मनमानी फीस नहीं वसूल पाएंगे कोचिंग सेंटर्स !

केंद्र की गाइडलाइंस राज्य के बिल से अलग
राजस्थान कोचिंग सेंटर्स (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल 2025 को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि बिल में केंद्र की गाइडलाइंस को बिल में जगह नहीं दी गई है।
कुछ पेरेंट्स एसोसिएशन्स ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि ये मजबूत बिल नहीं है। केंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटर्स को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा कमजोर बिल पेश किया है।
इस बिल का विरोध करने वालों के तर्क….
- केंद्र सरकार की जनवरी 2024 की गाइडलाइंस के अनुसार कोचिंग सेंटर्स को नियमों का उल्लंघन पहली बार करने पर 25,000 रुपए और दूसरी बार करने पर 1 लाख रुपए जुर्माना भरना होगा। वहीं, राजस्थान सरकार के बिल में पहली बार जुर्माना 2 लाख रुपए और दूसरी बार जुर्माना 5 लाख रुपए है। लोगों का कहना है कि दोनों के अलग प्रावधान होने की वजह से कहीं ऐसा न हो कि कोचिंग सेंटर्स बीच का कोई बचने का रास्ता निकाल ले।
- केंद्र की गाइडलाइंस के अनुसार 16 साल से कम उम्र के बच्चे कोचिंग सेंटर्स में एडमिशन नहीं ले सकते। लेकिन राज्य सरकार के बिल में एज लिमिट को लेकर कोई प्रावधान नहीं है।
- कई बार स्टूडेंट्स कोचिंग सेंटर्स से मिसिंग हो जाते हैं और कई दिन बाद ये बात पेरेंट्स तक पहुंचती है। बिल के एक पुराने वर्जन में कोचिंग सेंटर्स के लिए स्टूडेंट्स की बॉयोमेट्रिक अटेंडेंट लेने का नियम जोड़ा गया था। लेकिन विधानसभा में पेश बिल से ये नियम गायब है।
- बिल के ड्राफ्ट वर्जन में कहा गया था कि कोचिंग सेंटर्स को नेशनल हॉलीडेज, त्योहारों और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर द्वारा घोषित छुट्टियों को लेकर राज्य सरकार के नियमों का पालन करना होगा। लेकिन विधानसभा में पेश बिल में कहा गया है कि कोचिंग सेंटर्स को फेस्टिवल के अनुसार बच्चों को छुट्टियां देने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही नेशनल और लोकल हॉलीडेज का भी कोई जिक्र बिल में नहीं है।
- कोचिंग सेंटर्स को फीमेल और डिफरेंटली एबल्ड स्टूडेंट्स को एडमिशन देने के लिए स्पेशल प्रावधान बनाने चाहिए। कोचिंग सेंटर्स की बिल्डिंग्स राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसएबिलिटी एक्ट 2016 के अनुसार होनी चाहिए। ये दोनों पॉइंट्स ड्राफ्ट में शामिल थे लेकिन अब बिल से हटा दिए गए हैं।
2024 में केंद्र सरकार ने जारी की थी गाइडलाइंस
शिक्षा मंत्रालय ने 2024 में कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के लिए गाइडलाइंस जारी की थीं। इसके तहत कोचिंग इंस्टीट्यूट्स 16 साल से कम उम्र के बच्चों को एडमिशन नहीं दे सकते। भ्रामक वादे करना और अच्छे नंबरों की गारंटी देने पर भी पाबंदी लगा दी गई।
स्टूडेंट्स की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, क्लासेज में आग की घटनाओं और कोचिंग सेंटर्स में सुविधाओं की कमी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने यह गाइडलाइंस जारी की थीं।
इसके बाद भ्रामक विज्ञापनों को लेकर भी केंद्र सरकार गाइडलाइंस जारी कर चुकी है। इसके अनुसार कोचिंग सेंटर्स 100% सिलेक्शन और 100% नौकरी देने का दावा नहीं कर सकते।
राज्य में दो महीने के अंदर 7 स्टूडेंट सुसाइड
राजस्थान सरकार का ये फैसला कोटा में बढ़ते स्टूडेंट सुसाइड के दौरान आया है। कोटा में इस साल अब तक 7 स्टूडेंट्स सुसाइड कर चुके हैं।
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New Coaching Centre Guidelines:
प्राइवेट कोचिंग सेंटरों की मनमानी बंद, केंद्र सरकार ने लागू किए ये नियम
केंद्र सरकार की ओर से कोचिंग सेंटर रेगुलेशन 2024 (Regulation of Coaching Centre) के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। अब कोई भी कोचिंग संस्थान 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों को अपने संस्थान में दाखिला नहीं दे सकते हैं।देश में कोचिंग संस्थानों के मनमाने रवैये और छात्र आत्महत्या के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए सरकार नई गाइडलाइंस लेकर आई है। आइए जानते हैं उन 10 बिंदुओं के बारे में जो सरकार ने जारी किए हैं।
भारत सरकार ने हाल ही में कोचिंग संस्थानों के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इन गाइडलाइंस के अनुसार, अब कोई भी कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के बच्चों को दाखिला नहीं दे पाएगा। इससे पहले, कोचिंग संस्थान 12वीं कक्षा से पहले भी बच्चों को दाखिला दे सकते थे। इसके अलावा, कोचिंग संस्थान किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी नहीं दे सकते हैं, जैसे कि रैंक या अच्छे अंक की गारंटी देना। इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले कोचिंग संस्थानों को 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सरकार का मानना है कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोचिंग हानिकारक हो सकती है। यह बच्चों पर मानसिक दबाव डाल सकता है और उन्हें आत्महत्या के लिए प्रेरित कर सकता है। इसके अलावा, 16 साल से कम उम्र के बच्चे कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई के लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं होते हैं। इन दिशानिर्देशों को जारी करने का मुख्य कारण कोचिंग में बच्चों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकना है। पिछले कुछ वर्षों में, कोटा जैसे शहरों में कई बच्चों ने आत्महत्या कर ली है। इनमें से कई मामलों में, आत्महत्या का कारण कोचिंग में पढ़ाई का दबाव बताया गया है।
नई गाइडलाइन के तहत, कोचिंग संस्थानों को छात्रों को फीस की रसीद देना, भिन्न-भिन्न कोर्स का उल्लेख करते हुए एक प्रॉस्पेक्ट्स जारी करना, प्रॉस्पेक्ट्स और नोट्स भी विद्यार्थियों को बिना शुल्क के देने होंगे। यदि विद्यार्थी ने पाठ्यक्रम के लिए पूरी फीस जमा कर दी है, लेकिन बीच में ही कोचिंग छोड़ रहा है, तो बची हुई फीस 10 दिन के भीतर वापस करनी होगी।
इन दिशानिर्देशों के तहत, कोचिंग संस्थानों को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना होगा:
- कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के बच्चों को एडमिशन नहीं दे सकते हैं।
- कोचिंग संस्थान किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी नहीं दे सकते हैं, जैसे अच्छे नंबर या रैंक दिलाने की गारंटी।
- कोचिंग संस्थान ग्रेजुएट से कम योग्यता वाले शिक्षकों को नियुक्त नहीं कर सकते हैं।
- कोचिंग संस्थान किसी भी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त नहीं कर सकते हैं, जो नैतिक कदाचार से जुड़े किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो।
- कोचिंग संस्थान के पास एक परामर्श प्रणाली होनी चाहिए।
- कोचिंग संस्थान की वेबसाइट पर शिक्षकों की योग्यता, पाठ्यक्रम/पाठ्य सामग्री, पूरा होने की अवधि, छात्रावास सुविधाएं और लिए जाने वाले शुल्क का अद्यतन विवरण होना चाहिए।
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- उन्हें टेस्ट से पहले स्टूडेंट्स को उस टेस्ट के डिफिकल्टी लेवल के बारे में बताना होगा।
- उन्हें अन्य करियर ऑप्शन्स के बारे में भी बताया जाए।
- मेंटल हेल्थ को लेकर समय-समय पर वर्कशॉप का आयोजन किया जाए।
- साथ ही दिव्यांग स्टूडेंट्स को सपोर्ट करने के लिए कोचिंग उन्हें उनके मुताबिक सुविधाएं प्रदान करे।
- फीस 10 दिन के अंदर वापस करनी होगी।
कोई भी कोचिंग सेंटर रजिस्ट्रेशन के लिए ऐसा नहीं करेगा:
- ग्रेजुएट स्तर से कम योग्यता वाले शिक्षकों को नियुक्त करें।
- माता-पिता/छात्रों को कोचिंग सेंटर में दाखिला दिलाने के लिए भ्रामक वादे या रैंक या अच्छे अंक की गारंटी दें।
- 16 वर्ष से कम आयु के छात्रों का नामांकन करें; छात्र नामांकन माध्यमिक विद्यालय परीक्षा के बाद ही होना चाहिए।
- कोचिंग की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कोचिंग सेंटर किसी भी प्रकार का भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करते हैं या उसके प्रकाशन में लग जाते हैं।
- यदि इसमें प्रति छात्र न्यूनतम स्थान आवश्यकता से कम है तो पंजीकृत हों।
कोचिंग गाइडलाइन के उल्लंघन करने पर लगेगा जुर्मानाकोचिंग गाइडलाइन के उल्लंघन करने पर जुर्माना लग सकता है। केंद्र सरकार ने हाल ही में प्राइवेट कोचिंग सेंटरों पर लगाम लगाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इन गाइडलाइन के अनुसार, कोचिंग संस्थानों को कई तरह की शर्तों का पालन करना होगा। अगर कोई संस्थान इन शर्तों का उल्लंघन करता है, तो पहली बार उस कोचिंग सेंटर पर 25000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा।
कोचिंग गाइडलाइन के उल्लंघन के लिए लगने वाले जुर्माने की राशि 1 रुपये लाख तक हो सकती है। जुर्माने के अलावा, कोचिंग संस्थान का पंजीकरण भी रद्द किया जा सकता है।
उप सचिव ने दिया कोचिंग सेंटरों के लिए नई गाइडलाइन का आदेशकेंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटरों के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इन गाइडलाइंस का मकसद कोचिंग सेंटरों की मनमानी को रोकना और छात्रों के हितों की रक्षा करना है। शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के उप सचिव देवेन्द्र कुमार शर्मा द्वारा जारी रिपोर्ट को आगे बढ़ाते हुए पत्र में कहा गया है कि सभी कोचिंग सेंटरों को इन दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए तीन महीने का समय दिया जाएगा। पत्र में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकारों को इन दिशानिर्देशों को प्रसारित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
साल 2023 में सबसे ज्यादा छात्रों ने की आत्महत्या साल 2023 में भारत में कोचिंग सेंटरों में आत्महत्याओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में कोचिंग सेंटरों में आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या 2022 की तुलना में लगभग 50% अधिक थी।
इसकी कई वजहें हो सकती हैं। एक वजह यह है कि कोचिंग सेंटरों में छात्र बहुत अधिक दबाव में रहते हैं। उन्हें परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से वे तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं।
दूसरी वजह यह है कि माता-पिता के बढ़ते दबाव भी एक कारण हो सकते हैं। माता-पिता अपने बच्चों से बहुत अधिक उम्मीदें रखते हैं और उन पर बहुत अधिक दबाव डालते हैं। इस वजह से बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं और आत्महत्या का खतरनाक कदम उठा सकते हैं।
कोचिंग सेंटरों में आत्महत्याओं की घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए जाने की जरूरत है। इनमें से कुछ कदम निम्नलिखित हैं:
- कोचिंग सेंटरों को अपने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- कोचिंग सेंटरों में छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
- माता-पिता को अपने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
इन कदमों को उठाकर हम कोचिंग सेंटरों में आत्महत्याओं की घटनाओं को कम कर सकते हैं।
यहां कुछ विशिष्ट उपाय दिए गए हैं जो कोचिंग सेंटरों और माता-पिता को आत्महत्याओं को रोकने में मदद कर सकते हैं:
कोचिंग सेंटरों के लिए
- छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें।
- छात्रों के साथ नियमित रूप से व्यक्तिगत बातचीत करें।
- छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करें।
- छात्रों को तनाव और डिप्रेशन से निपटने के लिए कौशल सिखाएं।
माता-पिता के लिए
- अपने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक रहें।
- अपने बच्चों के साथ बातचीत करें और उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करें।
- अपने बच्चों को तनाव और डिप्रेशन से निपटने के लिए स्किल सिखाएं।