बनारस में गंगा घाट पर लगी ‘जनता की अदालत’, निर्भया के दोषियों के पुतलों को दी गई फांसी

वाराणसी: निर्भया गैंगरेप मामले में चारों दोषियों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी कर दिया है. चारों आरोपियों को 20 मार्च को फांसी दी जानी है. इस बीच अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर वाराणसी के गंगा घाट पर लोगों ने निर्भया के चारों दोषियों के पुतले को फांसी दी. काशीवासियों ने बाबा विश्वनाथ को साक्षी मानकर गंगा तट पर लघु नाटक के माध्यम से चारों आरोपियों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत किया और उनके प्रतीकात्मक पुतले को फांसी पर लटकाया.

गंगा घाट पर रंगकर्मियों द्वारा एक लघु नाटक का मंचन किया गया जिसमें अदालत लगाई गई. इस नाटक में जज की भूमिका में अष्टभुजा मिश्र, निर्भया के वकील के रूप में गौरव कुमार सिंह, बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह के रूप में वृजेश उपाध्याय और निर्भया की मां के रूप में नीलम मौर्या ने हिस्सा लिया. सुनवाई पूरी होने के बाद जज ने अपना फैसला सुनाया. जज ने कहा, ‘काशी यह मांग करती है कि दोषियों को अब अविलंब फांसी दी जाए.’

‘जनता की अदालत’ ने दोषियों को दी प्रतीकात्मक फांसी
आपको बता दें कि निर्भया के दोषियों को अदालत की ओर से चौथी बार डेथ वारंट जारी किया गया है. इससे पहले तीन बार उनकी फांसी टल चुकी है. ‘घाट वॉक’ के संस्थापक प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने कहा, ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’ वाली भोलेनाथ की नगरी में दंड का तात्काल प्रावधान है. जनता को उम्मीद थी कि इस बार होलिका जलाने से पहले दरिंदे फांसी पर झूलेंगे. मगर कानून के लचीलेपन के कारण वे चारों बचते चले जा रहे हैं. ऐसे में हम लोगों ने दरिंदों के प्रतीकात्मक पुतले को फांसी पर लटकाकर मानसिक शांति प्राप्त की है. हमने देश की सभी बेटियों-माताओं और बहनों को सम्मान देने और उनकी सुरक्षा का संकल्प लिया है.’

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