कौन हैं दरगाह को मंदिर बताने वाले विष्णु गुप्ता?
कौन हैं दरगाह को मंदिर बताने वाले विष्णु गुप्ता? कभी पीएम मोदी के लिए आडवाणी के खिलाफ किया था प्रदर्शन
हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने एक सिविल मुकदमा दाखिल किया है, जिसमें दावा किया गया है कि अजमेर दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई थी और इसे भगवान संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाना चाहिए। सिविल जज (जूनियर डिवीजन) मनमोहन चंदेल ने 27 नवंबर को मुकदमे के प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। जिन तीन पक्षों को नोटिस जारी किया गया है उनमें अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय शामिल हैं। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अधिवक्ता शशि रंजन कुमार सिंह के जरिए दरगाह समिति को परिसर से हटाने की मांग करते हुए यह मुकदमा दायर किया है। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई को दरगाह का सर्वेक्षण करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि मुख्य प्रवेश द्वार पर छत का डिजाइन हिंदू संरचना जैसा दिखता है, जो दर्शाता है कि यह स्थल मूल रूप से एक मंदिर था।
विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में आगे तर्क दिया है कि ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है जो दर्शाता हो कि अजमेर दरगाह खाली जमीन पर बनाई गई थी। इसके बजाय, ऐतिहासिक विवरण बताते हैं कि इस स्थल पर महादेव मंदिर और जैन मंदिर थे, जहां हिंदू भक्त अपने देवताओं की पूजा करते थे। इसलिए, मुकदमे में केंद्र सरकार को विवादित संपत्ति के स्थल पर भगवान संकटमोचन महादेव मंदिर के पुनर्निर्माण के निर्देश देने की मांग की गई है।
हालांकि, दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि यह वाद सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए है। यह हिंदुस्तान की वह दरगाह है, जिससे पूरी दुनिया के हर मजहब का आदमी जुड़ा हुआ है। हर मजहब के आदमी की आस्था दरगाह से जुड़ी हुई है। इस दरगाह की तारीख कोई सौ दो सौ साल पुरानी नहीं, लगभग 850 साल पुरानी है। सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि न्याय प्रक्रिया पर हम लोग नजर लगाए हुए हैं। हम अपने वकीलों से राय ले रहे हैं। हम वकीलों से आगे की प्रक्रिया की राय ले रहे हैं। जैसे ही हमें विशेषज्ञों का सुझाव मिलेगा, उसके अनुसार हम आगे की कानूनी कार्रवाई करेंगे।
विष्णु गुप्ता की वेबसाइट के अनुसार, वह गैर-लाभकारी संगठन हिंदू सेना के संस्थापक और वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। विष्णु गुप्ता का जन्म 10 अगस्त 1984 को उत्तर प्रदेश के एटा जिले के सकीट में हुआ था। जब वे छह साल के थे, तब वे आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए। विष्णु ने 2011 में हिंदू सेना की शुरुआत की थी।
विष्णु गुप्ता की वेबसाइट के अनुसार सात वर्ष की आयु में उन्होंने 1991 में अपने गांव सकीट में राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लिया, जिससे उन्हें राजनीतिक करियर बनाने की प्रेरणा मिली। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शिवसेना दिल्ली राज्य युवा शाखा के उपाध्यक्ष के रूप में शुरू किया। हालांकि, बाद में पार्टी के पद से इस्तीफा दे दिया।
विष्णु की अपनी वेबसाइट के मुताबिक, ‘एटा निवासी विष्णु ने साल 2011 में कुछ समर्थकों के साथ मिलकर एक गैर-लाभकारी संगठन हिंदू सेना की शुरुआत की। हिंदू सेना की स्थापना हिंदू समुदाय के उत्थान और संरक्षण के एकमात्र उद्देश्य से की गई। आज इस संगठन की दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, जम्मू और कश्मीर और महाराष्ट्र राज्यों में सक्रिय इकाइयां हैं।’
वेबसाइट पर मौजूदा जानकारी के अनुसार, विष्णु गुप्ता ने समय-समय पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं। विष्णु को वामपंथियों के खिलाफ उनके विरोध के कारण 2011 से कई बार हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कई बार पाकिस्तान और चीन के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं। विष्णु गुप्ता ने बलूचिस्तान की आजादी के लिए प्रदर्शन का नेतृत्व भी किया है। हिंदू सेना ने 2013 में तत्कालीन भाजपा प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के समर्थन में लाल कृष्ण आडवाणी के घर के सामने विरोध प्रदर्शन किया था।
राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के नेतृत्व वाली हिंदू सेना भारत में ट्रंप के सबसे पुराने समर्थकों में से एक है। विष्णु गुप्ता ने समय-समय पर राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित किए हैं और साथ ही विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अभियान भी चलाया है। 2016 में विष्णु गुप्ता ने तत्कालीन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत सुनिश्चित करने के लिए एक अनुष्ठान हवन का आयोजन किया था।
अजमेर दरगाह मामले से पहले भी विष्णु गुप्ता या उनके संगठन ने अलग-अलग मामलों में अदालत का रुख किया है। मई 2022 में विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी विवाद में एक हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया था। इस अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा दायर याचिका को खारिज करने की मांग की गई थी, जिसने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण को चुनौती दी थी। हालांकि, 2022 में ही सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ ने गुप्ता की हस्तक्षेप आवेदन को खारिज कर दिया था।
इसके बाद विष्णु गुप्ता की हिंदू सेना की ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका को दाखिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। हालांकि, फरवरी 2023 में जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हिंदू सेना की याचिका को खारिज कर दिया।
इसी साल अप्रैल 2024 में हिंदू सेना ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका के जरिए अरविंद केजरीवाल को उनकी गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की थी। यह याचिका भी अदालत ने खारिज कर दी थी।