बेरोजगारों की परीक्षा फीस से चल रही स्कूटी-लैपटॉप योजना ?

बेरोजगारों की परीक्षा फीस से चल रही स्कूटी-लैपटॉप योजना:शिवराज ने की थी वन टाइम फीस की घोषणा; अब सीएम मोहन यादव बोले- ऐसी कोई योजना नहीं

QuoteImage

प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के लिए कुल 297 करोड़ रुपए लोक शिक्षण संचालनालय के खाते में कर्मचारी चयन मंडल ने ट्रांसफर किए हैं। इसके कारण कर्मचारी चयन मंडल के फिक्स डिपॉजिट में कमी आई है।

QuoteImage

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ये जानकारी विधानसभा में एक सवाल के जवाब देते हुए कही हैं। दरअसल, कर्मचारी चयन मंडल ही प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करता है और उसकी कमाई का मुख्य जरिया बेरोजगारों से ली गई परीक्षा फीस है।

सरकार ने जिस प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के नाम पर कर्मचारी चयन मंडल से पैसे ट्रांसफर कराए हैं उसी योजना के तहत सरकार विद्यार्थियों को स्कूटी और लैपटॉप बांट रही है। इसका खुलासा होने के बाद बेरोजगार अब ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

बेरोजगारों का कहना है कि 4 साल में परीक्षा देने में 25 हजार रुपए तक खर्च हो चुके हैं। सरकार से राहत की उम्मीद थी लेकिन सरकार हमारी मजबूरी का फायदा उठाकर फ्रीबीज (मुफ्त बांटने की स्कीम) पर परीक्षा के पैसे खर्च कर रही है।

क्या है पूरा मामला, सरकार बेरोजगारों की परीक्षा फीस से कितनी कमाई करती है और क्यों ठगा सा महसूस कर रहे बेरोजगार, क्या नि:शुल्क परीक्षा लेने के बारे में भी सरकार विचार कर रही है…

धार जिले की सरदार विधानसभा से विधायक प्रताप ग्रेवाल ने विधानसभा के मौजूदा सत्र में प्रतियोगी परीक्षाओं की फीस और कर्मचारी चयन मंडल के फिक्स डिपॉजिट को लेकर सवाल पूछे।

ग्रेवाल ने पूछा कि मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल और कर्मचारी चयन मंडल द्वारा वर्ष 2016 से 2024 के दरमियान और 2025 में अब तक कितनी प्रतियोगी परीक्षाएं हुईं। इनमें कितने परीक्षार्थी शामिल हुए।

इनसे कितनी परीक्षा फीस ली गई और कर्मचारी चयन मंडल के फिक्स डिपॉजिट का क्या स्टेटस है? बेरोजगारों काे राहत देने के लिए नि:शुल्क भर्ती परीक्षा क्यों नहीं ली जा रही है?

इस सवाल का जवाब देते हुए 13 मार्च को विधानसभा में सीएम ने कहा कि 10 सितंबर 2022 और 18 जुलाई 2023 को शासन ने दो आदेश जारी किए। कर्मचारी चयन मंडल को जारी इन आदेशों के जरिए प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के लिए एक बार 160 करोड़ रुपए और और एक बार 137 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने के आदेश दिए गए।

सीएम ने ये स्वीकार किया कि ऐसा करने के कारण लोक शिक्षण संचालनालय के फिक्स डिपॉजिट में कमी आई है।

परीक्षा का खर्च बोर्ड ही उठाता है

सीएम ने ये भी कहा कि परीक्षाओं पर हाेने वाले खर्च को बोर्ड ही वहन करता है जिसका एकमात्र जरिया आवेदकों से प्राप्त फीस ही है। उन्होंने विधायक प्रताप ग्रेवाल के मुफ्त भर्ती परीक्षा को लेकर किए गए सवाल का भी जवाब दिया ओर कहा कि फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है।

तब प्रदेश में थी शिवराज सरकार, इलेक्शन थे

सरकार ने कर्मचारी चयन मंडल को जो दोनों आदेश जारी किए हैं वो पिछली भाजपा सरकार के दरमियान के हैं। दूसरा पत्र तब लिखा गया जब चार महीने बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे और सिर्फ दो-ढाई महीने में आचार संहिता लगनी थी। सरकार पर चुनाव से पहले स्कूटी और लैपटॉप की घोषणा को पूरा करने का दबार था।

शिवराज सरकार ने वन टाइम फीस की घोषणा की थी

विधानसभा में सवाल उठाने प्रताप ग्रेवाल ने बताया कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने वन टाइम परीक्षा फीस लेने की घोषणा की थी, अब डॉ. मोहन यादव कह रहे हैं कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।

सरकार ने कर्मचारी चयन मंडल के पैसे स्कूल शिक्षा विभाग को दे दिए, जबकि शिक्षा विभाग खुद बहुत सक्षम है। एक तरफ तो सरकार उद्योगपतियों का कर्जा माफ करती है, किसानों और लाड़ली बहनों को खुशहाल रखने के लिए उनको सुविधा देती है, फिर बेरोजगार परीक्षार्थी के प्रति सरकार क्यों बेरुखी कर रही है

अब जानिए बेरोजगार परीक्षार्थियों का दर्द…

किराए से रहता हूं, परीक्षा पर काफी खर्च किया

मऊगंज के रहने वाले 27 वर्षीय विपिन कुमार त्रिपाठी पिछले चार साल से भर्ती परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। विपिन ने बताया कि मैंने अब तक परीक्षाओं में लगभग 15 हजार रुपए की फीस भरी है। 10 हजार रुपए एक जगह से दूसरी जगह परीक्षा देने पर खर्च हुआ है। यानी 25 हजार खर्च कर चुका हूं।

विपिन ने कहा कि मैं भोपाल में किराए के कमरे में रहता हूं और पढ़ने के लिए रोज लाइब्रेरी जाता हूं। रहने, खाने का और लाइब्रेरी का खर्च अलग लगता है। फिलहाल ये सब मुझे अपने घर से ही मंगवाना पड़ता है। बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है और नौकरी कम है। सरकार हमसे परीक्षा फीस लेकर अपना खजाना भर रही है।

 

चुनाव के वक्त किया वादा भूल गई सरकार

गंजबासौदा के रहने वाले हरिओम विश्वकर्मा तीन साल से लगातार परीक्षा दे रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अब तक 10 हजार रुपए परीक्षा फीस में दे दिए हैं। हरिओम के पिता पेशे से किसान हैं। हरिओम घर से दूर रह कर परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि चुनाव के वक्त हम से वादा किया गया था कि सरकार अब केवल एक बार ही परीक्षा फीस लेगी, लेकिन ये लागू नहीं किया गया। उनकी ही सरकार है, वो अपनी ही सरकार का वादा भूल गए हैं।

सरकार पैसे खूब लेती है, भर्ती ना के बराबर

भोपाल की रहने वाली भारती विश्वकर्मा चार साल से व्यापमं की परीक्षा दे रही हैं। भारती कहती हैं कि सरकार पैसे तो बहुत लेती है, पर भर्ती ना के बराबर निकालती है। भारती ने कहा कि बहुत ही अनफेयर प्रोसेस है।

चुनाव के टाइम पर तो सरकार कई भर्ती निकालती है, पर बाकी समय सरकार हमारे लिए कुछ नहीं करती।

बाकी राज्य में वन टाइम फीस, यहां बार-बार

ऐसी ही कहानी भोपाल के रहने वाले 23 वर्षीय अक्षत हयारण की है, जो 2021 से हर प्रतियोगी परीक्षा दे रहे हैं। अक्षत कहते हैं कि मैंने कई परीक्षाएं दी हैं, जिसमें मैंने लगभग 20 हजार रुपए खर्च कर दिए हैं। बाकी राज्य में वन टाइम रजिस्ट्रेशन फीस लगती है, हमारे प्रदेश में सरकार बार-बार पैसे लेती है, जो परीक्षा के अनुसार अलग-अलग रहती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *