विपक्ष के भीतर विपक्ष!

विपक्ष के भीतर विपक्ष! क्या INDIA में कांग्रेस को साइडलाइन करने की है तैयारी?

ममता बनर्जी ने पहली बार खुलकर इंडिया गठबंधन की कमान संभालने की बात कही है. ममता का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब इंडिया गठबंधन के करीब 4 दल कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस को इंडिया में साइडलाइन करने की तैयारी है?

विपक्ष के भीतर विपक्ष! क्या INDIA में कांग्रेस को साइडलाइन करने की है तैयारी?

क्या INDIA में कांग्रेस को साइडलाइन करने की है तैयारी?

हरियाणा और महाराष्ट्र में करारी हार के बाद इंडिया गठबंधन के भीतर ही सियासी घमासान शुरू हो गया है. शुरुआत तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के एक बयान से हुई है, जिसमें ममता ने इंडिया गठबंधन के प्रमुख पद पर दावेदारी कर दी है. ममता की इस दावेदारी को जहां समाजवादी पार्टी और शिवसेना (यूबीटी) जैसे दलों का समर्थन मिला है. वहीं कांग्रेस इसका विरोध कर रही है.

साल 2023 में कांग्रेस के नेतृत्व में 26 विपक्षी दलों ने मिलकर इंडिया का गठबंधन तैयार किया था. लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को 236 सीटों पर जीत मिली थी और गठबंधन ने यूपी, महाराष्ट्र, बंगाल और राजस्थान जैसे राज्यों में एनडीए को कड़ी टक्कर दी थी.

विपक्ष के भीतर विपक्ष की स्थिति, 3 फैक्ट्स

1. अडानी मुद्दे पर सपा-टीएमसी का अलग रुख

संसद के भीतर उद्योगपति गौतम अडानी के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी और तृणमूल का कांग्रेस से अलग स्टैंड है. दोनों ही पार्टियों ने कांग्रेस की तरफ से लगातार उठाए जा रहे इस मसले को खुद को किनारे कर लिया है.

टीएमसी ने तो हाल ही में राहुल गांधी की मीटिंग का बायकॉट तक कर दिया था. पार्टी का कहना है कि किसी एक व्यक्ति के मुद्दे पर संसद को हंगामें की भेट नहीं चढ़ाया जाना चाहिए. समाजवादी पार्टी भी इस मुद्दे से ज्यादा और भी कई मुद्दे को अहम बता चुकी है.

शरद पवार की एनसीपी पहले से ही अडानी के मुद्दे पर नरम रवैया अपना चुकी है. दिलचस्प बात है कि कांग्रेस के राहुल गांधी अडानी मुद्दे पर सबसे ज्यादा हमलावर हैं.

2. संभल मुद्दे पर सपा की रडार पर कांग्रेस

उत्तर प्रदेश के संभल में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर हाल ही में हिंसक घटनाएं हुई थीं. इस घटना में करीब 5 लोगों की मौत हो गई है. सपा इस मसले को लगातार लोकसभा में उठा रही है. सपा का कहना है कि हिंसा सरकार के इशारे पर कराई गई है. यूपी में समाजवादी पार्टी प्रमुख विपक्षी पार्टी है.

सपा जहां इस मुद्दे पर मुखर थी. इसी बीच नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संभल जाने का ऐलान कर दिया. कहा जाता है कि राहुल ने इस मुद्दे पर अपने सहयोगी सपा को कन्फिडेंस में नहीं लिया. हालांकि, राहुल ऐलान के बावजूद संभल नहीं जा पाए, लेकिन राहुल के ऐलान से सपा नाराज हो गई.

सपा के प्रमुख महासचिव राम गोपाल यादव ने इसे कांग्रेस की नौटंकी करार दे दिया. यादव का कहना था कि कांग्रेस सिर्फ दिखावे के लिए संभल मुद्दे को उठा रही है.

3. अब इंडिया गठबंधन के भीतर नेता को लेकर रार

इस मुद्दे को ममता बनर्जी ने हवा दी है. ममता ने कहा है कि मैंने इंडिया का गठबंधन तैयार किया था. अगर मुझे इसका नेतृत्व दिया जाता है तो मैं इसे स्वीकार कर लूंगी. दिलचस्प बात है कि इंडिया गठबंधन में शामिल ममता ने लोकसभा के चुनाव में एकला चलो की राह पकड़ ली थी.

ममता ने कांग्रेस को बंगाल की एक भी सीट नहीं दी थी, जिसके बाद कांग्रेस सीपीएम के साथ मैदान में उतरी. अब ममता ने जिस तरीके से इस मुद्दे को हवा दी है. उससे भी सवाल उठ रहे हैं.

कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने इस मुद्दे को उठाने की वजह से ममता बनर्जी को बीजेपी का एजेंट तक बोल दिया है. हालांकि, कांग्रेस के दिग्गज इस पर अभी पूरी तरह चुप हैं.

क्या कांग्रेस को साइड लाइन की है तैयारी?इंडिया गठबंधन में लगातार खटपट की बड़ी वजह महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार है. दोनों ही राज्यों में कांग्रेस मुख्य लड़ाई में थी, लेकिन बीजेपी नीत एनडीए से बुरी तरह परास्त हो गई. इंडिया गठबंधन बनने के बाद अब तक 12 राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए हैं, जिनमें से 4 राज्यों में कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से था. ये राज्य हैं- छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा.

कांग्रेस इन चारों ही राज्यों में बुरी तरह हार गई. कांग्रेस सिर्फ झारखंड और तेलंगाना में जीत पाई है. तेलंगाना में उसका मुकाबला केसीआर की पार्टी से था, जबकि झारखंड में हेमंत सोरेन की पार्टी बड़े भाई की भूमिका में थी.

इंडिया के भीतर अब जिस तरीके से ममता ने मांग की है, उससे यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या गठबंधन के भीतर कांग्रेस को साइड लाइन करने की तैयारी है?

संख्या की लिहाज से देखा जाए तो कांग्रेस के पास लोकसभा की 100 और राज्यसभा की 25 सीटें हैं. वहीं उसके सहयोगियों के पास लोकसभा की 136 और राज्यसभा की 61 सीटें हैं.

लोकसभा में तृणमूल के पास 28 और राज्यसभा में 12 सांसद हैं. समाजवादी पार्टी के पास भी लोकसभा के 37 और राज्यसभा के 4 सांसद हैं. शिवसेना (यूबीटी) के पास लोकसभा के 9 और राज्यसभा के 2 सांसद हैं. इन तीनों के पास लोकसभा में 74 और राज्यसभा में 18 सांसद हैं.

अरविंद केजरीवाल पहले ही दिल्ली में कांग्रेस से अलग लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. केजरीवाल के पास लोकसभा के 4 और राज्यसभा के 10 सांसद हैं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने के लिए केजरीवाल भी ममता के समर्थन में आ सकते हैं.

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