लॉकडाउन में शहरों से भागकर गए, लेकिन गांवों के बाहर अटके

आपदाएं रिश्तों को तौल देती हैं। कोरोना की आपदा ने गांवों में रिश्तों के सारे रंग उजागर कर दिए हैं। गांव-गांव सहानुभूति, मदद, सौहार्द-सहयोग की कहानियां सामने आ रही हैं तो कहीं-कहीं इंसानी मन में छिपी क्रूरता और स्वार्थ भी दिखाई दे रहा है। मुसीबत में शहरों से भागकर अपने गांव लौटे रोज कमाने-खाने वाले रिश्तों के ये रंग भीगी आंखों से देख रहे हैं। यह नमी कहीं खुशी से उपजी है तो कहीं अपनों से दुर्व्यवहार के दुख से। गांववालों ने खुद को और लौट रहे अपनों को बचाने के लिए भले ही प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन उनके खाने-पीने का समूचा बंदोबस्त भी किया है। यह तस्वीर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार के गांवों से उभरकर आई है:

यूपी के देवरिया के गांव नगरौली के कई युवक गाजियाबाद में पेंटिंग करके जीविका चला रहे थे। लॉकडाउन के बाद मुसीबत के कुछ दिन काट कर शनिवार को वे बस से घर पहुंचे। रामानंद, राम अवतार, दीपक, रमेश, कामेश्वर आदि को गांव वालों ने बाहर ही रोक दिया। वे घबरा गए। क्या अपने घर भी न जा सकेंगे। ग्रामीणों ने धीरज बंधाया। उन्हें आबादी से दूर स्कूल ले गए। जहां चारपाइयां बिछी थीं। खाने-पीने का इंतजाम था। उन्हें हिदायत दी कि 14 दिनों तक यहीं रहें। राम अवतार ने कहा, ‘अब अपनी मिट्टी पर आ गए हैं, यही सबसे बड़ा सुकून है। इसी इलाके के गांव मठिया माफी नोनापार आदि में बल्ली के बैरियर से रास्ते बंद कर दिए गए हैं।’

अब रिश्तों का दूसरा रंग देखिए। कुशीनगर के नेबुआ नौरंगिया के एक गांव में बाहर से आए युवक को गांव से भगा दिया। वह रात भर बगीचे में रहा। फाजिलनगर क्षेत्र में होम क्वारंटाइन में रह रहे युवक को लोगों ने बाहर निकलने को मजबूर कर दिया। वे उसे गांव से भगाने पर तुले थे।

गोरखपुर के खजनी क्षेत्र के खजुरी गांव में दिल्ली से पहुंचे व्यक्ति को रात में घर में परिवार और गांववालों ने घुसने नहीं दिया। घरवालों ने धमकाया भी कि घर में घुसने की कोशिश की तो पुलिस बुलाएंगे। इसके बाद सैनेटाइज किया गया।सिद्धार्थनगर के खुनियांव क्षेत्र के मुड़िला नानकार और बस्ती के सेमरा मुस्तकहम, संतकबीरनगर के जसोवर गांव के बाहर ग्रामीणों ने बकायदा गांव में बाहरी लोगों पर बैन लगा दिया।

पटना के सीवान में गांवों में भी लोग जागरूकता दिखाने लगे हैं। खुद को कोरंटाइन रखने के लिए कई लोगों ने अपने घर को बांस व बल्ला से घेर रखा है। सासाराम शहर में दूसरे जिलों से पहुंचे लोगों के रहने-खाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तीन कोरेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। 14 दिनों बाद ही बाहर से आए इन सभी मजदूरों को अपने घर जाने दिया जाएगा। शहर के डीएवी स्कूल व एसपी जैन कॉलेज में बने सेंटरों में फिलहाल दो हजार से अधिक लोगों के रहने-खाने व सोने की व्यवस्था की गई है। चेनारी के रेड़िया हाई स्कूल व चेनारी के टेकारी हाई स्कूल को भी अस्थायी कोरंटाइन सेंटर बनाया गया है। दिल्ली व अन्य प्रदेशों से करीब 2245 लोगों का जत्था कई टुकड़ियों में जिले में पहुंच रहा है। 400 से अधिक लोगों को डीएवी स्कूल व एसपी जैन कॉलेज में बने क्वारांटाइन सेंटरों में रखा गया है।

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