ट्रम्प ने हथकड़ी लगवाकर मिलिट्री प्लेन से भेजे 205 भारतीय ?

ट्रम्प ने हथकड़ी लगवाकर मिलिट्री प्लेन से भेजे 205 भारतीय, 24 घंटे का सफर और एक टॉयलेट !
क्या इसमें भारत सरकार शामिल है?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारतीय अवैध अप्रवासियों को देश से क्यों निकाल रहे हैं, क्या इसमें भारत सरकार का भी हाथ है

सवाल-1: अमेरिका ने कैसे 205 भारतीय अप्रवासियों को भारत डिपोर्ट किया?

जवाब: भारतीय समय के मुताबिक 4 फरवरी की सुबह 3 बजे अमेरिका से 205 भारतीय अवैध अप्रवासियों को भारत रवाना किया। यह पहली बार है जब अमेरिका अप्रवासियों को भेजने के लिए सैन्य विमान का इस्तेमाल कर रहा है। अमेरिकी मिलिट्री का सी-17 एयरक्राफ्ट भारतीय अवैध अप्रवासियों को लेकर अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचेगा।

ट्रम्प अवैध अप्रवासियों को एलियन और अपराधी कहते आए हैं, जिन्होंने अमेरिका पर हमला किया। इस वजह से ट्रम्प ने अवैध अप्रवासियों को चार्टर्ड फ्लाइट की जगह सैन्य विमान से डिपोर्ट किया। इन लोगों के हाथ में हथकड़ी और बेड़ियां लगीं हुईं थीं। इतना ही नहीं, इस फ्लाइट में 205 लोगों के लिए सिर्फ 1 टॉयलेट है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस फ्लाइट में 25 महिलाएं और 12 बच्चे हैं। 11 क्रू मेम्बर्स और 45 अमेरिकी अधिकारी भी हो सकते हैं। अवैध अप्रवासियों में ज्यादातर लोग हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के रहने वाले हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईंधन भराने के लिए एयरक्राफ्ट जर्मनी के रामस्टीन एयर बेस उतरेगा। इसे भारत पहुंचने में करीब 24 घंटे का समय लगेगा।

सवाल-2: ट्रम्प अमेरिका से भारतीय अप्रवासियों को क्यों निकाल रहे हैं?

जवाब: डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव में अवैध अप्रवासियों को देश से निकालने का वादा किया था। उन्होंने अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा डिपोर्टेशन करने को कहा था। ट्रम्प का मानना है कि दूसरे देशों से लोग अमेरिका में अवैध तरीके से घुसकर अपराध करते हैं। यहां नौकरियों के बड़े हिस्से पर अप्रवासियों का कब्जा है, इससे अमेरिकी लोगों को नौकरी नहीं मिलती।

20 जनवरी 2025 को ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले कानून ‘लैकेन रिले एक्ट’ पर साइन किए। इस कानून के तहत फेडरल अधिकारियों को उन अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेकर डिपोर्ट करने का अधिकार है, जो किसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं।

20 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘लैकेन रिले एक्ट’ पर साइन किए।
20 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘लैकेन रिले एक्ट’ पर साइन किए।

इसके बाद ICE ने 15 लाख अवैध अप्रवासियों की लिस्ट तैयार की, जिसमें 18 हजार भारतीय भी हैं। ट्रम्प ने कहा, ‘हम बुरे, खूंखार अपराधियों को बाहर निकाल रहे हैं। ये हत्यारे हैं। ये सबसे बुरे हैं, जितने आप सोच नहीं सकते। हम सबसे पहले उन्हें बाहर निकाल रहे हैं।’

प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, अमेरिका में दुनिया के सबसे ज्यादा अप्रवासी हैं। दुनिया के कुल 20% अप्रवासी अमेरिका में ही रहते हैं। 2022 तक यहां रहने वाले अप्रवासियों की कुल संख्या 1.1 करोड़ थी।

  

सवाल-3: क्या अप्रवासियों के डिपोर्टेशन में भारत सरकार भी शामिल है?

जवाब: BHU में यूनेस्को चेयर फॉर पीस के प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय का कहना है कि इस डिपोर्टेशन प्रोग्राम में भारत भी शामिल रहा है। भारत की मर्जी के बिना डिपोर्टेशन प्रोग्राम नहीं हो सकता था। इसके लिए केंद्र सरकार ने काफी समय से तैयारी कर ली थी।

21 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की मुलाकात हुई थी। तब मार्को ने अवैध भारतीय प्रवासियों का मुद्दा उठाया था। इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि भारत उन प्रवासियों को वापस लेने को तैयार है, जो अधूरे या बगैर दस्तावेज के अमेरिका पहुंचे थे।

21 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (बाएं) और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो (दाएं)।
21 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (बाएं) और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो (दाएं)।

एस. जयशंकर ने कहा,

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भारत जांच कर रहा है कि अमेरिका में कितने भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं और इन्हें वापस भेजा जा सकता है या नहीं।

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प्यू रिसर्च सेंटर की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में लगभग 7.25 लाख अवैध भारतीय अप्रवासी रहते हैं। यह आंकड़ा अवैध प्रवासियों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या है।

सवाल-4: अप्रवासियों की वापसी के लिए दिल्ली की जगह अमृतसर एयरपोर्ट को क्यों चुना गया?

जवाब: ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, 205 भारतीय अप्रवासियों में ज्यादातर लोग पंजाब से हैं। इस कारण फ्लाइट को अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड कराया गया, ताकि आसानी से उनका वेरिफिकेशन हो सके और इसके बाद सभी अप्रवासियों को घर पहुंचने में कम से कम समय लगे।

सवाल-5: भारत पहुंचे अप्रवासियों के साथ आगे क्या होगा?

जवाब: विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, भारत सरकार अप्रवासियों पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य नहीं है, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर जांच जरूर करेगी। डंकी रूट से सफर करना या चोरी-छुपे देश से बाहर निकलने के जुर्म में कार्रवाई हो सकती है। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई बयान जारी नहीं हुआ है।

राजन कुमार कहते हैं,

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अमेरिका से अप्रवासियों की वापसी गंभीर मुद्दा है। सरकार बहुत सोच-समझकर कोई कदम उठाएगी। देश में बदलती राजनीति और अमेरिका के साथ बिगड़ते रिश्तों को ध्यान में रखकर फैसला लेना होगा। यह कहना मुश्किल है कि अप्रवासियों को उनके घर पहुंचाया जाएगा या उन पर कार्रवाई की जाएगी।

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सवाल-6: क्या अप्रवासियों को वापस बुलाने का खर्च भारत सरकार उठा रही?

जवाब: नहीं। अप्रवासियों के लौटने का खर्च भारत नहीं बल्कि ट्रम्प सरकार उठा रही है, क्योंकि अमेरिकी सरकार अप्रवासियों को डिपोर्ट कर रही है। अमेरिकी रक्षा विभाग डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (DOD) अप्रवासियों को हटाने की मुहिम में 4 मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स का इस्तेमाल कर रही है। इनमें दो C-17 और दो C-130E विमान शामिल हैं।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि 27 जनवरी को टेक्सास से ग्वाटेमाला 80 लोगों को भेजा गया था। इसमें एक अप्रवासी पर लगभग 4,675 डॉलर यानी करीब 4 लाख रुपए खर्च हुए थे। यह खर्च अमेरिका के कॉमर्शियल चार्टर्ड फ्लाइट से पांच गुना ज्यादा है। चार्टर्ड फ्लाइट के एक टिकट की कीमत 853 डॉलर यानी करीब 74 हजार रुपए है।

27 जनवरी को टेक्सास से ग्वाटेमाला 80 लोगों को भेजा गया।
27 जनवरी को टेक्सास से ग्वाटेमाला 80 लोगों को भेजा गया।

DOD के मुताबिक, 2022 तक C-17 की औसत ऑपरेटिंग कॉस्ट 21 हजार डॉलर, यानी 18.28 लाख रुपए प्रति घंटा थी, जबकि C-130E के एक घंटे उड़ान की लागत 68 हजार से 71 हजार डॉलर थी। यानी 60 लाख से 62 लाख रुपए।

3 फरवरी को अमेरिकी अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि 2025 में मिलिट्री विमान के एक घंटे उड़ान भरने पर करीब 28,500 डॉलर यानी करीब 25 लाख रुपए खर्च आता है। हालांकि, अधिकारियों ने भारतीय अप्रवासियों के डिपोर्टेशन के खर्च का आंकड़ा जारी नहीं किया है।

अमेरिका 18 हजार अवैध अप्रवासियों को भारत भेजने के लिए 360 करोड़ रुपए खर्च करेगा। इसे कैलकुलेशन से समझिए कि टेक्सास से अमृतसर की दूरी 12,913 किमी है। अमेरिकी सैन्य विमान C-17 16 घंटे में यह दूरी तय करता है। एक फ्लाइट की ऑपरेशनल कॉस्ट 4 करोड़ रुपए है। वहीं, 18 हजार अवैध अप्रवासियों को भारत भेजने के लिए लगभग 90 फ्लाइट्स की जरूरत पड़ेगी। इसकी कुल कीमत 360 करोड़ रुपए आएगी।

सवाल-7: क्या 13 फरवरी को ट्रम्प और मोदी की मुलाकात से डिपोर्टेशन रुकेगा?

जवाब: डॉ. प्रियंकर उपाध्याय मानते हैं कि PM मोदी और प्रेसिडेंट ट्रम्प की मुलाकात से अप्रवासियों का डिपोर्टेशन नहीं रुकेगा। वे कहते हैं कि भारत इस स्थिति में नहीं है कि अप्रवासियों की वापसी पर रोक लगा सके। अमेरिका सुपर पावर है और बीते कुछ दिनों से अमेरिका और भारत के रिश्तों में दरार पड़ने लगी है। ऐसे में PM मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती नहीं देंगे।

28 जनवरी को PM मोदी ने डोनाल्ड ट्रम्प से फोन पर बात की थी। ट्रम्प ने PM मोदी पर अप्रवासी मुद्दे को लेकर काफी भरोसा जताया था। ट्रम्प ने कहा,

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अवैध अप्रवासियों के मुद्दे पर मोदी वही करेंगे जो सही होगा। जब हम अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे भारतीयों को उनके देश भेजेंगे, तो मोदी सही फैसला लेंगे। भारत के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं। हम भारत से IT प्रोफेशनल्स को लेने के लिए तैयार हैं।

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प्रियंकर उपाध्याय बताते हैं कि भारत का अपने पड़ोसी देशों की तुलना में अमेरिका के साथ दोहरा रवैया है। बांग्लादेश के अप्रवासियों को लेकर सरकार का नजरिया सख्त रहा है, लेकिन अमेरिकी अप्रवासियों के लिए मोदी सरकार ने हामी भर दी, क्योंकि यह इकोनॉमिक माइग्रेंट्स हैं। आसान भाषा में समझें तो यह वो लोग हैं जो अमेरिका में पैसा कमाने के लिए गए थे। इसलिए PM मोदी डोनाल्ड ट्रम्प से इस विषय में बात नहीं करेंगे।

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