अब बिल्डर नहीं जब्त कर सकते 10% से अधिक राशि’, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Supreme Court: ‘अब बिल्डर नहीं जब्त कर सकते 10% से अधिक राशि’, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रियल एस्टेट की खरीद का अनुबंध यदि बिल्डर या संपत्ति डेवलपर पक्ष में झुका हो और इसके कारण खरीदार संपत्ति का आवंटन रद्द कर दे तो बिल्डर मूल बिक्री मूल्य के 10 फीसदी से अधिक राशि नहीं जब्त कर सकता।
Now builders cannot seize more than 10% of the amount', big decision of Supreme Court News In Hindi
सुप्रीम कोर्ट – फोटो : पीटीआई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रियल एस्टेट की खरीद का अनुबंध यदि बिल्डर या संपत्ति डेवलपर पक्ष में झुका हो और इसके कारण खरीदार संपत्ति का आवंटन रद्द कर दे तो बिल्डर मूल बिक्री मूल्य के 10 फीसदी से अधिक राशि नहीं जब्त कर सकता। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि अनुबंध की शर्तें जो स्पष्ट रूप से एकतरफा और अनुचित हों, अनुचित व्यापार व्यवहार होगा। अदालतें अनुचित अनुबंध के ऐसे खंड को लागू नहीं करेंगी, जो उन पक्षों के बीच किया गया हो जो सौदेबाजी की शक्ति में समान नहीं हैं।

इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण
आयोग(एनसीडीआरसी) की ओर से 25 अक्तूबर, 2022 को दिए गए फैसले को बरकरार रखा। इस फैसले में गोदरेज प्रोजेक्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड को अनिल कार्लेकर और अन्य की ओर से जमा की गई राशि में से मूल बिक्री मूल्य का 10 फीसदी काटने के बाद शेष पैसा लौटाने के लिए कहा गया था। कोर्ट ने कहा, हमें आयोग की ओर से अपनाए गए दृष्टिकोण को बदलने का कोई कारण नहीं दिखता। पीठ ने डेवलपर की इस दलील को खारिज कर दिया कि आयोग ने अनुबंध की शर्तों में हस्तक्षेप करके गलती की है। डेवलपर का तर्क था कि समझौते में विशेष रूप से जब्ती खंड का प्रावधान है, इसलिए वह मूल बिक्री मूल्य के 20 फीसदी के रूप में निर्धारित संपूर्ण बयाना राशि जब्त करने का हकदार है। हालांकि, समझौते की शर्तों पर गौर करने के बाद पीठ ने कहा, ये एकतरफा और पूरी तरह डेवलपर के पक्ष में झुके हुए हैं।

साधारण ब्याज देने का निर्णय उचित नहीं
अदालत ने विशेष रूप से बताया कि डेवलपर की ओर से समयसीमा का पालन नहीं करने की स्थिति में समझौते में फ्लैट खरीदार को बहुत ही मामूली मुआवजा देने की बात है। पीठ ने कहा, इस तरह के एकतरफा समझौते अनुचित व्यापार व्यवहार की परिभाषा में आएंगे। हालांकि अदालत ने कहा कि आयोग की ओर से मामले में भुगतान की तारीख से वसूली की तारीख तक 6 फीसदी प्रति वर्ष साधारण ब्याज देने का निर्णय उचित नहीं था।

शेष राशि लौटाने का आदेश
शीर्ष अदालत ने डेवलपर को छह सप्ताह के भीतर शिकायतकर्ताओं को 12,02,955 रुपये वापस करने का निर्देश दिया। डेवलपर पहले ही अदालत के कहने पर फ्लैट खरीदारों की ओर से जमा किए गए 51,12,310 रुपये में से 22,01,215 रुपये वापस कर चुका था। अदालत ने पाया कि फ्लैट खरीदारों ने कीमतों में तेज गिरावट के कारण आवंटन रद्द करने की मांग की थी।

2014 का अनुबंध तीन साल बाद खत्म हुआ था
पीठ ने कहा, काफी संभावना है कि खरीदारों ने डेवलपर को देय धन का उपयोग कम दर पर दूसरी संपत्ति खरीदने के लिए किया होगा। फ्लैट खरीदारों ने वर्ष 2014 में गुड़गांव में गोदरेज के एक प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक किया था। उन्होंने 1,70,81400 रुपये की मूल बिक्री कीमत पर फ्लैट बुक कराया था। इसके लिए 51,12,310 रुपये जमा किए गए थे। हालांकि, 2017 में संपत्ति पर कब्जा लेने का पत्र मिलने के बाद उन्होंने आवंटन रद्द कर पैसे वापस मांगे। डेवलपर ने समझौते की शर्तों के अनुसार, मूल बिक्री मूल्य का 20 फीसदी जब्त करने की बात की। इसे खरीदारों ने उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी।

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