पत्नी व उसके परिवार की प्रताड़ना और दो वर्ष में कोर्ट की 120 तारीखें इसके बावजूद न्याय न मिलने के कारण 34 वर्षीय आईटी पेशेवर अतुल सुभाष ने मौत को चुना। आत्महत्या को अंतिम विकल्प मानते हुए अतुल ने दुनिया से जाने से पहले करीब डेढ़ घंटे का वीडियो व 24 पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें शादीशुदा जिंदगी के सामाजिक तानेबाने की खामियां, साथी के लालच और षड्यंत्र की दास्तां, कानूनी महकमे में भ्रष्टाचार को उजागर किया। उन्होंने अपने पीछे छूटे माता-पिता व चार साल के बेटे की सलामती की दुआ भी की। सुसाइड नोट और वीडियो संदेश कुछ मित्रों व वैवाहिक मामलों से त्रस्त पुरुषों की मदद करने वाली एक एनजीओ से साझा करते हुए अतुल ने खुदकुशी कर ली।
मामले में मराठाहल्ली पुलिस ने अतुल के भाई विकास कुमार की शिकायत पर अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया समेत चार लोगों के खिलाफ बीएनएस की धारा 108 और 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज की है। निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा सिंघानिया, भाई अनुराग सिंघानिया और चाचा सुशील सिंघानिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
बंगलूरू पुलिस को अतुल की आत्महत्या की खबर एनजीओ से मिली। सूचना पर मंजूनाथ लेआउट स्थित फ्लैट पर पहुंची पुलिस को उनका शव पंखे से लटकते मिला, जिनके सीने पर गोंद से चस्पा पन्नों में लिखा था न्याय अभी बाकी है। पुलिस को घर से 24 पन्ने का एक सुसाइड नोट मिला, जिनमें चार पन्ने हाथ से और 20 कंप्यूटर से प्रिंट किए गए थे। अतुल ने इन 24 पन्नों में अपने भावनात्मक संकट, पत्नी की प्रताड़ना और न्यायपालिका से मिली निराशा बयां की। सुसाइड नोट के मुताबिक, अतुल सुभाष बंगलूरू में एक निजी कंपनी में शीर्ष पद पर कार्यरत थे। 2019 में जौनपुर की निकिता सिंघानिया से शादी हुई और एक साल बाद ही बेटा हो गया।
आत्महत्या से पहले अतुल सुभाष ने बनाया वीडियो – फोटो : ANI
कई आरोप लगाकर 9 मामले दर्ज कराए
सुसाइड नोट के मुताबिक, पत्नी निकिता एक आईटी कंपनी में नौकरी करती है। 2021 में पत्नी बेटे को लेकर मायके जौनपुर आ गई और अतुल व उसके परिवार पर दहेज उत्पीड़न, हत्या की कोशिश, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने समेत 9 अलग-अलग मामले दर्ज करा दिए। 40 हजार रुपये महीना के गुजारा भत्ता के अलावा दो-चार लाख रुपये की और मांग की। कर्नाटक पुलिस ने अतुल के भाई की शिकायत पर उसकी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग उर्फ पीयूष सिंघानिया, चचेरा ससुर सुशील सिंघानिया के खिलाफ बीएनएस की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है।
मामला निपटाने को मांगे 5 लाख रुपये… मेरा फैसला बाकी है
अतुल ने सुसाइड नोट में लिखा कि उनके खिलाफ नौ मामलों में छह के मुकदमे ट्रायल कोर्ट और तीन हाईकोर्ट में थे। दो साल में कोर्ट की 120 तारीखें लगीं, जिससे पूरी तरह टूट गया। जौनपुर अदालत की जज और उनके स्टाफ ने मामला निपटाने के लिए पांच लाख रुपये की रिश्वत भी मांगी। अतुल ने लिखा, इस सिस्टम ने मुझे न्याय नहीं दिया, मेरा फैसला बाकी है।
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आत्महत्या से पहले अतुल सुभाष ने बनाया वीडियो …
पत्नी ने कहा था-सब मरते हैं तो तुम क्यों नहीं मर जाते? तो लो वही सही
सुसाइड नोट में जौनपुर की परिवार अदालत की एक सुनवाई का जिक्र करते हुए अतुल ने कहा कि उन्होंने जज के समक्ष जब बताया कि उनकी पत्नी ने झूठे मामले दर्ज किए हैं, तो जज ने कहा, तो क्या हुआ? वह आपकी पत्नी है और यह आम बात है। अतुल ने कहा कि झूठे मामलों के कारण कई लोग मर जाते हैं, तो निकिता ने कहा कि आप भी ऐसा क्यों नहीं करते? इस पर जज ने जोर से ठहाका लगाया। अतुल ने लिखा, पत्नी ने ही मुझे सही रास्ता दिखाया। मर जाना ही इन सब का अंत है। अतुल ने बताया कि उनकी पत्नी ने शुरू में 1 करोड़ रुपये की मांग की, बाद में मांग बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये कर दी।
मेरी मेहनत का पैसा मेरे दुश्मनों को मजबूत कर रहा
अतुल ने लिखा, मेरी पत्नी और उसके परिवार वाले मुझे मेरे बेटे से नहीं मिलने देते। ये लोग मुझसे सिर्फ पैसे मांग रहे हैं। अब तक लाखों दे चुका हूं। मैं जितनी अधिक मेहनत करूंगा और अपने काम में बेहतर होता जाऊंगा, उतना ही मुझे और मेरे परिवार को परेशान किया जाएगा। जबरन वसूली की जाएगी और पूरी कानूनी व्यवस्था मुझे परेशान करने वालों के साथ है। मेरे पैसे से मेरे दुश्मन मजबूत हो रहे हैं। मैं अपने वेतन पर जो टैक्स देता हूं, उससे पुलिस, कानूनी व्यवस्था मुझे और मेरे परिवार को परेशान करने में मदद कर रही है। अब मेरे जाने के बाद, कोई पैसा नहीं होगा और मेरे बूढ़े माता-पिता और मेरे भाई को परेशान करने का कोई कारण नहीं होगा। मैंने भले ही अपने शरीर को नष्ट कर दिया हो, लेकिन इसने वह सब कुछ बचा लिया है, जिस पर मैं विश्वास करता हूं।
अंतिम इच्छा : मरने के बाद शव के पास भी ना आ पाए पत्नी
अतुल ने सुसाइड नोट में कुछ अंतिम इच्छाएं भी लिखीं। उन्होंने साफ किया कि मरने के बाद पत्नी और उसके परिवार वालों को शव के पास भी नहीं आने दिया जाए। बेटे की कस्टडी उनके माता-पिता को दी जाए, क्योंकि पत्नी उसे अच्छे संस्कार देकर नहीं पाल सकती। अतुल ने लिखा कि उनकी अस्थियों का विसर्जन तब तक न किया जाए जब तक पत्नी और उसके परिजनों को सजा नहीं हो जाती। अगर उन्हें सजा न हो तो उनकी अस्थियों को अदालत के बाहर गटर में ही बहा दिया जाए। अतुल ने यूपी के मुकाबले कर्नाटक की अदालतों पर अधिक भरोसा जताया और आगे पत्नी के खिलाफ बंगलूरू की अदालत में मुकदमा चलाने की मांग की।