शिंदे किस बूते अड़े रहे, उन्हें दरकिनार क्यों नहीं कर सकती BJP ?
23 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव रिजल्ट जारी होने के बाद 10 दिन बीत चुके हैं। कल 5 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण होना है। इसके एक दिन पहले यानी 4 दिसंबर तक CM के नाम का ऐलान नहीं हुआ।
महाराष्ट्र में अब तक CM का ऐलान क्यों नहीं हुआ
पार्ट- 1: एकनाथ शिंदे किस वजह से अड़े रहे? एकनाथ शिंदे इन 3 प्रमुख वजहों से CM पद या अहम मंत्रालय चाहते हैं…
1. विरासत की लड़ाई जीतकर भी पार्टी चलाना मुश्किल होगा एकनाथ शिंदे के लिए CM की कुर्सी छोड़ना उनके राजनीतिक करियर के लिए जोखिम भरा फैसला है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी बताते हैं कि 57 सीट जीतकर शिंदे शिवसेना की विरासत की लड़ाई को तकरीबन जीत चुके हैं।
ऐसे में अगर उन्हें CM की कुर्सी और ताकतवर मंत्रालय नहीं मिले तो उनके कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी असर पड़ेगा। पार्टी चलाने के लिए सबसे जरूरी फंडिंग पर भी गहरा असर पड़ेगा। ऐसे में पार्टी काे जोड़े रखना और उसका विस्तार करना बड़ी चुनौती हो जाएगी।
2. खुद को ठाकरे का वारिस बताने वाले शिंदे की छवि होगी कमजोर शिंदे के बयानों से साफ है कि उनकी नजर अभी भी CM की कुर्सी पर है। ऐसे में अगर उनकी पार्टी को गृह और वित्त जैसे मजबूत विभाग भी नहीं मिले तो महाराष्ट्र में उनकी छवि बेहद कमजोर हो जाएगी।
शिंदे अपनी छवि झंडा उठाने वाले नेता की नहीं बनने देना चाहते हैं। यह उनके लिए राजनीतिक अस्तित्व और पहचान का सवाल भी है।
3. हिंदुत्व की विचारधारा भी शिंदे के काम नहीं आएगी जून 2022 में उद्धव ठाकरे की शिवसेना में टूट के बाद एकनाथ शिंदे हिंदुत्व की राजनीति करने लगे। उन्होंने बगावत की वजह बताते हुए कहा था, ‘जब राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी, उसमें भी मैं था, लेकिन वो सरकार बालासाहेब ठाकरे के विचारों के खिलाफ थी। मैंने उद्धव ठाकरे को बहुत समझाया, लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया।’
अब शिंदे और भाजपा दोनों ही दल हिंदुत्व की राजनीति कर रहे हैं। उनके मुद्दे भी एक जैसे हैं। ऐसे में प्रदेश की राजनीति में शिंदे की शिवसेना के सामने विपक्षी दलों से ज्यादा भाजपा ही चुनौती बनेगी। महाराष्ट्र में इससे पहले भी भाजपा और शिवसेना के बीच ऐसी परिस्थिति बन चुकी है।
पार्ट-2: शिंदे की शिवसेना को BJP दरकिनार क्यों नहीं कर सकती? भाजपा ने अकेले 132 सीटों पर जीत हासिल की है। इसके अलावा एक निर्दलीय जीते विधायक ने भी भाजपा को समर्थन दिया है। ये संख्या बहुमत के आंकडे से मात्र 12 सीट कम है। ऐसे में भाजपा केवल NCP अजीत पवार के साथ मिलकर भी आसानी से सरकार बनाने की स्थिति में है।
इसके बावजूद मुख्यमंत्री के नाम का पेंच सुलझाने के लिए भाजपा अभी भी एकनाथ शिंदे को नजरअंदाज नहीं कर पा रही है। इसके तीन अहम कारण ये हैं…
1. मराठाओं की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती भाजपा एकनाथ शिंदे मराठा हैं। उनकी जगह भाजपा CM पद के लिए किसी दूसरे नेता का नाम बेहद संभलकर आगे बढ़ाना चाहती है। ताकि एकनाथ शिंदे की जगह कोई दूसरा नाम फाइनल होने पर भी मराठाओं के बीच कोई निगेटिव मैसेज नहीं जाए।
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार मराठा राज्य की 13 करोड़ आबादी का कम से कम 28 फीसदी हैं। 8 जिलों की 46 विधानसभा सीटों पर मराठा वोटर्स का खासा प्रभाव है। ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा मराठाओं की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है।
इस इलाके में महायुति गठबंधन ने 46 में से 41 सीटें जीती हैं। अकेले शिवसेना (शिंदे) यहां 16 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से उसने 13 सीटों पर जीत हासिल की है।
शिवसेना शिंदे गुट से 7 सांसदों ने भी केंद्र में भाजपा सरकार को समर्थन दिया है। शिंदे का साथ छूटने पर केंद्र में NDA सरकार भी कमजोर होगी। BJP यह अफोर्ड नहीं कर सकती।
2. भाजपा को मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनाव का डर मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन देश की सबसे बड़ी म्युनिसिपल बॉडी है। इसका सालाना बजट करीब 60 हजार करोड़ रुपए है। यहां अभी भी शिवसेना का उद्धव गुट सत्ता में है। जब शिवसेना से शिंदे अलग हुए तो मुंबई के कई बड़े नेता उनके साथ उद्धव गुट से अलग हुए थे।पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक,
मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन पर काबिज रहने वाली पार्टी आमतौर पर फाइनेंशियल तौर पर मजबूत होती है। यही वजह है कि हर दल इस म्युनिसिपल चुनाव को जीतना चाहता है। भाजपा को पता है कि इस चुनाव में उद्धव की पार्टी को हराने के लिए शिंदे का साथ जरूरी है। यही वजह है कि अभी हर हाल में BJP शिंदे को अपने साथ रखना चाहती है।
3. शिंदे की नाराजगी से उद्धव को मिलेगी ताकत पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई बताते हैं कि अगर शिंदे महायुति से अलग हुए तो उद्धव को इसका फायदा होगा। जनता को लगेगा कि शिंदे को भाजपा ने यूज एंड थ्रो कर दिया है। ऐसे में एक बार फिर से महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की इमेज मजबूत होगी। शिवसेना को तोड़ने के बाद पहली बार भाजपा प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनी है। अगर उद्धव मजबूत हुए तो एक बार फिर भाजपा के सामने चुनौती बढ़ेगी।
पार्ट- 3: नतीजों की घोषणा के बाद पिछले 10 दिनों में क्या-क्या हुआ?
- 23 नवंबर: रिजल्ट के बाद एकनाथ शिंदे बोले- CM तीनों पार्टियां मिलकर तय करेंगी। वहीं, BJP नेता फडणवीस ने भी कहा था, एक हैं तो सेफ हैं।
- 27 नवंबर: ठाणे में एकनाथ शिंदे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, ‘भाजपा का CM हमें मंजूर है। मुझे पद की लालसा नहीं। जब मैं मुख्यमंत्री था तब मोदी जी मेरे साथ खड़े रहे। अब वो जो फैसला लेंगे स्वीकार होगा।’
- 28 नवंबर: एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने दिल्ली में करीब ढाई घंटे तक गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मीटिंग की। शिंदे ने आधे घंटे तक शाह से अकेले मुलाकात की।
- 29 नवंबर: महायुति की बैठक टाल दी गई। एकनाथ शिंदे अचानक मुंबई से अपने घर सातारा चले गए। खबर आई कि शिवसेना मुख्यमंत्री पद के बदले गृह और वित्त मंत्रालय मांग रही है। शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा- अगर शिंदे डिप्टी CM का पद स्वीकार नहीं करते हैं तो पार्टी से ही दूसरा चेहरा ये पद संभालेगा।
- 30 नवंबर: महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बवानकुले ने कहा कि शपथ ग्रहण 5 दिसंबर को होगा। अजित पवार ने कहा कि CM भाजपा से होगा और शिवसेना-NCP के डिप्टी CM होंगे।
- 1 दिसंबर: शिंदे दो दिन अपने पैतृक गांव सातारा में रहे। रविवार को वे सातारा के एक मंदिर गए। कुछ देर बाद मीडिया से बातचीत में कहा- व्यस्त चुनावी कार्यक्रम के बाद मैं यहां आराम करने आया था। प्रधानमंत्री मोदी और शाह जिसे CM तय करेंगे वो मुझे स्वीकार होगा।
- 2 दिसंबर: एकनाथ शिंदे मुंबई लौटे तो सरकारी आवास न जाकर ठाणे में अपने घर पहुंचे। उनकी सभी बैठकें रद्द कर दी गईं।
- 3 दिसंबर: भाजपा ने गुजरात के पूर्व CM विजय रूपाणी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ऑब्जर्वर बनाकर मुंबई भेजा। दोपहर करीब 2 बजे खबर आई कि शिंदे की तबीयत खराब है और उन्हें ठाणे के जुपिटर अस्पताल ले जाया गया। दोपहर बाद महायुति की प्रस्तावित बैठक रद्द कर दी गई। देर शाम भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने CM आवास वर्षा में कार्यवाहक CM शिंदे से मुलाकात की है। फडणवीस से पहले भाजपा नेता गिरीश महाजन और उदय सामंत ने मंत्रालय के बंटवारे को लेकर शिंदे से मुलाकात की थी।