भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के बीच सीधा संबंध बताने के लिए कोई डेटा नहीं है। सरकार ने एक सवाल के लिखित जवाब में शुक्रवार को लोकसभा में इस बात की जानकारी दी।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने लोकसभा में बताया कि सांस से संबंधित रोगो के लिए वायु प्रदूषण एक गंभीर कारक है, लेकिन बीमारी से इसका सीधा संबंध बताने के लिए हमारे पास आधिकारिक रूप से कोई डेटा नहीं है। उन्होंने एक लिखित जवाब में कहा कि वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर में कई अन्य चीजें भी शामिल हैं, इनमें खाना खाने की आदतें, व्यावसायिक आदतें, सामाजिक आर्थिक स्थिति, चिकित्सा इतिहास, प्रतिरक्षा और आनुवंशिकता आदि शामिल हैं।
आगे उन्होंने बीमारियों से बचने के लिए सरकार की योजनाओं और स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बरे में जानकारी दी। प्रतापराव जाधव ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं (पीआईपी) के के रुप में मिले प्रस्तावों के आधार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
उन्होंने आगे कहा कि चिकित्सा अधिकारियों, विशेषज्ञों, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, पीआरआई सदस्यों, प्रहरी साइट नोडल अधिकारियों के लिए जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर प्रशिक्षण और निगरानी प्रणाली को मजबूत करने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है।
केद्रीय राजयमंत्री ने बताया कि सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के मुद्दों के समाधान के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें 2019 से देश में जलवायु-संवेदनशील स्वास्थ्य मुद्दों पर जागरूकता, क्षमता निर्माण, स्वास्थ्य क्षेत्र की तैयारीऔर साझेदारी से संबंधित गतिविधियां पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनपीसीसीएचएच) का कार्यान्वयन शामिल है। एनपीसीसीएचएच ने वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों के लिए स्वास्थ्य अनुकूलन योजना तैयार की है। इसके साथ ही इसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए भी जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य को लेकर भी राज्य कार्य योजना भी विकसित की है। राज्य केंद्रित इस योजना में वायु प्रदूषण को लेकर भी तमाम चीजें शामिल की गईं हैं।
इसके अलावा, समय समय पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के उपाय सुझाते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाह भी जारी करता है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा किजून में विश्व पर्यावरण दिवस, सितंबर में स्वच्छ वायु अंतर्राष्ट्रीय दिवस और राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के मौके पर भी राज्यों के समन्वय से राष्ट्रव्यापी जन जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं।
देश में गंभीर है वायु प्रदूषण की स्थिति
देश मे वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर है। देश की राजधानी दिल्ली में तो हालत बद से बदतर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर चिंता जाहिर की है। राजधानी में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू है। लेकिन, इसका असर देखने को नहीं मिला है। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, इस साल पूरे नवंबर माह में सांसों पर संकट रहा है। इसमें 21 दिन ऐसे रहे जब हवा बेहद खराब रही। जबकि वर्ष 2023 में 17 दिन ही बेहद खराब हवा वाले थे। इसमें चार दिन हवा खराब श्रेणी में दर्ज की गई थी। वहीं, 2022 में यही 15 दिन बेहद खराब थे। इस दौरान खराब हवा वाले 12 दिन और केवल तीन दिन ऐसे थे जब हवा गंभीर श्रेणी में थी। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की दशा सुधरने के बजाए इस बार और बिगड़ गई है। हवा की गति चार किलोमीटर प्रतिघंटे तक रही है, जबकि 10 किलोमीटर प्रतिघंटे होनी चाहिए।