कैसे चुनाव जीतती है BJP ?
12 राज्य, केंद्र में सरकार, कैसे चुनाव जीतती है BJP
हर 30 वोटर पर एक इंचार्ज, महीने के आखिर में काम का रिव्यू
देश के 28 राज्यों में से 12 में अपनी सरकार, 5 राज्यों में गठबंधन की सरकार, देश के करीब 58% लैंड एरिया और 57% आबादी पर राज। ये इलेक्शन विनिंग मशीन बन चुकी BJP की प्रोफाइल है।
2014 के पहले नॉर्थ ईस्ट में BJP का नामोनिशान नहीं था, आज वहां के 4 राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा में BJP की सरकार है। मेघालय, नगालैंड और सिक्किम में पार्टी सरकार चला रहे गठबंधन का हिस्सा है।
आज, यानी 17 फरवरी को दिल्ली में BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का पहला दिन है। इसमें लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर भी बात होगी। दैनिक भास्कर ने BJP के ग्राउंड लेवल से ऊपरी लीडरशिप तक बात करके जानने की कोशिश की है कि पार्टी में काम कैसे होता है, कैसे एंटी इनकम्बेंसी के बावजूद पार्टी कुछ ही महीनों में माहौल बदल देती और चुनाव जीतती चली जाती है।
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इस बातचीत में बूथ सबसे अहम फैक्टर बनकर सामने आया। इसलिए ये स्टोरी बूथ से ही शुरू करते हैं।
पहली कहानी: राजकुमार विश्वकर्मा, पन्ना प्रमुख
हफ्ते में 4 दिन सिर्फ पार्टी के लिए, हर डेटा ऐप पर
39 साल के राजकुमार विश्वकर्मा 2007 से BJP में है। वे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मध्य विधानसभा में पन्ना प्रमुख हैं। हफ्ते में कम से कम 4 दिन पार्टी को देते हैं, बाकी टाइम अपना बिजनेस करते हैं।
राजकुमार उन कार्यकर्ताओं में शामिल हैं, जिन्होंने 2014, यानी PM मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से पहले वाले BJP संगठन में भी काम किया है और अब भी कर रहे हैं। वे कहते हैं, ‘2014 तक सब कुछ रजिस्टर पर था। 11 लोगों की एक कमेटी बनती थी। इसमें तीन महिलाएं होती थीं, बाकी लोग जाति और धर्म के हिसाब से होते थे। आबादी के लिहाज से तय किया जाता था कि सबकी हिस्सेदारी रहे।’
‘2014 के बाद से पार्टी डिजिटल हो गई है। अब नमो ऐप से कमेटियां बनती हैं। संगठन ऐप से बाकी काम होते हैं। हर चीज का डेटा रखा जाता है। मान लीजिए मंडल अध्यक्ष आज कोई और है, कल कोई और होगा, लेकिन जो भी आएगा, उसे अपने एरिया का पूरा डेटा मिल जाएगा। वो भी अपडेट किया हुआ। सब कुछ डिजिटल होने से डेटा अपडेट करने की सुविधा हो गई है, ये काम रजिस्टर में करना मुश्किल था।’
5 से 6 परिवारों की जिम्मेदारी, उनका सुख-दुख सब अपना
आखिर पन्ना प्रमुख काम कैसे करते हैं, किसे रिपोर्ट करते हैं, कैसे पार्टी छोटे-बड़े हर चुनाव जीत जाती है या कड़ी टक्कर देती है? इन सवालों पर राजकुमार कहते हैं, ‘मैं पन्ना प्रमुख हूं। मेरे अंडर में 29 लोग आते हैं। मुझे मिलाकर 30 लोग हुए। ये 29 लोग ही मेरा परिवार हैं।’
‘29 लोग, यानी मेरे एरिया के 5 से 6 परिवार। अब मैं इनके हर दुख-सुख में शामिल होता हूं। इन्हें पार्टी के बारे में बताता हूं। पूरे 5 साल इनके टच में रहता हूं। वोटिंग के दिन देखता हूं कि ये वोट डालने पहुंचे या नहीं। ये भी हमारी जिम्मेदारी है कि जो लोग बूथ तक जा रहे हैं, वो हमारी पार्टी को ही वोट दें।’
एक बूथ पर 800 से 900 लोग होते हैं। इनमें 25 से 31 पन्ना प्रमुख होते हैं। एक पन्ना प्रमुख की टीम में 30 लोग ही क्यों होते हैं? इस पर राजकुमार कहते हैं, ‘निवार्चन आयोग के एक पेज पर 30 वोटर्स के नाम होते हैं। इसलिए हम भी 30 लोगों की लिस्ट बनाते हैं। हम वोटर लिस्ट के एक पन्ने के प्रमुख होते हैं।’
‘पहले पन्ना प्रमुख बूथ के अध्यक्ष को रिपोर्ट करता था। अब शक्ति केंद्र बन गए हैं। इनमें एक संयोजक, एक सह-संयोजक, एक प्रभारी, एक IT हेड और एक मंडल पदाधिकारी होते हैं। बूथ समितियां शक्ति केंद्र के प्रमुख को रिपोर्ट करती हैं। शक्ति केंद्र के प्रमुख मंडल में रिपोर्ट करते हैं। मंडल से रिपोर्ट जिलाध्यक्ष और वहां से प्रदेश संगठन तक पहुंचती है।’
‘पन्ना प्रमुखों की हर महीने के आखिरी रविवार को मीटिंग होती है। पहले हम PM मोदी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुनते हैं, फिर महीनेभर के कामकाज का रिव्यू करते हैं। पार्टी से जो काम मिले थे, वो सही तरीके से हुए या नहीं, नहीं हुए तो क्यों नहीं हुए, इस पर बात होती है।’
फिलहाल, BJP के पन्ना प्रमुख लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लग गए हैं। ये कैंपेन राम मंदिर से जोड़कर शुरू किया गया है। संगठन ऐप के जरिए रिव्यू भी शुरू हो चुका है। ऐसे कार्यकर्ता जो बाहर चले गए हैं या एक्टिव नहीं हैं, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। कार्यकर्ताओं को PM मोदी की स्कीम्स ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है।
दूसरी कहानी: सिद्धार्थ सोनवने, पन्ना प्रमुख
कोई हमारी बात नहीं सुनता, तो मंडल के पदाधिकारियों से बोलते हैं
राजकुमार की तरह सिद्धार्थ सोनवने भी पन्ना प्रमुख हैं।। 8-10 साल से BJP के लिए काम कर रहे हैं। वे कहते हैं, ‘मेरे पास स्लम एरिया आता है। मुझे सरकार की योजनाएं नीचे तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली है। हमारे एरिया के लोगों के जो काम नहीं हो पाते हैं, मैं उन्हें नगर निगम और दूसरे विभागों से करवाता हूं।’
सोनवने रोज 6 से 8 घंटे पार्टी के लिए काम करते हैं। वे कहते हैं, ‘पहले घर-घर जाना पड़ता था, अब वॉट्सऐप पर सब आ जाता है। उसी से मैसेज सर्कुलेट कर देते हैं।’
मध्यप्रदेश में 40 लाख से ज्यादा लोग बूथ पर लगाए
राजकुमार और सिद्धार्थ सिर्फ दो एग्जाम्पल हैं। BJP किस तरह चुनावी तैयारी करती है, इसका अनुमान हाल में हुए मध्यप्रदेश चुनाव से लगाया जा सकता है। यहां भारी एंटी इनकम्बेंसी से जूझ रही पार्टी ने 14 सीनियर लीडर्स को अलग-अलग जिलों में जिम्मेदारियां दीं। 42 हजार से ज्यादा वॉट्सऐप ग्रुप बनाए।
पोल स्ट्रैटजी को इम्प्लिमेंट करने के लिए 40 लाख से ज्यादा बूथ लेवल वर्कर्स को काम पर लगाया। मिस्ड कॉल कैंपेन के तहत 95 लाख से ज्यादा मिस कॉल जनरेट हुए। इनमें से 68 लाख यूनीक नंबर थे और 17 लाख नए मेंबर थे। 10,916 शक्ति केंद्र बनाए, बूथ पर पन्ना प्रमुख नियुक्त कर दिए गए थे। इन्हीं का नतीजा रहा कि चुनाव से कुछ महीने पहले तक खराब स्थिति में दिख रही BJP की एकतरफा जीत हुई।
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हर बूथ की मॉनिटरिंग, रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष तक जाती है
BJP में ऊपर से निचले लेवल तक काम किया जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष सभी प्रदेशों की मॉनिटरिंग करते हैं। प्रदेश अध्यक्ष सभी जिलों की मॉनिटरिंग करते हैं। जिलाध्यक्ष मंडलों की मॉनिटरिंग करते हैं। मंडल अध्यक्ष बूथ की मॉनिटरिंग करते हैं। बूथ के ऊपर भी शक्ति केंद्र होते हैं। फिलहाल पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस बूथ पर ही है। पार्टी में नारा है कि ‘बूथ जीतेंगे, तभी चुनाव जीतेंगे।’
पार्टी के एक सीनियर लीडर कहते हैं, ‘पहले एक बूथ में दस यूथ हुआ करते थे। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान ऐसा पहली बार हुआ कि एक बूथ में 40 से 50 लोगों की टीम बनाई गई। इसका असर नतीजों में भी दिखा। इसलिए अब हर प्रदेश में बूथ में वर्कर्स की संख्या बढ़ाने पर काम चल रहा है।’
बूथ कमेटी में तीन लोग होते हैं। इनमें एक बूथ अध्यक्ष होता है। एक महामंत्री होता है। बूथ कमेटी शक्ति केंद्र को रिपोर्ट करती है। बूथ पर पार्टी का कितना फोकस है, इसका अंदाजा मध्यप्रदेश के एग्जाम्पल से लगाया जा सकता है। यहां करीब 65 हजार बूथ हैं। हर बूथ में एवरेज 40 लोगों की टीम है। इस तरह करीब 26 लाख लोग बूथ पर काम कर रहे हैं। ओवरऑल टीम 40 लाख लोगों की है। देशभर में पार्टी ने 10 लाख बूथ बनाए हैं।
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पार्टी के एक सीनियर लीडर कहते हैं, ‘ये 40 लाख लोग कार्यकर्ता नहीं हैं, बल्कि वे लोग हैं, जो पार्टी के लिए फुल टाइम काम कर रहे हैं।’
BJP के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी कहते हैं, ‘BJP में संगठन का अध्यक्ष ही प्रधान होता है। उन्हीं के निर्देश पर सब काम होते हैं। अध्यक्ष के बाद दूसरी प्रधानता कार्यकर्ता की होती है।’
‘कई-कई साल से बूथ पर काम कर रहे कार्यकर्ता जानते हैं कि उन्हें कब, किस काम को कैसे करना है। विशेष परिस्थितियों में संगठन के अध्यक्ष ही तय करते हैं कि फलां काम की जिम्मेदारी किसे दी जानी है, लेकिन असली रिपोर्टिंग स्टेशन अध्यक्ष ही होता है। फिर चाहे तो वॉर्ड का अध्यक्ष हो, मंडल, जिला, प्रदेश या फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष।’
डॉ. वाजपेयी कहते हैं, ‘बूथ की एक लिस्ट में 20 से 30 पन्ने होते हैं। हर बूथ पर एक पन्ने का एक इंचार्ज होता है। पन्ने में जितने लोग हैं, वहीं पन्ना प्रमुख का काम करने का एरिया रहता है। चुनाव के दिन सुबह 10 बजे तक उन्हें इन सभी लोगों के वोट डलवाने का टास्क होता है।’
पार्टी के अजेय होने के सवाल पर डॉ. वाजपेयी कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री कहते हैं आपदा में अवसर खोजें, जैसे कोरोना में हमने तीन-तीन वैक्सीन डेवलप कर दीं। यही काम हमारे कार्यकर्ता कर रहे हैं इसलिए BJP अजेय हो गई है।’
लोकसभा चुनाव में डिवीजन नहीं, क्लस्टर के हिसाब से काम
आम दिनों में पार्टी डिवीजन के हिसाब से चलती है, लेकिन लोकसभा चुनाव के वक्त लोकसभा सीटों के हिसाब से वर्किंग शुरू हो जाती है। अब देशभर की लोकसभा सीटों को अलग-अलग क्लस्टर में बांट दिया गया है। हर क्लस्टर की जिम्मेदारी उस एरिया के सीनियर लीडर को दी जा रही है। वही उस क्लस्टर के प्रभारी होंगे और प्रदेश अध्यक्ष को रिपोर्ट करेंगे।
प्रदेश अध्यक्ष से रिपोर्ट सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास जाएगी। पार्टी में हर कैंपेन का नेशनल से लेकर लोकल लेवल तक प्रभारी बनाया जाता है। इस बात को ऐसे समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के लिए एक राष्ट्रीय प्रभारी, प्रदेश प्रभारी, जिला प्रभारी, मंडल प्रभारी और बूथ प्रभारी तक हैं।
पार्टी से जुड़े किसी भी कैंपेन को ग्राउंड तक उतारने के लिए इसी ढांचे के तहत काम किया जाता है।
कैडर बेस्ड पार्टी में संगठन मजबूत होता है, फिलहाल BJP में ऐसा नहीं
सीनियर जर्नलिस्ट एनके सिंह कहते हैं, ‘BJP कैडर बेस्ड पार्टी है। BJP के अलावा भारत में कम्युनिस्ट पार्टी की कैडर बेस्ड पार्टी कहलाती हैं। कैडर बेस्ड पार्टी की खासियत होती है कि इनमें संगठन ज्यादा मजबूत और प्रमुख होते हैं। मौजूदा दौर में BJP में ऐसा पहली बार हुआ है, जब संगठन से ज्यादा सरकार का दबदबा है। संगठन सरकार के ऊपर हावी नहीं हो सकता।’
‘सरकार में जो भी हो होता है, वो चुनाव के लिहाज से होता है। इसी का नतीजा है कि BJP इलेक्शन विनिंग मशीन बन गई है। पार्टी में लीडरशिप से अलग कहीं कोई बात करता नहीं दिखेगा। दूसरी पार्टियों में ऐसा नहीं होता। BJP में तो बड़े बदलाव के बाद भी विरोध के सुर सामने नहीं आते।’
BJP में बॉटम टु टॉप का सिस्टम, यही उसे मजबूती देता है
मध्य प्रदेश के पॉलिटिकल एनालिस्ट गिरिजाशंकर एनके सिंह से अलग राय रखते हैं। वे कहते हैं, ‘पार्टी अलग है और सरकार अलग। सरकार की अपनी फंक्शनिंग है। सरकार हमेशा इलेक्शन मोड में नहीं रहती, लेकिन पार्टी हमेशा इलेक्शन मोड में ही रहती है। वे हमेशा इलेक्शन जीतने के बारे में ही सोचते हैं।’
‘पार्टी की कोशिश रहती है कि सरकार के लेवल पर जो काम हुआ है, उसे जनता तक पहुंचाकर उसका राजनीतिक फायदा उठाया जाए।’
गिरिजाशंकर कहते हैं, ‘BJP का संगठन कागजी ज्यादा है। इसी संगठन के रहते हुए मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले कहा जा रहा था कि कांग्रेस की सरकार आने वाली है। फिर लाडली बहना स्कीम आई और लोगों का परसेप्शन बदल गया।’
‘संगठन की अपनी एक प्रक्रिया है, जो चलती रहती है, लेकिन उसे ताकत सरकार की योजनाओं से मिलती है। इसलिए सरकार की प्रमुखता ही ज्यादा होती है और संगठन की कम। पार्टी जब सरकार में नहीं होती, तब संगठन की भूमिका अहम होती है।’
‘BJP में सबको पता है कि संगठन से बड़ा कोई नहीं है। कांग्रेस में भी इंदिरा गांधी के वक्त ऐसा ही था, जैसा नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में आज BJP में है। BJP में हाईकमान ने ऐसी व्यवस्था बनाई है कि बूथ से बुनियाद शुरू होकर राष्ट्रीय स्तर तक जाती है, जबकि कांग्रेस में ऊपर से नीचे की व्यवस्था है। इसलिए वहां नेशनल लेवल पर जो फैसले लिए जाते हैं, वे ग्राउंड तक आ ही नहीं पाते।’
विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू
BJP संगठन के एक सीनियर लीडर कहते हैं, ‘हमने विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थीं। पार्टी ऐसे 80 करोड़ लोगों तक पहुंचना चाहती है, जो सरकार की अलग-अलग स्कीम्स का फायदा उठा रहे हैं। इनसे पार्टी के पक्ष में वोट करवाना है।’
‘देशभर में 300 से ज्यादा कॉल सेंटर बना लिए गए हैं। इनमें से ज्यादा डिस्ट्रिक्ट BJP ऑफिस में बने हैं। अभी मिस कॉल कैंपेन के जरिए लोगों को पार्टी से जोड़ रहे हैं। इनमें भी ऐसे लोगों को शॉर्टलिस्ट किया जा रहा है, जो पार्टी के लिए एक्टिव रहकर काम कर सकें।’
PM मोदी सरकारी योजनाओं का फायदा लेने वाले लोगों तक पहुंचने के लिए अभियान भी लॉन्च करने वाले हैं। इसे यूनियन मिनिस्टर भूपेंद्र यादव और BJP के जनरल सेक्रेटरी सुनील बंसल कोऑर्डिनेट करेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP को 22 करोड़ वोट मिले थे। इस बार पार्टी प्रेसिडेंट जेपी नड्डा ने 35 करोड़ वोट का टारगेट रखा है।