नई दिल्ली। देश में यूपीआई (UPI) भुगतान सहित डिजिटल धोखाधड़ी पर सरकार ने चिंता जाहिर की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आज (26 मार्च) को बताया कि 2023-24 में  यूपीआई धोखाधड़ी की 13.42 लाख घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 7.25 लाख थी। केंद्र सरकार ने संसद को बताया है कि 2023-24 में 1,087 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। पिछले साल यह आंकड़ा 573 करोड़ रुपये था।
शमन केंद्र (सीएफएमसी) की स्थापना की गई
गृह राज्य मंत्री संजय कुमार बंदी ने राज्यसभा को बताया कि गृह मंत्रालय ने साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (सीएफएमसी) की स्थापना की गई है।
मंत्री ने बताया कि प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, भुगतान एग्रीगेटर्स, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आईटी मध्यस्थों और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि साइबर अपराध से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई और निर्बाध सहयोग के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
83,668 व्हाट्सएप खातों को किया गया ब्लॉक
 मंत्रालय ने कहा कि 3,962 से अधिक स्काइप आईडी और 83,668 व्हाट्सएप खातों की पहचान कर उन्हें ब्लॉक कर दिया गया है।फरवरी तक के आंकड़ों से पता चलता है कि पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 7.81 लाख से अधिक सिम कार्ड और 2,08,469 IMEI को केंद्र सरकार द्वारा ब्लॉक किया गया है। वर्तमान में यूपीआई सात देशों (यूएई, नेपाल, भूटान, सिंगापुर, मॉरीशस, फ्रांस और श्रीलंका) में उपलब्ध है।   

लोन डिफॉल्टरों व भगोड़ों के खिलाफ कर रहे लगातार कार्रवाई : सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि भगोड़ों सहित बैंक ऋण डिफाल्टरों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है और उन्होंने राज्यसभा को आश्वासन दिया कि सरकार धोखाधड़ी के मामलों से निपटने में पीछे नहीं हटेगी।
बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि एनपीए में भारी कमी आई है और सरकार जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों के खिलाफ सख्त वसूली कार्रवाई करने के लिए ”पूरी तरह प्रतिबद्ध” है।
विपक्षी दल बड़े कॉर्पोरेट कर्जदारों और आर्थिक भगोड़ों के कर्ज माफ करने का मुद्दा बार-बार उठाते रहे हैं। इस पर सीतारमण ने कहा कि कर्ज माफ करने का मतलब माफी नहीं है। माफ किए गए कर्ज के कर्जदारों को अपना बकाया चुकाना होता है और बैंक विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करके माफ किए गए खातों में वसूली की कार्रवाई जारी रखते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने बैंक धोखाधड़ी से संबंधित लगभग 912 मामले उठाए हैं, जिनमें जानबूझकर कर्ज न चुकाने के मामले भी शामिल हैं और इन मामलों में अपराध की लगभग 44,204 करोड़ रुपये की आय कुर्क/जब्ती/जमा की गई है।