आत्मनिर्भर बन रही आधी आबादी ?
आज हर क्षेत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ ही महिलाएं अपने दायित्व पूरी कुशलता से निर्वहन कर रही हैं। सरकारी नीतियां और योजनाओं से महिलाओं की प्रगति में वृद्धि हो रही है। गरीबी और निरक्षरता महिलाओं के सशक्तीकरण में गंभीर बाधा रही है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक समानता दिलाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
…. आदिकाल से ही भारत में महिलाओं का समाज में प्रमुख स्थान रहा है। नारी पूजा का भाव, विचार और विश्वास भारतीय मानस में बसा हुआ है। ‘शतपथ ब्राह्मण’ में उल्लेख है कि श्रीराम के गुरु वशिष्ठ के गुरुकुल में संगीत शिक्षण उनकी विदुषी पत्नी अरुंधति ही करतीं थीं। ऋग्वेद में भी गार्गी, मैत्रेयी, घोषा, अपाला, लोपामुद्रा जैसी अनेक ऋषिकाओं का उल्लेख मिलता है।
दुख का विषय है कि स्त्री शिक्षा की इतनी गौरवपूर्ण और स्वर्णिम परिपाटी परवर्ती काल में खासतौर से मध्ययुग में आक्रांताओं के शासनकाल और उसके बाद फिरंगियों की गुलामी के दौरान छिन्न-भिन्न होती चली गई। आजादी के संघर्ष के दौरान और आजादी के बाद महिलाओं का समाज में पुनः कुछ सम्मान बढ़ा, लेकिन उनकी प्रगति की गति दशकों तक धीमी रही।
गरीबी और निरक्षरता महिलाओं के सशक्तीकरण में गंभीर बाधा रही है। महात्मा गांधी ने 23 दिसंबर 1936 को अखिल भारतीय महिला सम्मेलन में कहा था, ‘जब महिला, जिसे हम अबला कहते हैं, सबला बन जाएगी तो वे सभी जो असहाय हैं, शक्तिशाली बन जाएंगे।’ बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर ने भी सशक्त भारत के निर्माण में महिलाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए लिखा, ‘सामाजिक न्याय के लिए महिला सशक्तीकरण जरूरी है, तभी समाज में महिला का उत्थान हो सकता है।’ महिलाओं के उत्थान से ही स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के लोकतांत्रिक विचारों के साथ समाज का पुनर्निर्माण संभव है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता दिलाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम का संदेश महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए ठोस और तेजी से कदम उठाने की आवश्यकता पर बल देना है। मोदी सरकार इसी दिशा में सक्रिय है।
हमारी सरकार ने विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से महिलाओं के उत्थान और सशक्तीकरण हेतु अनेक ठोस कदम उठाए हैं। ये नीतियां महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक स्वतंत्रता, सुरक्षा और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। पिछले दस वर्षों में महिला सशक्तीकरण के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं का जमीन पर लाभ दिखना शुरू हो गया है।
गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन प्रदान करना हो, स्वास्थ्य और सुविधा में सुधार हेतु ‘उज्ज्वला योजना’ हो या बालिकाओं की शिक्षा और भविष्य की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ हो, महिलाओं-बेटियों का हित भारत सरकार की प्राथमिकता है।
मातृत्व लाभ अधिनियम में संशोधन कर महिलाकर्मियों को मिलने वाले मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गई है। मोदी सरकार द्वारा छोटे व्यवसायियों की मदद के लिए शुरू की गई मुद्रा लोन योजना में महिलाओं की भागीदारी 69 प्रतिशत है।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य है। इसके अलावा स्टैंडअप इंडिया के तहत खास तौर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को ऋण दिया जाता है, जिसके तहत अब तक 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक के ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं।
‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ और ‘मिशन शक्ति’ जैसी योजनाओं एवं ‘सेल्फी विद डाटर’ जैसी पहल ने बालिकाओं-युवतियों के लिए नया आसमान खोला है। महिला स्वयं सहायता समूह यानी एसएचजी सशक्तीकरण योजना द्वारा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिला समूहों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उनकी भागीदारी को बढ़ाने के नए कीर्तिमान बनाए जा रहे हैं। आज भारत की नारी एक नए आर्थिक क्षितिज की ओर भी अग्रसर है। शिक्षा, सफलता की महत्वपूर्ण सीढ़ी मानी जाती है।
मोदी सरकार के शासन में उच्च शिक्षा में महिलाओं की स्थिति संतोषजनक रूप से बढ़ रही है। 2014-15 के बाद से उच्च शिक्षा में नामांकन दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। महिला नामांकन दर 1.57 करोड़ से बढ़कर 2.18 करोड़ हो गई है।
‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ द्वारा संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए
33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने का अद्वितीय कार्य हो, तीन तलाक कानून द्वारा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा हो, पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए महिला बटालियनों का गठन हो अथवा शिक्षा और कौशल विकास में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए नए संस्थान और ट्रेनिंग प्रोग्राम हों, मोदी सरकार महिलाओं की अग्रणी भूमिका को सुनिश्चित करने के लिए कृतसंकल्पित है।
कला, खेल, अभिनय, राजनीति से लेकर सरकारी नौकरियों और प्रोफेशनल जगत, सभी क्षेत्रों में भारतीय महिलाएं अपनी भागीदारी न सिर्फ सुनिश्चित कर रही हैं, बल्कि अपने दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करते हुए अपनी धाक भी जमा रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी जब विकसित भारत के लिए अपने चार स्तंभों की बात करते हैं तो उसमें महिलाएं भी एक हैं। जब विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में महिलाओं की चतुर्दिक भूमिका होने वाली है, तब हमें महिलाओं की क्षमता समझने की जरूरत है। विकसित एवं सशक्त भारत की निर्माण यात्रा महिलाओं के समग्र सशक्तीकरण के जरिये ही संपन्न होगी।
(लेखिका केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं)