साउथ की महिलाएं दिमाग लगाने-रिस्क लेने में आगे:देशभर से चुने गए 79 महिलाओं के आइडिया, दक्षिण भारत से 40 तो उत्तर से केवल 20

आज के समय में महिलाएं सिर्फ फूड और फैशन ही नहीं बल्कि आईटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भी स्टार्टअप शुरू कर रही हैं। फिर चाहे वह देश की बड़ी मेट्रो सिटीज में रहे या किसी राज्य के छोटे से शहर में काम करे। सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (STPI) के प्रोग्राम चुनौती 2.0 में देशभर से 79 महिला एंटरप्रेन्योर को चुना गया है। इसमें 40 महिलाएं दक्षिण भारत के 5 राज्यों से हैं। बाकी 12 राज्यों से 39 महिलाएं एंटरप्रेन्योर हैं।

अकेले आंध्र प्रदेश से आई 24 महिलाएं
चयनित महिलाओं में सबसे ज्यादा महिला एंटरप्रेन्योर्स दक्षिण भारत से देखी गई हैं। 79 में से 24 महिलाएं अकेले आंध्र प्रदेश से ही चुनी गई हैं। इसमें विजयवाड़ा से 20 और विशाखापट्टनम से 4 महिलाएं सिलेक्ट हुई हैं। ओडिशा के भुवनेश्वर से 9 महिलाओं के स्टार्टअप शामिल किए गए हैं। इस तरह दक्षिण के तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र से चुनी महिला एंटरप्रेन्योर्स को जोड़ा जाए तो इनकी संख्या 40 होती है। यानी साउथ की महिलाएं इनोवेशन के मामले में बाकी देश के बराबर हैं।
उत्तर भारत की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब राज्य से 20 महिलाओं के आइडिया को चुना गया है।

 

मेडिकल और एग्रीकल्चर में बदलाव लाना है इन महिलाओं की मंजिल
नेक्स्ट जनरेशन एडवांसमेंट से देश के हर सेक्टर में बदलाव लाने के लिए एसटीपीआई ने इस प्रतियोगिता को कई डोमेन में बांटा है। जैसे कि मेडिकल सेक्टर में एडवांसमेंट को मेड टेक, एजुकेशन में बदलाव लाने वाला एडुटेक में शामिल किया जाता है। इसी तरह फाइनेंस के लिए फिनटेक, एग्रीकल्चर के लिए एग्रिटेक, रिटेल टेक, ई-कॉमर्स, ई-गवर्नेंस आदि डोमेन बनाए गए हैं। स्टार्टअप कंपनियां भी इन्हीं डोमेन के अंतर्गत आवेदन करती हैं और उसी के अनुसार समस्या का नया समाधान निकालती हैं।

चुनौती 2.0 प्रोग्राम में महिलाएं सबसे अधिक मेड-टेक यानी मेडिकल समस्याओं से जुड़ी परेशानियों का समाधान निकालते हुए स्टार्टअप शुरू कर रही हैं।

आइए जानते हैं क्या है सरकार की यह पहल, महिलाएं कैसे उठा रहीं इसका लाभ …..

क्या है चुनौती 2.0, स्टार्टअप को कैसे पहुंचाता है फायदा
भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय के तहत आने वाली संस्था एसटीपीआई की ओर से देशभर में महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे स्टार्टअप को बूस्ट करने के लिए खास प्रोग्राम चलाया जा रहा है। नेक्स्ट जेनरेशन टेक्नोलॉजी स्कीम के तहत देशभर की 79 महिला एंटरप्रेन्योर्स के आइडियाज को सिलेक्ट किया गया। इस प्रतियोगिता का नाम चुनौती 2.0 रखा गया है।

इस प्रोग्राम में महिलाओं के आइडियाज सिलेक्ट होने पर उन्हें दो तरह से सहायता मिलती है। पहले आर्थिक तौर पर एक प्रोजेक्ट के लिए 25 लाख रुपए एसटीपीआई की तरफ से दिए जाते हैं। हर महीने 10 हजार रुपए का स्टाइपेंड भी दिया जाता है। दूसरा फायदा यह होता है कि उनके लिए मेंटर पूल तैयार किया जाता है। जहां देश की बड़ी- बड़ी कंपनियों के हेड उनके प्रोडक्ट को मार्केट के अनुसार तैयार करने के लिए गाइडेंस देते हैं। टेक्निकल सहायता मिलती है। मार्केट से सीधा कनेक्शन मिलता है। प्रोडक्ट या टेक्नोलॉजी को मार्केट में किस तरह लाना है यह कला सिखाई जाती है। स्टार्टअप आइडिया को प्रोडक्ट में बदलने के लिए एसटीपीआई इनोवेटर्स को पांच साल का समय देती है।

कितनी महिला एंटरप्रेन्योर्स के लिए मददगार बना चुनौती 2.0
एसटीपीआई की ओर से साल 2021 अगस्त में चुनौती 2.0 प्रोग्राम शुरू किया गया था। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से कुल 316 महिलाओं ने आवेदन किया था। इनमें से 79 महिलाओं के स्टार्टअप आइडिया को कई तरह के टेस्ट के बाद फाइनल सिलेक्ट किया गया। इस प्रोग्राम को एसटीपीआई ने खास महिलाओं को प्रेरित करने के लिए शुरू किया था।

इन छोटे शहरों में पहुंचकर महिलाओं को सिखाएंगे

एसटीपीआई के नेक्स्ट जनरेशन इनक्यूबेशन स्कीम ( एनजीआईएस) के तहत चुनौती प्रतियोगिता के साथ ही देश के छोटे शहरों में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एसटीपीआई सेंटर चलाए जाते हैं। यह सेंटर अगरतला, भिलाई, भोपाल, भुवनेश्वर, देहरादून, गुवाहाटी, जयपुर, लखनऊ, प्रयागराज, मोहाली, पटना और विजयवाड़ा में स्थित हैं। इस सेंटरों पर एसटीपीआई के मेंटर्स समय – समय पर नई टेक्नोलॉजी पर सेमिनार, वर्कशॉप आयोजित करते हैं। ताकि जो लोग किसी आइडिया पर काम कर रहे हैं और स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं उन्हें नए कनेक्शन मिल सके और सरकारी योजनाओं की जानकारी मिल सके।

इसी के साथ इन सेंटर्स पर चुनौती या इसी तरह के प्रोग्राम में सिलेक्ट हुए एंटरप्रेन्योर्स को काम करने के लिए सेफ स्पेस भी दिया जाता है। जिसे वह जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

देशभर की यह बड़ी कंपनियां करती हैं मेंटरशिप
चुनौती 2.0 में चयनित होने के बाद हर महिला एंटरप्रेन्योर को एक मेंटर दिया जाता है। वह उन्हें समय-समय पर गाइड करता है। प्रोडक्ट को इंडस्ट्री और यूजर के मुताबिक कैसे और किस तरह तैयार करना है इसमें भी मदद करते हैं। स्टार्टअप कंपनियों को एक्सपर्ट एडवाइस देते हैं। एसटीपीआई के मेंटर पूल में नैसकॉम फाउंडेशन के चेयरमैन से लेकर विप्रो, इनक्यूब और नेट सॉल्यूशन आदि बड़ी – बड़ी कंपनियों के फाउंडर और सीईओ शामिल हैं। एनजीआईएस सेंटर्स के चीफ मेंटर बनते हैं।

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