बिना अनुमति के चल रहे आरओ प्लांट ?

गर्मी बढ़ते ही नगर में आरओ पानी की मांग बढ़ गई है। इसी के चलते गली-गली अवैध आरओ प्लांट संचालित हो रहे हैं। ये प्लांट बिना अनुमति के काम कर रहे हैं।
गाड़ियों में सेंटेक्स टंकी रखकर आरओ पानी बेचा जा रहा है। इस पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। बिना जांच के पानी की होम डिलीवरी की जा रही है। सरकारी और निजी कार्यालयों, दुकानों और घरों तक यह पानी सप्लाई हो रहा है। लोग इसे सेहतमंद समझकर पी रहे हैं, लेकिन हकीकत में यह सिर्फ नल का पानी है, जिसे ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है।
शहर की कॉलोनियों और गलियों में कैम्पर और कैन में यह पानी बेचा जा रहा है। यह पानी आरओ मशीन से शुद्ध होने के बजाय केमिकल युक्त है। एक से दो रुपए प्रति लीटर के भाव से बिक रहा यह पानी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। आरओ मिनरल वाटर के नाम पर बीमारियां परोसी जा रही हैं।
केमिकल युक्त पानी से बढ़ रहा बीमारियों का खतरा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पानी में सोडियम, कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम की मात्रा जरूरी होती है। लेकिन बाजार में बिक रहे मिनरल वाटर में ये तत्व नहीं मिल रहे। इससे लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। लोग इसके दुष्प्रभावों से अनजान हैं। विभाग के पास यह जानकारी तक नहीं है कि नगर में कितने आरओ प्लांट हैं, कितने पंजीकृत हैं और कितने अवैध रूप से चल रहे हैं।
आरओ प्लांट की जांच कराई जाएगी ^ नगर परिषद ने 10 करोड़ रुपए की लागत से 25 हजार की आबादी के लिए फिल्टर प्लांट तैयार कराया है। इसका पानी घर-घर पहुंच रहा है। जहां आरओ प्लांट लगे हैं उनकी जांच कराई जाएगी। महेश चंद्र जाटव, सीएमओ, नगर परिषद, भितरवार