मौनी अमावस्या पर जब कुंभ में हुई थीं 800 मौतें, जानिए कब-कब हुए हादसे ?

मौनी अमावस्या पर जब कुंभ में हुई थीं 800 मौतें, जानिए कब-कब हुए हादसे

Mahakumbh Stampedes history: मौनी अमावस्या के मौके पर प्रयागराज महाकुंभ में मंगलवार रात भगदड़ मची. इसमें 14 लोगों की मौत हो गई. 50 से ज्यादा घायल हैं. हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब मौनी अमावस्या के मौके पर प्रयागराज के कुंभ में ऐसे हालात बने. इससे पहले प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ में 800 लोगों की मौत हुई थी. जानिए, क्यों बने थे ऐसे हालात और कुंभ में कब-कब भगदड़ मची.

मौनी अमावस्या पर जब कुंभ में हुई थीं 800 मौतें, जानिए कब-कब हुए हादसे

प्रयागराज महाकुंभ में मंगलवार रात भगदड़ मचने से 14 लोगों की मौत हुई है.Image Credit source: PTI

कुंभ नगरी प्रयागराज में मंगलवार देररात भगदड़ मच गई. हादसे में 14 लोगों की मौत हुई है. 50 से ज्यादा घायल हैं. भगदड़ के बाद सभी 13 अखाड़ों में मौनी अमावस्या का अमृत स्नान रद्द किया. महाकुंभ में आज यानी बुधवार को मौनी अमावस्या का स्नान है. यही वजह है कि प्रयागराज में करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के होने का अनुमान लगाया गया था. अमृत स्नान के कारण ज्यादातर पांटून पुल बंद किए गए थे. इसकी वजह से स्नान के लिए पहुंचने वालों की भीड़ बढ़ती चली गई. बैरिकेड्स में फंसकर कुछ लोग गिर गए और भगदड़ की अफवाह फैली. नतीजा, ऐसे हालात बने.

यह पहला मौका नहीं है जब कुंभ में मौनी अमावस्या पर भगदड़ मची. इससे पहले प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ में 800 लोगों की मौत हुई थी. जानिए, क्यों बने थे ऐसे हालात और कुंभ में कब-कब भगदड़ मची.

मौनी अमावस्या: प्रयागराज में अमृत स्नान का वो मौका जब 800 मौते हुईंतारीख थी 3 फरवरी, 1954. जगह थी प्रयागराज (तब इलाहाबाद). मौनी अमावस्या के मौके पर लाखों श्रद्धालु अमृत स्नान करने पहुंचे थे. आजाद भारत के पहले कुंभ मेले में उस वक्त भगदड़ मची जब एक हाथी कंट्रोल से बाहर हो गया. जान बचाने के लिए लोगों ने भागना शुरू किया. हालात इतने बिगड़े कि भगदड़ मच गई. हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था. लोग चीख रहे थे. हरतरफ कोलाहल मच गया था.

घटना में 800 लोगों की मौत की वजह बने हाथी पर प्रतिबंध लगा दिया गया. कुंभ मेले में हाथियों की एंट्री रुक गई. कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की यात्रा ने कुंभ में भीड़ को बढ़ाने का काम किया. उनके लिए किए सुरक्षा के इंतजामों के कारण कुंभ की सुरक्षा पर असर पड़ा. हालांकि, बीबीसी की रिपोर्ट में यह कहा गया था कि पंडित नेहरू ने कुंभ मेले में व्यवस्थाओं की समीक्षा करने के लिए एक दिन पहले ही मेले का दौरा किया था. हालांकि, त्रासदी के दौरान वो वहां उपस्थित नहीं थे.

इस घटना से सरकार ने सबक लिया और धार्मिक समारोह में भीड़ प्रबंधन के लिए रणनीति बदली गई. कुंभ में आए लोगों को पल-पल की जानकारी देने के लिए लाउडस्पीकर लगाने शुरू किए गए. लाइट की व्यवस्था पर भी खास ध्यान दिया गया. 1954 की घटना के बाद, पंडित नेहरू ने भीड़ के ऐसे हालात को रोकने के लिए कुंभ के प्रमुख स्थलों पर दिन में वीआईपी यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया.

उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके बाद भी कई कदम उठाए और संगम के पास अस्थायी अस्पतालों के अलावा खोया पाया बूथ समेत कई तरह की व्यवस्थाएं कींं.

Mahakumbh Stampedes

कुंभ में कब-कब भगदड़ मची

  • 1986: हरिद्वार कुंभ में 200 लोगों ने दम तोड़ा

साल 1986 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले में उस भगदड़ मची जब तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सांसदों के साथ हरिद्वार पहुंचे. जब सुरक्षाकर्मियों ने आम लोगों को नदी के किनारे जाने से रोक दिया, तो भीड़ बेकाबू हो गई. इस भगदड़ में 200 लोगों ने दम तोड़ा.

  • 2003: नासिक में 39 की मौत, 100 से ज्यादा घायल

साल 2003 में महाराष्ट्र के नासिक में उस समय भगदड़ मच गई जब कुंभ मेले के दौरान पवित्र स्नान के लिए गोदावरी नदी में हजारों तीर्थयात्री इकट्ठा हुए. भगदड़ में महिलाओं सहित 39 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हो गए.

  • 2013: प्रयागराज में फुटब्रिज गिरने से भगदड़, 42 की मौत

साल 2013 में भी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित कुंभ के दौरान भगदड़ मची थी. 10 फरवरी, 2013 को इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर एक फुटब्रिज ढहने से भगदड़ के हालात बने. इसमें 42 लोगों ने दम तोड़ दिया और 45 घायल हो गए.

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