गुमनाम नायकों को पद्म सम्मान !
गुमनाम नायकों को पद्म सम्मान: इन 16 विभूतियों ने अपने हुनर से समाज को राह दिखाई; जानिए इन हस्तियों का योगदान
देश के सर्वोच्च अलंकरणों के लिए कला, साहित्य-शिक्षा, खेल, चिकित्सा और सामाजिक कार्य से जुड़ीं 139 शख्सियतों को चुना गया है। इनमें गोवा स्वतंत्रता आंदोलन की सेनानी 100 साल की लीबिया लोबो सरदेसाई हैं, तो कुवैत की योग प्रिशिक्षक शेखा एजे अल सबा भी शामिल हैं।

गुमनाम नायकों को भी पद्म सम्मान मिला ….
76वें गणतंत्र दिवस से पहले भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों की घोषणा की गई। इस साल पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से नवाजी जाने वाले 139 हस्तियों में कई ऐसी हैं जिन्हें गुमनाम नायकों के रूप में जाना जाता है। इस साल 100 वर्षीय महिला को भी सम्मानित किया जाना है। जानिए कौन से ऐसे गुमनाम नायक हैं जिन्हें पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाना है। कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल और सिविल सेवा जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए ये सम्मान हर साल दिए जाते हैं।

पुरस्कार पाने वालों में 23 महिलाओं के नाम भी शामिल
बता दें कि ‘पद्म विभूषण’ असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है। पद्म भूषण’ उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए और ‘पद्म श्री’ किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है। इस साल 7 विभूतियों को पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री पुरस्कार दिए जाने हैं। पुरस्कार पाने वालों में 23 महिलाओं के नाम भी शामिल हैं। इस साल विदेशी/ एनआरआई/ पीआईओ/ ओसीआई श्रेणी के 10 व्यक्तियों और 13 हस्तियों को मरणोपरांत पद्म पुरस्कार दिए जाएंगे।
पुरस्कार पाने वालों में 23 महिलाओं के नाम भी शामिल
बता दें कि ‘पद्म विभूषण’ असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है। पद्म भूषण’ उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए और ‘पद्म श्री’ किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है। इस साल 7 विभूतियों को पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री पुरस्कार दिए जाने हैं। पुरस्कार पाने वालों में 23 महिलाओं के नाम भी शामिल हैं। इस साल विदेशी/ एनआरआई/ पीआईओ/ ओसीआई श्रेणी के 10 व्यक्तियों और 13 हस्तियों को मरणोपरांत पद्म पुरस्कार दिए जाएंगे।

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Padma Award –
आजादी की बुलंद आवाज
सौ साल की स्वतंत्रता सेनानी लीबिया लोबो सरदेसाई ने 1955 में गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराने और लोगों में आजादी की अलख जगाने के लिए जंगल में भूमिगत रेडियो स्टेशन वोज दा लिबरदाद यानी स्वतंत्रता की आवाज चलाया। 1954-55 में जब पुर्तगालियों ने कई सत्याग्रहियों की जान ले ली, तब बॉम्बे में छिपकर रह रहीं लोबो ने साथियों संग गोवा से 100 किमी दूर अंबोली घाट के जंगलों से रेडियो प्रसारण शुरू किया। 17 दिसंबर, 1961 को इस स्टेशन ने भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन का सीधा संदेश प्रसारित किया, जिसमें पुर्तगाली गवर्नर जनरल को आत्मसमर्पण करने को कहा गया। 19 दिसंबर, 1961 को गोवा मुक्त हुआ तो लोबो ने भारतीय वायु सेना के विमान से पर्चे गिराते हुए गोवा की आजादी का एलान किया।
सौ साल की स्वतंत्रता सेनानी लीबिया लोबो सरदेसाई ने 1955 में गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराने और लोगों में आजादी की अलख जगाने के लिए जंगल में भूमिगत रेडियो स्टेशन वोज दा लिबरदाद यानी स्वतंत्रता की आवाज चलाया। 1954-55 में जब पुर्तगालियों ने कई सत्याग्रहियों की जान ले ली, तब बॉम्बे में छिपकर रह रहीं लोबो ने साथियों संग गोवा से 100 किमी दूर अंबोली घाट के जंगलों से रेडियो प्रसारण शुरू किया। 17 दिसंबर, 1961 को इस स्टेशन ने भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन का सीधा संदेश प्रसारित किया, जिसमें पुर्तगाली गवर्नर जनरल को आत्मसमर्पण करने को कहा गया। 19 दिसंबर, 1961 को गोवा मुक्त हुआ तो लोबो ने भारतीय वायु सेना के विमान से पर्चे गिराते हुए गोवा की आजादी का एलान किया।

Padma Award
खाड़ी में योग का चेहरा
कुवैत की योग शिक्षिका शैखा एजे अल सबा खाड़ी में योग का चेहरा हैं। 48 वर्षीय सबा उन्होंने अपने देश में योग शिक्षा लााइसेंस की शुरुआत की और योग स्टूडियो दरातमा की स्थापना की। पारंपरिक साधनों एवं आधुनिक तकनीकों का समन्वय कर खाड़ी क्षेत्र में योगाभ्यास का प्रचार किया और योग को वैश्विक पहचान दिलाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। 2021 में यमनी शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापितों की सहायता के लिए फंड इकट्ठा करने वाली संस्था योमनक लिल यमन की शुरुआत की। 2020 में महामारी के दौरान कुवैत में गरीब बच्चों को शैक्षणिक सामग्री की आपूर्ति की।
कुवैत की योग शिक्षिका शैखा एजे अल सबा खाड़ी में योग का चेहरा हैं। 48 वर्षीय सबा उन्होंने अपने देश में योग शिक्षा लााइसेंस की शुरुआत की और योग स्टूडियो दरातमा की स्थापना की। पारंपरिक साधनों एवं आधुनिक तकनीकों का समन्वय कर खाड़ी क्षेत्र में योगाभ्यास का प्रचार किया और योग को वैश्विक पहचान दिलाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। 2021 में यमनी शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापितों की सहायता के लिए फंड इकट्ठा करने वाली संस्था योमनक लिल यमन की शुरुआत की। 2020 में महामारी के दौरान कुवैत में गरीब बच्चों को शैक्षणिक सामग्री की आपूर्ति की।

Padma Award –
जोनास मसेटी : ब्राजील के वेदांत गुरु, डेढ़ लाख छात्रों को दी शिक्षा
मैकेनिकल इंजीनियर मसेटी (43) रियो दि जेनेरियो के पास स्थित पेट्रोपोलिस की पहाड़ियों पर विश्व विद्यार नामक संस्था चलाते हैं। 2014 में स्थापित इस संस्था में वह सैकड़ों छात्रों को गीता, वेदांत के साथ ही संस्कृत और वैदिक संस्कृति की शिक्षा देते हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद मसेटी का रुझान भारतीय संस्कृति की ओर हुआ, तो उन्होंने कोयंबतूर स्थित आर्ष विद्या गुरुकुलम में विधिवत भारतीय संस्कृति, वेदांत और हिंदू विचारों की शिक्षा-दीक्षा ली। उन्हें विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है। मसेटी पॉडकास्ट, यूट्यूब के जरिये पिछले 7 सालों में डेढ़ लाख से भी ज्यादा छात्रों को भारतीय ग्रंथों और वेदांत के बारे में शिक्षा दे चुके हैं।
मैकेनिकल इंजीनियर मसेटी (43) रियो दि जेनेरियो के पास स्थित पेट्रोपोलिस की पहाड़ियों पर विश्व विद्यार नामक संस्था चलाते हैं। 2014 में स्थापित इस संस्था में वह सैकड़ों छात्रों को गीता, वेदांत के साथ ही संस्कृत और वैदिक संस्कृति की शिक्षा देते हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद मसेटी का रुझान भारतीय संस्कृति की ओर हुआ, तो उन्होंने कोयंबतूर स्थित आर्ष विद्या गुरुकुलम में विधिवत भारतीय संस्कृति, वेदांत और हिंदू विचारों की शिक्षा-दीक्षा ली। उन्हें विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है। मसेटी पॉडकास्ट, यूट्यूब के जरिये पिछले 7 सालों में डेढ़ लाख से भी ज्यादा छात्रों को भारतीय ग्रंथों और वेदांत के बारे में शिक्षा दे चुके हैं।

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समाज में उल्लेखनीय योगदान के लिए मिलेगा पद्म सम्मान..
भीम सिंह भवेश : नई आशा से मुसहर समाज के बने मसीहा
भीम सिंह भावेश (61) पेशे से पत्रकार हैं। पिछले 22 वर्षों से वे अपनी संस्था नई आशा के माध्यम से इस वंचित समुदाय की शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में सुधार के लिए काम कर रहे हैं। भीम सिंह ने भोजपुर और बक्सर जिलों में 100 से अधिक स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए, जिससे मुसहर समुदाय को स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ हुईं। भोजपुर जिले के 13 प्रखंडों में किए गए उनके कार्यों के परिणामस्वरूप 8,000 से अधिक मुसहर बच्चों को सरकारी स्कूलों में नामांकित किया गया। उन्होंने समुदाय के बच्चों तक शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए एक पुस्तकालय भी स्थापित किया है।
भीम सिंह भावेश (61) पेशे से पत्रकार हैं। पिछले 22 वर्षों से वे अपनी संस्था नई आशा के माध्यम से इस वंचित समुदाय की शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में सुधार के लिए काम कर रहे हैं। भीम सिंह ने भोजपुर और बक्सर जिलों में 100 से अधिक स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए, जिससे मुसहर समुदाय को स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ हुईं। भोजपुर जिले के 13 प्रखंडों में किए गए उनके कार्यों के परिणामस्वरूप 8,000 से अधिक मुसहर बच्चों को सरकारी स्कूलों में नामांकित किया गया। उन्होंने समुदाय के बच्चों तक शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए एक पुस्तकालय भी स्थापित किया है।

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समाज में उल्लेखनीय योगदान के लिए मिलेगा पद्म सम्मान
नीरजा भाटला : सर्वाइकल कैंसर के उन्मूलन के लिए जी जान से जुटीं
प्रोफेसर नीरजा भाटला (65), एम्स नई दिल्ली में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख हैं। उन्होंने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम व अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है। प्रोफेसर भाटला पिछले 35 साल से सर्वाइकल कैंसर के उन्मूलन के लिए काम कर रही हैं। इसके अलावा उन्होंने मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के खिलाफ टीकाकरण की प्रभावकारिता और कम लागत वाले एचपीवी परीक्षणों के विकास के लिए भी कार्य किया है। उनके शोध कार्य ने एचपीवी जांचने और टीकाकरण कार्यान्वयन में राष्ट्रीय और वैश्विक प्रभाव डाला है। उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
प्रोफेसर नीरजा भाटला (65), एम्स नई दिल्ली में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख हैं। उन्होंने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम व अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है। प्रोफेसर भाटला पिछले 35 साल से सर्वाइकल कैंसर के उन्मूलन के लिए काम कर रही हैं। इसके अलावा उन्होंने मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के खिलाफ टीकाकरण की प्रभावकारिता और कम लागत वाले एचपीवी परीक्षणों के विकास के लिए भी कार्य किया है। उनके शोध कार्य ने एचपीवी जांचने और टीकाकरण कार्यान्वयन में राष्ट्रीय और वैश्विक प्रभाव डाला है। उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

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समाज में उल्लेखनीय योगदान के लिए मिलेगा पद्म सम्मान …
पी दच्चनामूर्ति : संगीत थलाइवा
दक्षिण भारतीय संगीत थविल में विशेषज्ञता हासिल करने वाले वाद्यवादक पी दच्चनामूर्ति (68) पांच दशकों से इस विधा को उन्नत कर रहे हैं। अब तक 1500 से ज्यादा कार्यक्रमों में प्रस्तुति दे चुके हैं। उनके प्रशंसक दुनियाभर में हैं। थविल संगीत विरासत को सहेजने के लिए वह नई पीढ़ी को भी इस बारे में शिक्षित करने में जुटे हैं।
दक्षिण भारतीय संगीत थविल में विशेषज्ञता हासिल करने वाले वाद्यवादक पी दच्चनामूर्ति (68) पांच दशकों से इस विधा को उन्नत कर रहे हैं। अब तक 1500 से ज्यादा कार्यक्रमों में प्रस्तुति दे चुके हैं। उनके प्रशंसक दुनियाभर में हैं। थविल संगीत विरासत को सहेजने के लिए वह नई पीढ़ी को भी इस बारे में शिक्षित करने में जुटे हैं।

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Padma Award
एल हांगथिन : फल उगाने के महारथी
नगालैंड के फल विक्रेता एल हांगथिन (58) 30 वर्षों से फलों की गैर-देसी नस्लों जैसे लीची, संतरा शरीफा, चीकू उत्पादन के महारथी हैं। उन्होंने नगालैंड के 40 गांवों के 200 से अधिक किसानों को गैर-देसी नस्लों के फलों की खेती के लिए नई तकनीक के प्रति जागरुक किया।
नगालैंड के फल विक्रेता एल हांगथिन (58) 30 वर्षों से फलों की गैर-देसी नस्लों जैसे लीची, संतरा शरीफा, चीकू उत्पादन के महारथी हैं। उन्होंने नगालैंड के 40 गांवों के 200 से अधिक किसानों को गैर-देसी नस्लों के फलों की खेती के लिए नई तकनीक के प्रति जागरुक किया।

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Padma Award –
भैरू सिंह भजन से नशामुक्ति
लोक गायक भैरू सिंह चौहान (63) 5 दशक से निर्गम भक्ति से जुड़े भजन के िलए समर्पित किए। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छह हजार से अधिक प्रस्तुतियों से वे निर्गम भजन और मालवा की संस्कृति के प्रचार में उल्लेखनीय योगदान दे रहे है। भजनों के जरिये समाज सुधार, नैतिक शिक्षा के प्रसार, नशामुक्ति, महिला शिक्षा के उत्थान में जुटे हुए हैं।
लोक गायक भैरू सिंह चौहान (63) 5 दशक से निर्गम भक्ति से जुड़े भजन के िलए समर्पित किए। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छह हजार से अधिक प्रस्तुतियों से वे निर्गम भजन और मालवा की संस्कृति के प्रचार में उल्लेखनीय योगदान दे रहे है। भजनों के जरिये समाज सुधार, नैतिक शिक्षा के प्रसार, नशामुक्ति, महिला शिक्षा के उत्थान में जुटे हुए हैं।

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वेंकप्पा अंबाजी सुगतेकर घुमंतू गुरु
कर्नाटक के गोंधली लोक गायक घुमंतू गुरु वेंकप्पा अंबाजी सुगतेकर (81) को गायन व कहानी कहने की शैली के चलते गोंधली का भीष्म कहा जाता है। वह 1000 से अधिक गोंधली गाने गा चुके हैं। 150 से अधिक गोंधली कहानियां सुना चुके हैं।
कर्नाटक के गोंधली लोक गायक घुमंतू गुरु वेंकप्पा अंबाजी सुगतेकर (81) को गायन व कहानी कहने की शैली के चलते गोंधली का भीष्म कहा जाता है। वह 1000 से अधिक गोंधली गाने गा चुके हैं। 150 से अधिक गोंधली कहानियां सुना चुके हैं।

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बिबेक देबरॉय : नीति निर्माण में रही अहम भूूमिका
अर्थशास्त्री डॉ. बिबेक देबरॉय ने देश के नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाई। मरणोपरांत पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित देबरॉय 2017 से प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष थे। वह वित्त मंत्रालय की अमृत काल के लिए बुनियादी वर्गीकरण और वित्तपोषण ढांचे की विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष भी थे। देबरॉय ने खेल सिद्धांत, आर्थिक सिद्धांत, आय और सामाजिक असमानताओं, गरीबी, कानून सुधार, रेलवे सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अर्थशास्त्री डॉ. बिबेक देबरॉय ने देश के नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाई। मरणोपरांत पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित देबरॉय 2017 से प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष थे। वह वित्त मंत्रालय की अमृत काल के लिए बुनियादी वर्गीकरण और वित्तपोषण ढांचे की विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष भी थे। देबरॉय ने खेल सिद्धांत, आर्थिक सिद्धांत, आय और सामाजिक असमानताओं, गरीबी, कानून सुधार, रेलवे सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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हरिमन शर्मा : सेब सम्राट
हिमाचल प्रदेश के हरिमन शर्मा कम ठंड में होने वाली सेब की वैरायटी एचआरएमएन-99 विकसित करने वाले पहले किसान हैं। उन्होंने अपनी संस्था नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के जरिये दुनियाभर में इस नस्ल के 14 लाख पौधे लगाए हैं। उन्होंने एक ही खेत में सेब, आम, अनार, लीची, खुमानी, कीवी का उत्पादन भी किया।
हिमाचल प्रदेश के हरिमन शर्मा कम ठंड में होने वाली सेब की वैरायटी एचआरएमएन-99 विकसित करने वाले पहले किसान हैं। उन्होंने अपनी संस्था नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के जरिये दुनियाभर में इस नस्ल के 14 लाख पौधे लगाए हैं। उन्होंने एक ही खेत में सेब, आम, अनार, लीची, खुमानी, कीवी का उत्पादन भी किया।

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ह्यू व कोलीन दंपती बने मिसाल
पर्यटन ब्लॉगर एवं दंपती ह्यू और कोलीन गैंटजर ने पांच दशक तक भारत में पर्यटन पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान दिया। कोलीन का निधन हो चुका है। इस दंपती ने मिलकर 30 किताबें और 30 हजार से अधिक लेख, कॉलम व मैगजीन फीचर लिखे। भारत की संस्कृति पर गहरी अंतदृष्टि पेश की।
पर्यटन ब्लॉगर एवं दंपती ह्यू और कोलीन गैंटजर ने पांच दशक तक भारत में पर्यटन पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान दिया। कोलीन का निधन हो चुका है। इस दंपती ने मिलकर 30 किताबें और 30 हजार से अधिक लेख, कॉलम व मैगजीन फीचर लिखे। भारत की संस्कृति पर गहरी अंतदृष्टि पेश की।

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Padma Award – फोटो : Amar Ujala
नशा मुिक्त की नायिका
अरुणाचल की जुमदे योमगाम गामलिन तीन दशकों से नशा मुक्ति अभियान में जुटी हैं। उन्होंने मदर्स विजन संस्था स्थापित कर 30 बिस्तरों वाला नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र खोला।
अरुणाचल की जुमदे योमगाम गामलिन तीन दशकों से नशा मुक्ति अभियान में जुटी हैं। उन्होंने मदर्स विजन संस्था स्थापित कर 30 बिस्तरों वाला नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र खोला।

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मानवतावादी होम्योपैथ
महाराष्ट्र के दृष्टि बाधित होम्योपैथिक डॉक्टर विलास डांगरे 50 साल से गरीबों का किफायती कीमत पर इलाज कर रहे हैं। वे त्वचा और दिमागी बीमारियों के विशेषज्ञ हैं।
महाराष्ट्र के दृष्टि बाधित होम्योपैथिक डॉक्टर विलास डांगरे 50 साल से गरीबों का किफायती कीमत पर इलाज कर रहे हैं। वे त्वचा और दिमागी बीमारियों के विशेषज्ञ हैं।

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बतूल बेगम : राम भजन से पहचान
राम भजन से सद्भाव बिखेरती बतूल बेगम की पहचान भजन बेगम बन गई है। मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाली जयपुर की बतूल पांच दशक से भगवान राम और गणपति के भजन गाती आ रही हैं। भजन के साथ-साथ वह मुस्लिम मांद भी गाती हैं। लोकगायन के अलावा वह ढोलक और तबला बजाने में भी पारंगत हैं। इसके साथ ही वह लड़कियों को शिक्षा के प्रति भी प्रेरित करती हैं।
राम भजन से सद्भाव बिखेरती बतूल बेगम की पहचान भजन बेगम बन गई है। मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाली जयपुर की बतूल पांच दशक से भगवान राम और गणपति के भजन गाती आ रही हैं। भजन के साथ-साथ वह मुस्लिम मांद भी गाती हैं। लोकगायन के अलावा वह ढोलक और तबला बजाने में भी पारंगत हैं। इसके साथ ही वह लड़कियों को शिक्षा के प्रति भी प्रेरित करती हैं।