ऑनलाइन गेमिंग की लत युवाओं के आत्महत्या की वजह! NCRB के पास कोई डाटा नही ?

ऑनलाइन गेमिंग की लत युवाओं के आत्महत्या की वजह! सरकार क्यों नहीं लगा रही रोक?

आजकल ऑनलाइन गेमिंग सिर्फ एंटरटेनमेंट का साधन नहीं, बल्कि एक गंभीर लत बन चुका है. कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण किशोर और युवा मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या तक कर रहे हैं.

आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन गेमिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है. युवा घंटों तक मोबाइल और कंप्यूटर पर गेम खेलते रहते हैं, जिससे वे आभासी दुनिया में खो जाते हैं. लेकिन हाल के सालों में ऑनलाइन गेमिंग की लत कई युवाओं के लिए घातक साबित हो रही है. कई मामलों में यह लत आत्महत्या का कारण भी बन रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरकार इस गंभीर समस्या पर ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही?

संसद में भी सरकार से सवाल पूछा गया कि क्या केंद्र सरकार ने ये पता लगाने के लिए कोई जांच-पड़ताल की है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत का युवाओं की आत्महत्या पर क्या असर पड़ रहा है? पिछले तीन सालों में ऑनलाइन गेमिंग की वजह से कितने युवाओं ने आत्महत्या की और सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं? क्या सरकार ऐसे ऑनलाइन गेम्स को बंद करने की सोच रही है जो आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जुड़े हैं? इसके लिए क्या नियम-कानून बनाए जा रहे हैं?

पहले जानिए, क्या इंटरनेट गेमिंग की लत और आत्महत्या की सोच के बीच कोई संबंध है?
नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) की वेबसाइट पर छपी स्टडी में बताया गया है कि आजकल इंटरनेट गेमिंग की लत और आत्महत्या दुनियाभर में युवाओं के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है. इस स्टडी में चीन के 1906 किशोरों से सवाल पूछे गए ताकि ये पता लगाया जा सके कि क्या इंटरनेट गेमिंग की लत और आत्महत्या की सोच के बीच कोई संबंध है?

स्टडी में पाया गया कि 17.16% किशोर इंटरनेट गेमिंग की लत से पीड़ित थे. 16.37% किशोरों के मन में आत्महत्या के विचार आए. इंटरनेट गेमिंग की लत और आत्महत्या की सोच के बीच गहरा संबंध था. पता चला कि गेमिंग की लत से नकारात्मक भावनाएं बढ़ती हैं और ये भावनाएं आत्महत्या की सोच को बढ़ावा देती हैं.

जिन किशोरों में उम्मीद की कमी थी, उनमें नकारात्मक भावनाओं का आत्महत्या की सोच पर ज्यादा असर होता था. लेकिन, जिन किशोरों में उम्मीद ज्यादा थी, उनमें नकारात्मक भावनाओं का आत्महत्या की सोच पर कम असर होता था. मतलब, नकारात्मक भावनाएं और उम्मीद की कमी इस समस्या को और भी बढ़ा देती हैं.

ऑनलाइन गेमिंग की लत युवाओं के आत्महत्या की वजह! सरकार क्यों नहीं लगा रही रोक?

गेमिंग की लत और आत्महत्या की सोच लगभग 20% तक!
स्टडी के अनुसार, किशोरों में इंटरनेट गेमिंग की लत और आत्महत्या की सोच का पता लगाने की दर लगभग 20% के करीब थी. ये समस्या बहुत गंभीर है और इसे गंभीरता से लेना जरूरी है. इंटरनेट गेमिंग की लत और आत्महत्या की सोच आपस में गहरे रूप से जुड़े हुए हैं. आत्महत्या की सोच पर गेमिंग की लत का सीधा और नकारात्मक भावनाओं के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ सकता है.

उम्मीद नकारात्मक भावनाओं के असर को कम कर सकती है, जो गेमिंग की लत और आत्महत्या की सोच के बीच की कड़ी है. मतलब, अगर युवाओं में उम्मीद ज्यादा है, तो नकारात्मक भावनाएं उन्हें आत्महत्या की ओर कम धकेलेंगी.

ऑनलाइन गेमिंग की लत: सरकार ने क्या कदम उठाए
संसद में पूछे गए सवाल पर सरकार का कहना है कि इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 में कुछ बदलाव किए हैं. ये बदलाव इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत किए गए हैं. ये नियम ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों और उन सभी वेबसाइटों और ऐप्स पर लागू होता है जहां ऑनलाइन गेम खेले जाते हैं. सरकार ने ये नियम इसलिए बनाया है ताकि ऑनलाइन गेमिंग से होने वाले खतरों को कम किया जा सके. सरकार जानती है कि ऑनलाइन गेमिंग से कई खतरे हैं, जैसे कि इसकी लत लग जाना. 

ऑनलाइन गेमिंग की लत युवाओं के आत्महत्या की वजह! सरकार क्यों नहीं लगा रही रोक?

कोई भी ऑनलाइन गेमिंग कंपनी या वेबसाइट ऐसी कोई भी जानकारी नहीं दिखा सकती जो कानून के खिलाफ हो. ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को ये भी देखना होता है कि उनके प्लेटफॉर्म पर कोई गलत काम न हो. अगर कोई शिकायत आती है, तो उन्हें तुरंत उस पर कार्रवाई करनी होती है. अगर कोई ऐसी जानकारी है जो बच्चों के लिए हानिकारक है, तो उसे तुरंत हटाना होता है. अगर ये गेम पैसों की गड़बड़ी या जुए को बढ़ावा देता है, तो भी उसे हटाना होता है.

गलत ऑनलाइन गेम? सरकार करेगी ब्लॉक!
आईटी एक्ट सरकार को ये ताकत देता है कि अगर कोई वेबसाइट देश की एकता, सुरक्षा, या कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है, तो सरकार उस लिंक को ब्लॉक कर सकती है. वेबसाइट को बंद करने के लिए सरकार ‘इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स फॉर ब्लॉकिंग फॉर एक्सेस ऑफ इन्फॉर्मेशन फॉर पब्लिक) रूल्स 2009’ के हिसाब से काम करती है. यानी, सरकार बिना किसी कारण के किसी भी वेबसाइट को बंद नहीं कर सकती.

सरकार ने 2022 से 2024 के बीच ऑनलाइन सट्टेबाजी, जुआ और गेमिंग वेबसाइटों (मोबाइल ऐप्स सहित) से संबंधित 1298 वेबसाइटों को बंद करने का आदेश दिया है.

ऑनलाइन गेमिंग की लत युवाओं के आत्महत्या की वजह! सरकार क्यों नहीं लगा रही रोक?

NCRB: क्राइम का डेटा रखता है, पर ऑनलाइन गेमिंग का नहीं!
सरकार ने बताया कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के पास ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ी आत्महत्या के मामलों का कोई अलग या विशेष डेटा नहीं है. यह ब्यूरो आमतौर पर आम अपराधों और आत्महत्या के मामलों का ही रिकॉर्ड रखता है, लेकिन एनसीआरबी ये नहीं बताता कि कितने लोगों ने ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण आत्महत्या की.
 
एनसीआरबी एक ऐसी संस्था है जो यह बताती है कि हमारे देश में कितने और किस तरह के अपराध होते हैं. यह संस्था ‘क्राइम इन इंडिया’ नाम की एक रिपोर्ट छापती है. देशभर से अलग-अलग तरह के क्राइम का डेटा इकट्ठा करता है, जैसे कि चोरी, हत्या, अपहरण और साइबर क्राइम. NCRB के पास CCTNS (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स) ंंनामक एक ऑनलाइन सिस्टम है, जिसमें देशभर के अपराधों और अपराधियों की जानकारी स्टोर की जाती है.

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