इस लेडी IPS पर सिपाहियों ने किया था हमला ?

इस लेडी IPS पर सिपाहियों ने किया था हमला, अब कोर्ट से 3 दोषी करार; भेजे गए जेल

गाजियाबाद जिले की एडिशनल कमिश्नर पुलिस कल्पना सक्सेना पर हमले के मामले में तीन दोषी सिपाहियों को जेल भेज दिया गया है. बरेली में एसपी ट्रैफिक के पद पर रहते हुए कल्पना सक्सेना पर ये हमला हुआ था. अब दोषियों को 24 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी.

इस लेडी IPS पर सिपाहियों ने किया था हमला, अब कोर्ट से 3 दोषी करार; भेजे गए जेल

IPS कल्पना सक्सेना की तैनाती इस समय गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में है.

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले की एडिशनल कमिश्नर पुलिस कल्पना सक्सेना पर हमले के मामले में बरेली कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने मामले में तीन पुलिसकर्मियों रविंदर, रावेंद्र और मनोज के साथ एक ऑटो चालक धर्मेंद्र को दोषी करार दिया है. इन सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है और 24 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी.

दरअसल, घटना सितंबर 2010 की है. जब कल्पना सक्सेना बरेली में एसपी ट्रैफिक के पद पर कार्यरत थीं. उस समय वह शहर के नकटिया इलाके में निरीक्षण के लिए गई थीं. वहां उन्होंने देखा कि ट्रैफिक पुलिस के तीन सिपाही एक कार में बैठकर ट्रकों से अवैध वसूली कर रहे थे. जब उन्होंने इन सिपाहियों को पकड़ने की कोशिश की तो वे कार लेकर भागने लगे.

गंभीर रूप से घायल हो गई थीं IPS कल्पना सक्सेनाकल्पना सक्सेना ने दौड़कर भागती कार का दरवाजा पकड़ लिया, लेकिन आरोपियों ने वाहन नहीं रोका, जिससे वह घसीटकर सड़क पर गिर गईं और गंभीर रूप से घायल हो गईं. घटना के बाद तीनों सिपाही मौके से फरार हो गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन एसएसपी ने उन्हें बर्खास्त कर दिया.

हालांकि, बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर उन्हें बहाल कर दिया गया, लेकिन इसके बाद एक बार फिर विभागीय जांच हुई, जिसमें उन्हें फिर से दोषी पाया गया. इस बार एसएसपी रहे रोहित सिंह सजवाण ने तीनों सिपाहियों को दोबारा सेवा से हटा दिया.

पुलिस की लापरवाही भी उजागरपूरे मामले की जांच में पुलिस की गंभीर लापरवाही भी सामने आई. विवेचक ने सबूत मिटाने की कोशिश की, जिससे केस कमजोर पड़ने लगा. यहां तक कि तत्कालीन एसपी ट्रैफिक के गनर और चालक ने भी कोर्ट में आरोपी सिपाहियों की पहचान करने से इनकार कर दिया. यह साफ हो गया कि केस को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा था.

कल्पना सक्सेना ने हार नहीं मानी. जब उन्हें लगा कि केस गलत दिशा में जा रहा है तो उन्होंने वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एस.के. सिंह, सहायक अभियोजन अधिकारी विपर्णा और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक अमृतांशु के माध्यम से अपने पक्ष को मजबूती से रखा. उनके प्रयासों से केस दोबारा जीवित हो गया और आरोपियों को सजा मिलने का रास्ता साफ हुआ.

कोर्ट की सख्त टिप्पणीकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब एक आईपीएस अधिकारी के मामले में पुलिस का ऐसा रवैया हो सकता है तो आम जनता को न्याय मिलना और भी मुश्किल हो जाता है. कोर्ट ने भ्रष्टाचार और जानलेवा हमले से जुड़े इस केस में विवेचक की भूमिका पर भी सवाल उठाए. शुक्रवार को पूरे दिन कचहरी में इस केस को लेकर चर्चा होती रही कि कैसे पुलिस के कुछ अधिकारी और कर्मचारी कानून की धज्जियां उड़ाने में पीछे नहीं रहते. अब सभी दोषियों को 24 फरवरी को कोर्ट द्वारा सजा सुनाई जाएगी.

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