निजी कॉलेजों को फायदा देने नियम तोड़ रहा डीएमई, नया फर्जीवाड़ा उजागर
NEET PG Counselling: निजी कॉलेजों को फायदा देने नियम तोड़ रहा डीएमई, नया फर्जीवाड़ा उजागर
NEET PG Counselling Seats Fraud…
निजी कॉलेजों को फायदा देने मनमर्जी, 5 निजी कॉलेजों में पीजी की 106 सीटों पर डीएमई का फर्जीवाड़ा उजागर
NEET PG Seats Fraud: ….
मध्यप्रदेश में नीट पीजी काउंसलिंग लगातार सवालों के घेरे में है। इसी बीच नया फर्जीवाड़ा सामने आया है। नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने प्रदेश के पांच कॉलेजों को जिन विभागों में जितनी सीटें दी, चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) ने इसमें फेरबदल कर दिया।
एनएमसी और डीएमई की जारी पीजी सीटों की सूची का मिलान में सीटों का हेरफेर सामने आया। एनएमसी ने अमलतास, इंडेक्स, श्रीअरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस, आरडी गार्डी और आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज के 9 विभागों को पीजी की 106 सीटें जारी कीं।
डीएमई ने सीटें तो इतनी ही रखीं, पर 5 विभागों में मनमर्जी सीटें घटाई, 5 में बढ़ा दीं। जानकारों की मानें तो एनएमसी निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेजों का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं के आधार सीट मैट्रिक्स जारी करती है। जिसे जितनी सीटें अलॉट होती हैं, उसे नहीं बदल सकते।
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क्या होना था
मेडिकल कॉलेज में हर विभाग को उतनी सीट देनी चाहिए थी, जितने पर एनएमसी ने मान्यता दी।
क्या किया
जितनी सीट पर एनएमसी से मान्यता दी, उनमें से 10 फीसदी को अपनी मर्जी से बढ़ाया या घटाया।
क्यों?
निजी मेडिकल कॉलेजों में ज्यादा दाखिले हों। जिन विभागों की मांग ज्यादा, उसी विभाग में सीटें बढ़ाई गईं।
एनएमसी ही फाइनल
एनएमसी ने जितनी सीटों पर कॉलेजों को मान्यता दी, वही फाइनल होता है। फिर सरकारी हो या निजी। इसमें गड़बड़ी कॉलेजों को फायदा पहुंचाने जैसा है। इसकी जांच बाहर के अफसरों से होनी चाहिए। डॉ. आकाश सोनी, नेशनल एग्जीयूटिव मेंबर, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन
चार्ट अपडेट नहीं हुआ
जिस कॉलेज की जितनी सीट है उतनी ही अलॉट की गई। एनएमसी के चार्ट में यह अपडेट नहीं हुआ है, इसलिए दिख रहा होगा।
-डॉ. एके श्रीवास्तव, डीएसई, एमपी
-डॉ. एके श्रीवास्तव, डीएसई, एमपी
एक्सपर्ट व्यू
एनएचएम के पूर्व संचालक डॉ. पंकज शुक्ला ने कहा, एनएमसी से जारी सीटों में फेरबदल नहीं किया जा सकता। एनएमसी कॉलेज में प्रोफेसर की संख्या, प्रैक्टिकल, पढ़ाई से जुड़ी व्यवस्थाएं देखने के बाद ही सीटों को मान्यता देती है। राज्य का अपने स्तर पर इसे बदलना गलत है।