ने 10 से 12 बार साबरमती जेल से फोन किया है। उसकी कॉल इंटरसेप्ट करने पर ये भी पता चला है कि उसने अपनी कॉल में चार बार सलमान या भाईजान का नाम इस्तेमाल किया है।
अधिकारी कहते हैं कि बाबा को मारकर लॉरेंस, दाऊद की तरह मुंबई में नया अंडरवर्ल्ड डॉन बनना चाहता है। 90 के दशक में दाऊद इब्राहिम ने इसी तरह अपना कद बढ़ाया था।
कुछ दिन पहले दायर NIA की रिपोर्ट में लिखा गया है कि लॉरेंस के लिए जेल से कोई बड़ा क्राइम करवाना ज्यादा आसान है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस है। उस समय गैंग के 6 मेंबर जेल में थे।
लॉरेंस और जग्गू भगवानपुरिया तिहाड़ जेल में, मनप्रीत उर्फ मन्ना फिरोजपुर जेल में, सरज सिंह उर्फ मंटू भटिंडा की स्पेशल जेल में और मनमोहन सिंह उर्फ मोहना मनसा जेल में था। ये सभी गोल्डी बराड़ के कॉन्टैक्ट में थे। इन्हें जैसे ही सिद्धू मूसेवाला की सिक्योरिटी कम होने की जानकारी मिली, इन्होंने जेल से ही सिद्धू मूसेवाला को मारने के लिए शूटर्स भेज दिए थे।
क्यों मुंबई है लॉरेंस के लिए सॉफ्ट टारगेट? इसके बाद हमने मुंबई पुलिस के एक अधिकारी से भी बात की। उन्होंने नाम जाहिर न करने पर बताया, ‘मुंबई में दाऊद की गैंग तकरीबन खत्म हो चुकी है। फिरौती, रंगदारी, टारगेट किलिंग और स्मगलिंग जैसे क्राइम भी अब लगभग खत्म हैं। ऐसे में ये लॉरेंस गैंग के लिए एक ओपन ग्राउंड है।‘
‘अब वो इस तरह की वारदातों को अंजाम देकर यहां अपना नेटवर्क बड़ा करेगा। उसका टारगेट सलमान खान के साथ-साथ उसके आसपास के लोगों को भी डराने का है। लॉरेंस बड़े नामों को टारगेट कर बड़ा डर पैदा करना चाहता है। दाऊद गैंग के कमजोर होने से वो मुंबई में आसानी से अपने पैर जमा सकता है।‘
हालांकि, अधिकारी ने ये भी बताया कि 90 के दशक में और अब में बहुत अंतर आ चुका है। मुंबई पुलिस अब बहुत पावरफुल हो चुकी है। ऐसी एक दो वारदात करके ये कभी भी दाऊद जैसा नेटवर्क नहीं खड़ा कर सकते हैं।
सलमान-दाऊद की मदद करने वाले टारगेट पर बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद सोशल मीडिया हैंडल फेसबुक पर शुभु लोनकर नाम के शख्स ने एक पोस्ट शेयर की। इसमें कहा गया है कि सलमान खान और दाऊद की मदद करने वालों को नहीं छोड़ेंगे। इस पोस्ट की मुंबई क्राइम ब्रांच जांच कर रही है। दैनिक भास्कर इस पोस्ट की पुष्टि नहीं करता है।
पोस्ट में धमकी भरे अंदाज में कहा गया है कि हमारे किसी भी भाई को कोई भी मरवाएगा तो हम प्रतिक्रिया जरूर देंगे। हमने पहले वार कभी नहीं किया। इस पोस्ट के आखिर में लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप, अनमोल बिश्नोई का हैशटैग भी लगाया गया है।
मर्डर केस में चौथे आरोपी की पहचान हुई बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में मुंबई क्राइम ब्रांच में इस मामले में अब तक 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। 3 आरोपी फरार हैं, उनकी तलाश जारी है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में हरियाणा के गुरमेल, UP के धर्मराज और पुणे से गिरफ्तार प्रवीण सोनकर हैं। प्रवीण हत्या की जिम्मेदारी लेने की पोस्ट करने वाले शुभम सोनकर का भाई है।
तीन आरोपियों के अलावा UP के शिव, पंजाब के जीशान अख्तर और शुभम सोनकर की तलाश जारी है। मुंबई कोर्ट ने गुरमैल को 7 दिन की पुलिस रिमांड में भेजा है। धर्मराज ने खुद को नाबालिग बताया है, जिसकी जांच की जा रही है।
बाबा सिद्दीकी: बांद्रा से पॉलिटिक्स शुरू की, 3 बार विधायक और मंत्री रहे 3 बार के विधायक रहे बाबा सिद्दीकी महाराष्ट्र में कांग्रेस का बड़ा चेहरा रहे हैं। वे कई बड़े आंदोलनों में भी शामिल रह चुके हैं। फरवरी 2024 में वो अजित पवार गुट वाली NCP में शामिल हुए। बाबा के बेटे जीशान सिद्दीकी बांद्रा ईस्ट से विधायक हैं।
कभी सुनील दत्त के बेहद करीब रहे बाबा ने 2004 से 2008 तक महाराष्ट्र के खाद्य मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। रमजान में उनकी इफ्तार पार्टीज मशहूर हैं। उसमें बॉलीवुड सेलिब्रिटीज भी पहुंचते थे। बाबा सिद्दीकी रियल एस्टेट बिजनेस से भी जुड़े थे। उनके पास मुंबई के दो स्लम के डेवलपमेंट का कॉन्ट्रैक्ट था। उनके बेटे जीशान के नाम पर भी कुछ रियल एस्टेट कंपनी, रेस्टोरेंट और प्रॉपर्टीज हैं। ……………………………….
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चुनाव में हार, गर्लफ्रेंड की हत्या, लॉरेंस कैसे बना गैंगस्टर:नाबालिग लड़कों का स्लीपर सेल बनाया, 700 शूटर्स; सिद्दीकी की हत्या की ली जिम्मेदारी
इस पोस्ट में लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप और अनमोल बिश्नोई को हैशटैग किया गया है। फिलहाल पुलिस पोस्ट की जांच कर रही है। लॉरेंस अभी गुजरात की साबरमती जेल में बंद है। इसी साल 14 अप्रैल को सलमान के घर के बाहर फायरिंग में भी उसका नाम आया था।
लॉरेंस बिश्नोई कौन है, वह गैंगस्टर कैसे बना, जेल में रहते हुए भी वह कैसे बड़े अपराधों को अंजाम देता है, आइए जानते हैं भास्कर एक्सप्लेनर में… 12 फरवरी 1993, जगह पंजाब का फाजिल्का। एक पुलिस कॉन्स्टेबल के घर एक बच्चे का जन्म हुआ। बच्चा गोरा-चिट्टा था। मां ने उसका नाम रखा लॉरेंस। लॉरेंस एक क्रिश्चियन नाम है, जिसका मतलब साफ और चमकता हुआ सफेद होता है। हालांकि, पुलिस रिकॉर्ड में लॉरेंस का नाम सतविंदर सिंह है।
लॉरेंस बचपन से ही काफी एक्टिव और स्पोर्टी था। वह कुश्ती लड़ता था, लेकिन उसके पिता का सपना था कि बेटा IAS ऑफिसर बने। अबोहर से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद लॉरेंस चंडीगढ़ चला गया। यहां उसने DAV कॉलेज में दाखिला लिया।
धीरे-धीरे उसने छात्र राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरू की और यहीं उसकी दोस्ती गोल्डी बराड़ से हुई। वही गोल्डी बराड़, जो विदेश में बैठकर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लिए काम करता है।
2011 में लॉरेंस ने चुनाव लड़ने के लिए एक संगठन बनाया। नाम रखा ‘स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी’ यानी SOPU। इसी बैनर तले उसने चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया। हार के बाद लॉरेंस अपमानित महसूस करने लगा। उसके मन में बदला लेने का भूत सवार हो गया। उसी साल उसने एक रिवॉल्वर खरीदी और उस गैंग से जा भिड़ा जिसके हाथों उसकी हार हुई थी।
दोनों गैंग के बीच बहस और हाथापाई हुई। इसी बीच लॉरेंस ने फायरिंग कर दी। तब पंजाब पुलिस ने उसके खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया था। लॉरेंस के खिलाफ ये पहला मामला था।
इसके बाद लॉरेंस ने अवैध गतिविधियों में शामिल होना शुरू कर दिया। वह गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया और रॉकी फाजिल्का की गैंग से जुड़ गया। भगवानपुरिया गुरदासपुर का रहने वाला था। उसने लॉरेंस को न केवल धंधे के गुर सिखाए बल्कि उसे अपने कामों में खुली छूट भी दी।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कॉलेज में पढ़ाई के दौरान लॉरेंस की एक लड़की से दोस्ती थी, जो बाद में प्यार में बदल गई। चुनाव हारने के बाद होने वाली गैंगवार में उसकी गर्लफ्रेंड की हत्या हो गई। जिसके बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा।
आगे चलकर लॉरेंस की दोस्ती संपत नेहरा से हुई। संपत पुलिस इंस्पेक्टर का बेटा था। उसे भी स्पोर्ट्स में खासी दिलचस्पी थी। लॉरेंस, गोल्डी और संपत ने मिलकर पंजाब के साथ-साथ हरियाणा में भी अपराध को अंजाम देना शुरू किया। इस तिकड़ी ने हरियाणा में काला जठेड़ी और दिल्ली में जितेंद्र गोगी के साथ गठबंधन किया। राजस्थान में आनंदपाल और बाद में उसकी शिष्या अनुराधा साझेदार बन गए।
यहीं से लॉरेंस बिश्नोई ऑर्गनाइज्ड क्राइम में शामिल हो गया। वो शराब माफिया, ड्रग स्मगलर्स और बिजनेसमैन से फिरौती मांगने लगा। 2012-13 में उस पर केस दर्ज हुए, तो उसने घर छोड़ दिया। फिर ग्रुप के साथ अलग-अलग शहरों में रहने लगा।
2014 में लॉरेंस बिश्नोई को राजस्थान में गिरफ्तार करके भरतपुर जेल भेजा गया था। हालांकि, वह ज्यादा दिनों तक पुलिस गिरफ्त में नहीं रह सका।
जब उसे पेशी के लिए मोहाली ले जाया जा रहा था तो वो वहां से पुलिस हिरासत से फरार हो गया। वह भागकर नेपाल पहुंच गया। कई महीनों तक वह नेपाल में रहा और वहीं से अपनी गतिविधियां चलाता रहा। 2016 में लॉरेंस को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। तब से अभी तक वह जेल में बंद है।
लॉरेंस के खिलाफ हत्या और जबरन वसूली सहित दो दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं। ED और NIA उसके खिलाफ जांच कर रही हैं। 30 अगस्त 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉरेंस के ऊपर CrPC की धारा 268 (1) भी लगा दी थी, ताकि उसे किसी भी हाल में साबरमती जेल से एक साल तक बाहर लाया ही न जा सके। उसकी पेशी अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होती है।
जिन वारदातों से जुड़ा लॉरेंस गैंग का नाम
1. सिद्धू मूसेवाला की हत्या, एक मिनट में 24 गोलियां बरसाईं 29 मई 2022, मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला थार में बैठकर चाट खाने के लिए जा रहे थे। ये गाड़ी उनके एक फैन ने दी थी। कुछ दूर चलने के बाद मूसेवाला को लगा कि कोई उनका पीछा कर रहा है, लेकिन उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। चंद मिनटों में एक गाड़ी ओवरटेक करते हुए सिद्धू के गाड़ी के आगे आ गई। एक युवक ने सिद्धू पर बंदूक तान दी।
फौरन सिद्धू ने भी फायर करना शुरू कर दिया। दोनों तरफ से करीब एक मिनट तक फायरिंग होती रही। इस गोलाबारी में सिद्धू की मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिद्धू के शरीर पर 24 गोलियों के निशान मिले थे।
लॉरेंस के साथी गोल्डी बराड़ ने मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। उसने तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई के साथ मिलकर मूसेवाला की हत्या की पूरी प्लानिंग की और फिर अपने शूटरों के जरिए हत्या को अंजाम दिया।
2. जयपुर के जी क्लब पर 10 मिनट तक फायरिंग करते रहे जनवरी 2023, राजस्थान की राजधानी जयपुर के जी क्लब में पार्टी चल रही थी। रात करीब साढ़े 11 बजे कुछ बदमाश यहां पहुंचे। पार्टी कर रहे लोगों से उनकी कहासुनी हुई तो वे बदमाश वापस लौट गए। कुछ ही मिनट के बाद दो बदमाश बाइक पर सवार होकर आए और क्लब के गेट पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। करीब 10 मिनट तक वे लगातार फायरिंग करते रहे। जी क्लब के सुरक्षा गार्डों ने अंदर और बाहर का मुख्य गेट बंद कर दिया था। ऐसे में फायरिंग के दौरान कोई हताहत नहीं हुआ। बाद में लॉरेंस बिश्नोई गैंग के रितिक बॉक्सर नाम के एक शख्स ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके हमले की जिम्मेदारी ली।
3. राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव गोगामेड़ी की हत्या 5 दिसंबर 2023, राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव गोगामेड़ी के घर तीन बदमाश घुसे और दनादन गोलियां चलाने लगे। सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को गंभीर हालत में मानसरोवर के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस हमले में एक शूटर की भी जान चली गई। लॉरेंस गैंग के रोहित गोदारा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके हमले की जिम्मेदारी ली।
4. सलमान खाने के घर को निशाना बनाया, 5 राउंड फायरिंग की 14 अप्रैल 2024, सुबह का 4.51 का वक्त। दो बाइक सवार अभिनेता सलमान खाने के बांद्रा वाले गैलेक्सी अपार्टमेंट पहुंचे। दोनों ने 5 राउंड फायरिंग की। इस फायरिंग में एक गोली सलमान के घर की दीवार पर लगी, वहीं एक गोली सलमान के घर पर लगे नेट को चीरती हुई उनके ड्राइंग रूम की दीवार पर लगी। फायरिंग के बाद दोनों शूटर्स अपनी बाइक मौके पर ही छोड़कर फरार हो गए। बाद में लॉरेंस के भाई अनमोल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर हमले की जिम्मेदारी ली थी।
लॉरेंस गैंग में 700 से ज्यादा शूटर्स, विदेशों से मंगाते हैं हथियार लॉरेंस गैंग में पेशेवर निशानेबाज शामिल हैं। वे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से काम करते हैं और उनका नेटवर्क दुनिया भर में फैला हुआ है।
कहा जाता है कि उसके गिरोह में 700 से ज्यादा शूटर्स हैं, जिनमें 300 से ज्यादा पंजाब से जुड़े हैं। हालांकि, गैंग सिर्फ दो लोगों के आदेश पर चलती है। पहला लॉरेंस बिश्नोई और दूसरा गोल्डी बराड़। बड़ा क्राइम करने का फैसला लॉरेंस बिश्नोई का होता है।
जेल में रहते हुए लॉरेंस हवाला के जरिए अपने शूटर्स तक पैसे पहुंचाता है। लॉरेंस के गुर्गे शराब कारोबारियों, व्यापारियों और सटोरियों के नंबर जेल में उसके पास पहुंचाते हैं। लॉरेंस धमकी देकर इन लोगों से करोड़ों की वसूली करता है। लॉरेंस ने जांच एजेंसी NIA को बताया था कि उसने तिहाड़ के अलावा राजस्थान के भरतपुर और पंजाब के फरीदकोट जेल में रहते हुए भी कई कारोबारियों से करोड़ों की वसूली की थी।
लॉरेंस गैंग पहले पंजाब तक ही सीमित था। बाद में उन लोगों ने सोशल मीडिया को प्रचार का जरिया बनाया। लॉरेंस बिश्नोई ने अपने करीबी गोल्डी बराड़ के साथ मिलकर हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान की गैंग से गठजोड़ किया और बड़ा गैंग बनाया। उसका गैंग अब पूरे नॉर्थ इंडिया में, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड तक फैल चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश, UP, बिहार के अलावा पाकिस्तान बॉर्डर से लगे पंजाब से इनके पास हथियार पहुंचते हैं। इसके अलावा पाकिस्तान, USA, रूस, कनाडा और नेपाल से भी ये लोग हथियार मंगाते हैं।
नाबालिगों का ब्रेनवॉश, स्लीपर सेल की तरह काम करता है लॉरेंस बिश्नोई और उसके गुर्गे सोशल मीडिया के जरिए नाबालिगों को स्लीपर सेल के रूप में भर्ती कर रहे हैं। वे नाबालिगों का ब्रेनवॉश करते हैं। इसी साल फरवरी में राजस्थान के बाल सुधार गृह से 22 अपचारी भाग गए। उसमें लॉरेंस का एक गुर्गा भी शामिल था, जिसने 2023 में जयपुर के जी क्लब पर फायरिंग की थी।
कहा जाता है कि लॉरेंस के गुर्गे ने बाल सुधार गृह के भीतर गैंग बना रखी थी। इसे बाहर से चायवाला और गार्ड सामान पहुंचाते थे। पिछले साल जयपुर पुलिस ने अपनी चार्जशीट में लॉरेंस के स्लीपर सेल का जिक्र किया था।
लॉरेंस के एक गुर्गे ने पुलिस को बताया था कि हमें एक टारगेट को पूरा करने के लिए 10 लाख रुपए तक मिलते हैं। अगर टारगेट पूरा करने से पहले वे पकड़े जाते हैं, तो जेल से छूटने के बाद उन जगहों पर फिर से फायरिंग करते हैं, जहां उन्होंने पहले रेकी की थी।
स्लीपर सेल से जुड़े गुर्गे पुलिस और जांच एजेंसियों से बचने के लिए बॉक्स कॉल के जरिए संपर्क में रहते हैं। बॉक्स कॉल करने से कॉल इंटरसेप्ट नहीं की जा सकती है, और ना ही कॉल लोकेट हो पाती है।
गैंग में शामिल होने के लिए लड़कों को ब्रांडेड कपड़े, पैसे और विदेश में सेटल होने का लालच दिया जाता है। नए मेंबर फेसबुक और इंस्टाग्राम के जरिए जोड़े जाते हैं।
लॉरेंस सीधे किसी से बात नहीं करता, शूटर्स भी एक-दूसरे से अनजान NIA की रिपोर्ट में दावा है कि लॉरेंस बिश्नोई सीधे किसी शूटर से बात नहीं करता है। वो गोल्डी बराड़, सचिन बिश्नोई और अनमोल बिश्नोई के जरिए अपना मैसेज शूटर्स तक पहुंचाता है। लॉरेंस के बाद गैंग में उसका सबसे करीबी दोस्त गोल्डी बराड़ है। इसके बाद उसका चचेरा भाई सचिन बिश्नोई है। इसके अलावा UAE में रहने वाला विक्रम बराड़और USA में रहने वाला दरमनजोत कहलवां का उसकी गैंग में अहम रोल है।
लॉरेंस गैंग में कई ऐसे शूटर्स भी हैं, जो एक साथ किसी क्राइम में शामिल होते हैं, लेकिन एक-दूसरे को जानते नहीं हैं। ये लोग किसी के जरिए खास जगह मिलते हैं। फिर टारगेट पूरा करते हैं। इसके पीछे उनका मकसद होता है कि अगर कोई शूटर पकड़ा भी जाता है, तो वो दूसरे के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता पाता।
लॉरेंस बिश्नोई के लिए जेल सबसे सुरक्षित जगह, जमानत के लिए अप्लाय नहीं करता लॉरेंस ने जमानत के लिए अभी अप्लाय नहीं किया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसा वह जानबूझकर कर रहा है। उसे पता है कि उसके लिए सबसे सुरक्षित जगह जेल ही है।
तिहाड़ जेल के पूर्व महानिदेशक संजय बेनीवाल एक मीडिया रिपोर्ट में बताते हैं, ‘लॉरेंस बिश्नोई की नेटवर्किंग जेल से बाहर जबरदस्त है। वह जेल को खुद के लिए सबसे सुरक्षित जगह मानता है। इसलिए वह कभी बाहर नहीं जाना चाहता। वो तो चाहता है कि उसे हमेशा हाई-सिक्योरिटी वाली जेल में ही रखा जाए, ताकि जेल से बाहर मौजूद उसके दुश्मन उस तक न पहुंच सकें।
NIA ने भी पिछले साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लॉरेंस का नेटवर्क जेल के अंदर रहते हुए ज्यादा मजबूत हुआ है। जेल में रहते हुए उसकी दूसरे गैंगस्टर से दोस्ती हुई। फिर इनके गुर्गों ने आपस में मिलकर जेल के बाहर नेटवर्क मजबूत किया। उसी नेटवर्क से फिरौती और टारगेट किलिंग करने लगे।
लॉरेंस बिश्नोई गैंग की कमाई के तरीके- फिरौती, ड्रग्स और हथियार लॉरेंस बिश्नोई की फंडिंग पर सीनियर जर्नलिस्ट आलोक वर्मा बताते हैं, ‘वसूली इस गैंग का सबसे बड़ा हथियार है। इससे गैंग करोड़ों रुपए कमाती है। ये अब ड्रग्स कारोबार से भी जुड़े हैं। पाकिस्तान से ड्रग्स की सप्लाई पंजाब और दूसरे राज्यों में कराने का सिंडिकेट भी चला रहे हैं।’
‘ये लोग पाकिस्तान से आई ड्रग्स बेचकर पैसा कमाते हैं, वो पैसा पाकिस्तान भेजकर हथियार मंगाते हैं। पाकिस्तान के रास्ते पंजाब में आए विदेशी और आधुनिक हथियारों का ये गैंग इस्तेमाल करती है। ये हम सिद्धू मूसेवाला मर्डर में देख चुके हैं। इसमें विदेशी हथियारों का इस्तेमाल हुआ था।’
अभिनेता सलमान खान के पीछे क्यों पड़ा है लॉरेंस बिश्नोई सितंबर 1998, राजस्थान के जोधपुर में फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ की शूटिंग चल रही थी। सलमान खान इस फिल्म में लीड एक्टर थे। 27-28 सितंबर की रात कांकाणी गांव में एक खेत के पास गाड़ी की लाइट चमकी। गांव वाले फौरन अपने घरों से निकले। उन्हें सफेद जिप्सी दिखी। वे भांप गए कि कोई शिकार करने आया है। इसी बीच गोली चलने की आवाज आई।
गांव वाले उस तरफ भागे, जहां से आवाज आई थी। पास पहुंचे तो जिप्सी को तेजी से वहां से भागते देखा। कुछ नौजवानों ने जिप्सी का पीछा भी किया, लेकिन वो भागने में कामयाब रहे.
अगले दिन अखबारों में इस घटना की खबर छपी। एक चश्मदीद ने दावा किया कि उसने भागती हुई जिप्सी में बैठे सलमान खान को पहचान लिया था। मामले की छानबीन शुरू हुई और वन विभाग की टीम घोड़ा फार्म्स पहुंच गई, जहां सलमान समेत ‘हम साथ साथ हैं’ के क्रू मेंबर ठहरे थे। वहां काले हिरण के अवशेष मिले।
2 अक्टूबर को ‘बिश्नोई समाज’ ने इस मामले में सलमान खान के खिलाफ FIR दर्ज कराई। सलमान खान की गिरफ्तारी हुई और उन्हें जेल जाना पड़ा।
दरअसल बिश्नोई समाज हिरण की पूजा करता है। वे हिरण के लिए कुछ भी कर गुजरने पर उतारू हो जाते हैं। 2018 में बिश्नोई समाज से आने वाले लॉरेंस बिश्नोई ने ऐलान किया कि काले हिरण के शिकार के लिए वो सलमान खान से बदला लेकर रहेगा और उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेगा।