नोएडा SGST की रडार पर 21 हजार फ्लैट 57 प्लाट ?

शहर के 21 हजार फ्लैट और 57 बड़े प्लॉट का आवंटन राज्य वस्तु एंव सेवा कर विभाग (एस-जीएसटी) विभाग की जांच के दायरे में आ गया है। विभाग की तरफ से पिछले दिनों अलग-अलग श्रेणी का ब्योरा मांगा गया था।
इसके बाद नोएडा प्राधिकरण ने यह जानकारी भेज दी है। अब इन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त, रजिस्ट्री व अन्य तथ्यों पर विभाग जांच करेगा। यह जांच तथ्य छिपाकर कर चोरी की आशंका के संदर्भ में होगी। संपत्तियों के रजिस्ट्री पर 18 प्रतिशत से ज्यादा जीएसटी लगती है।
नोएडा में होती है त्रिपक्षीय रजिस्ट्री नोएडा में त्रिपक्षीय रजिस्ट्री ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं में होती है। बिल्डर, खरीदार के अलावा नोएडा प्राधिकरण का भी एक पक्ष रहता है। रिसेल वाली संपत्तियों में नामांतरण भी प्राधिकरण करता है।
इस लिहाज से प्राधिकरण के जरिए सभी खरीद-फरोख्त का ब्योरा विभाग को मिल जाएगा। वहीं प्राधिकरण ने पहले सर्वे करवाकर ऐसे फ्लैट व परियोजनाओं का ब्योरा भी तैयार करवाया है जहां बगैर रजिस्ट्री के लोग रह रहे हैं।
रजिस्ट्री के वक्त छिपा रहे जानकारी नियम यह है कि सर्किल रेट के हिसाब से संपत्तियों की दरें तय की जाएंगी। फ्लैट, दुकान या शोरूम में निर्माण के साथ ही अन्य सजावटी व सुख-संसाधन लाखों रुपए के लगाए जा रहे हैं। बिल्डर इनकी कीमत खरीदार से तो वसूल कर रहे हैं।
लेकिन रजिस्ट्री के वक्त जीएसटी बचाने के लिए इनको खरीद-फरोख्त में छिपा लिया जा रहा है। इसको छिपाने के लिए एक ही परियोजना में दो संपत्तियों की रिकार्ड पर कीमत अलग-अलग दिखाई जा रही हैं।
खरीद ज्यादा की कीमत दिखाते है कम बड़ी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में तो इस तरह से जीएसटी चोरी की रकम भी बड़ी रहती है। रिसेल में जो फ्लैट बिकते हैं उनकी कीमत भी कम दिखाई जाती है। प्राधिकरण की तरफ से पूर्व में अलग-अलग सेक्टरों में बनाए गए फ्लैटों व पुरानी बिल्डर परियोजनाओं में भी रिसेल में बेची जाने वाले फ्लैट की कीमत कम दर्शाए जाने के तथ्य सामने आते रहते हैं।