भारत में कम स्किल वाले लोग ज्यादा, पढ़ाई की क्वालिटी भी अच्छी नहीं ?

भारत में कम स्किल वाले लोग ज्यादा, पढ़ाई की क्वालिटी भी अच्छी नहीं

भारत के श्रम बाजार में स्किल गैप एक बड़ी समस्या है. पढ़ाई और नौकरी में अंतर से ग्रेजुएट लोग छोटे काम कर रहे हैं. वोकेशनल ट्रेनिंग और बेहतर शिक्षा से इसे ठीक किया जा सकता है.

भारत के श्रम बाजार में एक बड़ी समस्या है. यह समस्या है कि लोगों की पढ़ाई और उनकी नौकरी में बहुत अंतर है. बहुत सारे लोग जो ग्रेजुएट या पोस्टग्रेजुएट हैं, वे ऐसी नौकरियाँ कर रहे हैं जो उनकी पढ़ाई के लायक नहीं हैं. मिसाल के तौर पर, कई पढ़े-लिखे लोग छोटे-मोटे या आसान काम कर रहे हैं. यह एक बड़ी परेशानी है क्योंकि उनकी पढ़ाई का पूरा फायदा नहीं हो रहा. इससे देश का श्रम बाजार सही तरीके से काम नहीं कर पा रहा है.

डेटा बताता है कि 50% से ज्यादा ग्रेजुएट लोग ऐसी नौकरियों में हैं जो आधी-अधूरी स्किल वाली हैं. यानी उनकी पढ़ाई के हिसाब से ये नौकरियां छोटी हैं. इसके अलावा, 3.22% ग्रेजुएट लोग बहुत आसान काम कर रहे हैं, जैसे मजदूरी. पोस्टग्रेजुएट लोगों की बात करें तो 63.26% लोग अच्छी और खास नौकरियों में है. लेकिन फिर भी 28.12% लोग आधी-अधूरी स्किल वाली नौकरियों में हैं और 7.67% लोग ऐसी नौकरियों में हैं जहाँ उनकी बड़ी पढ़ाई का पूरा इस्तेमाल नहीं होता. यह दिखाता है कि पढ़ाई और नौकरी में बहुत बड़ा अंतर है.

जो लोग सेकेंडरी तक पढ़े हैं, उनके बारे में डेटा कहता है कि सेकेंडरी तक पढ़े लोग ज़्यादातर (72.18%) आधी-अधूरी स्किल वाली नौकरियों में हैं. यह ठीक है क्योंकि उनकी पढ़ाई के हिसाब से ये नौकरियाँ सही हैं. लेकिन कुछ लोग (2.79%) बड़ी और मुश्किल नौकरियों में हैं और 5.77% लोग खास काम कर रहे हैं. इससे लगता है कि कुछ लोग अपनी स्किल बढ़ा रहे हैं. फिर भी, 19.25% लोग बहुत आसान नौकरियों में हैं. इसका मतलब है कि सेकेंडरी पढ़ाई वालों के लिए भी नौकरी और स्किल में सही तालमेल नहीं है.

इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 के मुताबिक स्किल का अंतर इसलिए है क्योंकि नौकरी देने वाले और काम करने वालों के बीच सही तालमेल नहीं है. कई बार ऐसा होता है कि बाजार को जिन स्किल की जरूरत है, वो लोगों के पास नहीं होती. या फिर लोगों के पास जो स्किल हैं, उनकी डिमांड नहीं है. यह अंतर श्रम बाजार की कमियों की वजह से है. जब लोगों की स्किल और नौकरी की ज़रूरत में फर्क होता है, तो बाजार सही से काम नहीं करता.
 
PLFS 2023-24 डेटा बताता है कि 90.2% लोग सेकेंडरी तक या उससे कम पढ़े हैं. यानी ज़्यादातर लोगों की पढ़ाई बहुत कम है.इसकी वजह से 88.2% लोग आसान या आधी-अधूरी स्किल वाली नौकरियों में हैं. ये नौकरियाँ ज़्यादा स्किल की मांग नहीं करतीं. इससे पता चलता है कि भारत का वर्कफोर्स कम स्किल वाला है.

डेटा बताता है कि जितनी ज़्यादा पढ़ाई, उतनी ज़्यादा कमाई. जो लोग बहुत पढ़े हैं और खास नौकरियों में हैं, उनमें से 4.2% लोग हर साल 4 लाख से 8 लाख रुपये कमाते हैं. लेकिन 46% लोग, जो कम या आधी स्किल वाले हैं, हर साल 1 लाख से कम कमाते हैं. यानी पढ़ाई, नौकरी और कमाई में गहरा रिश्ता है. जो लोग कम पढ़े हैं, उनकी कमाई भी कम है.

वोकेशनल एजुकेशन यानी तकनीकी और ट्रेनिंग वाली पढ़ाई. यह खास नौकरियों के लिए स्किल सिखाती है. आम पढ़ाई से अलग, यह बाजार की ज़रूरत के हिसाब से तैयार करती है. लेकिन PLFS 2023-24 डेटा कहता है कि 65.3% लोगों को कोई वोकेशनल ट्रेनिंग नहीं मिली. इसका मतलब है कि ज़्यादातर लोग बिना स्किल के हैं. यह गैप पढ़ाई और नौकरी के बीच की दूरी को बढ़ाता है. अगर लोगों को सही ट्रेनिंग मिले, तो यह समस्या कम हो सकती है

इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 पढ़ाई की क्वालिटी के बारे में कहता है कि भारत में कम स्किल वाले लोग ज़्यादा हैं क्योंकि पढ़ाई की क्वालिटी अच्छी नहीं है. स्कूल और कॉलेज में जो सिखाया जाता है, वो बाजार की ज़रूरत से मेल नहीं खाता. इससे लोग पढ़ तो लेते हैं, लेकिन उनकी स्किल कम रहती है. यह कमज़ोर पढ़ाई नौकरी और कमाई में अंतर पैदा करती है. अगर पढ़ाई बेहतर हो, तो लोग अच्छी नौकरियाँ पा सकते हैं.

यह सब मिलकर भारत के श्रम बाजार की एक बड़ी तस्वीर दिखाता है. यहां पढ़ाई और नौकरी में बहुत बड़ा अंतर है. ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट लोग छोटी नौकरियां कर रहे हैं. सेकेंडरी तक पढ़े लोग भी सही जगह नहीं पहुँच पा रहे. ज़्यादातर वर्कफोर्स की स्किल कम है क्योंकि पढ़ाई का स्तर नीचा है. डिमांड और सप्लाई का तालमेल नहीं है. इससे लोगों की कमाई भी कम रहती है. वोकेशनल ट्रेनिंग इस समस्या को कम कर सकती है, लेकिन अभी बहुत कम लोगों को यह मिल रही है। इकोनॉमिक सर्वे कहता है कि पढ़ाई की क्वालिटी सुधारना ज़रूरी है.

इस समस्या को ठीक करने के लिए बहुत कुछ करना होगा. सबसे पहले, स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई को बाजार की ज़रूरत के हिसाब से बनाना चाहिए. बच्चों को शुरू से ऐसी स्किल सिखानी चाहिए जो नौकरी में काम आए. वोकेशनल ट्रेनिंग को बढ़ाना चाहिए ताकि लोग खास काम सीख सकें. सरकार को कंपनियों के साथ मिलकर यह देखना चाहिए कि बाजार को किन स्किल की ज़रूरत है. अगर लोग सही स्किल सीखें, तो वे अच्छी नौकरियां पा सकते हैं.

दूसरी बात, लोगों को जागरुक करना ज़रूरी है. कई बार लोग पढ़ाई तो करते हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि उसका इस्तेमाल कैसे करना है. करियर काउंसलिंग से यह समझाया जा सकता है कि कौन सी पढ़ाई से कौन सी नौकरी मिलेगी. गांव और छोटे शहरों में भी ट्रेनिंग सेंटर खोलने चाहिए. वहां के लोग ज़्यादातर कम पढ़े हैं, तो उन्हें आसान स्किल सिखाई जा सकती है.

तीसरी बात, सरकार को नियम बनाने चाहिए. कंपनियों को कहना चाहिए कि वे ट्रेनिंग दें. जो लोग पढ़े-लिखे हैं, उन्हें सही नौकरी मिले, इसके लिए प्लेसमेंट प्रोग्राम शुरू किए जा सकते हैं. स्कूलों में प्रैक्टिकल पढ़ाई बढ़ानी चाहिए ताकि बच्चे सिर्फ किताबी ज्ञान न लें, बल्कि काम करना भी सीखें

भारत का श्रम बाजार एक बड़ी चुनौती से गुजर रहा है. यहां पढ़ाई और नौकरी का तालमेल नहीं है. ज़्यादातर लोग कम स्किल वाले हैं और कम कमाते हैं. ग्रेजुएट लोग छोटे काम कर रहे हैं. यह सब पढ़ाई की खराब क्वालिटी और ट्रेनिंग की कमी से है. इसे ठीक करने के लिए सरकार, स्कूल और लोगों को साथ मिलकर काम करना होगा. अगर सही कदम उठाए जाएं, तो लोग बेहतर नौकरियां पा सकते हैं और देश की तरक्की होगी. यह एक लंबा रास्ता है, लेकिन शुरुआत अभी से करनी चाहिए.

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