सरकारी स्कूलों में शुरू हुई SEX एजुकेशन !

सही जानकारी देना ‘गंदी बात’ नहीं …
छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में शुरू हुई SEX एजुकेशन; जानिए किस उम्र के बच्चे को कैसे करें गाइड

साल 2023 में अक्षय कुमार और पंकज त्रिपाठी अभिनीत एक मूवी आई थी, ‘OMG-2’। इस मूवी में कांति शरण मुदगल (पंकज त्रिपाठी) का एक डायलॉग है, ‘सेक्स एजुकेशन विज्ञान है, जो सेक्स से संबंधित सही-गलत, उचित-अनुचित का ज्ञान देता है। अगर स्कूल मेरे बच्चे को यह सिखाता तो आज वो हंसी का पात्र नहीं बनता।‘

मूवी का यह डायलॉग अब गुजरे जमाने की बात है। छत्तीसगढ़ के स्कूलों में बच्चों को इसी सत्र से सेक्स एजुकेशन देने की शुरुआत की गई है। क्लास में बच्चों को गुड और बैड टच समेत शरीर के पार्ट्स, लैंगिक अपराध क्या है, इसे लेकर जानकारी दी जा रही है।

मुख्यमंत्री शाला सुरक्षा कार्यक्रम के तहत यह अभियान स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों में चलाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग खुद DPI (लोक शिक्षण संचालनालय) के अधिकारी कर रहे हैं। अफसरों के मुताबिक, प्राचार्यों की मॉनिटरिंग में छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। इसकी मंथली रिपोर्ट भी जिला शिक्षा कार्यालय भेजी जा रही।

  

यौन शिक्षा क्या है? इसे किस तरह बच्चों को पढ़ाया और सिखाया जा रहा है? इसके लिए सरकार को अलग टीम बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? इसे लेकर टीचर, काउंसलर और शिक्षाविद क्या सोचते हैं?

इन सवालों का जवाब जानने से पहले राजधानी रायपुर में हुई कुछ घटनाओं के बारे में जानते हैं-

केस-1 : लिफ्ट देने के बहाने बच्ची से छेड़खानी

रायपुर में एक सरकारी स्कूल के हेड मास्टर ने कार में लिफ्ट देने के बहाने कक्षा 4 की छात्रा से छेड़खानी की। परिजनों को पता चला तो मोहल्ले वालों के साथ मिलकर उन्होंने स्कूल में जमकर हंगामा किया। मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जांच बैठाई और छेड़खानी करने वाले हेड मास्टर के खिलाफ एक्शन लिया।

केस-2 : पड़ोसी ने चार साल की छात्रा से की छेड़खानी

रायपुर में चार साल की बच्ची से पड़ोस में रहने वाले नाबालिग आरोपी ने छेड़खानी की। बच्ची को नहलाते हुए मां को जब निशान दिखा, तो पूरी घटना का पता चला। मामले में परिजनों ने हंगामा किया और मामला थाना तक पहुंचा। पुलिस ने एक्शन लिया, लेकिन लोक-लाज के डर से दोनों परिवार ने समझौता कर लिया।

जानिए क्या है यौन शिक्षा

यौन शिक्षा एक व्यापक शब्द है, जिसका उपयोग मानव यौन शरीर रचना, यौन प्रजनन, संभोग और मानव यौन व्यवहार के बारे में शिक्षा के माध्यम से वर्णन किया जाता है। यौन शिक्षा के कुछ रूप कई स्कूलों में पाठ्यक्रम का हिस्सा है। इस उम्र में हो रहे बदलावों को सहजता से स्वीकार करने के लिए किशोरों को तैयार किया जा सके।

पहले परिजनों को समझने की जरूरत

एक्सपर्ट के अनुसार, NCRB के आंकड़ों में देश के 30% बच्चों को सेक्सुअल एब्यूज का शिकार बताया गया है। इन बच्चों की उम्र 1 साल से लेकर 18 साल के बीच की है। बच्चों के साथ सेक्सुअल एब्यूज ना हो, इसलिए उनकी उम्र के अनुसार उनको समझने की जरूरत है।

  • सेक्सुअल एब्यूज ज्यादातर स्कूल के अंदर नहीं होता।
  • बच्चे इस तरह की घटना का शिकार होते है, तो आमतौर पर करीबी ही शामिल होता है।
  • बच्चों को यह सिखाना चाहिए सेक्सुअल अब्यूज के लिए वे लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
  • उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • दोस्तों का एक ऐसा सर्किल होना चाहिए, जिसमें पीड़ित बच्चा जानकारी शेयर कर सके।
  • सर्किल के सदस्य उसके प्रति हंसे नहीं, बल्कि साथ मिलकर विरोध करें।

बच्चों को स्कूल में क्या सिखा रहे 5 तस्वीरों में देखिए…

सेक्सुअल एब्यूज की घटनाओं का कारण मोबाइल भी

बच्चों द्वारा किए गए लैंगिक अपराधों का एक कारण मोबाइल भी है। कोरोना काल के बाद हर बच्चे के हाथ में मोबाइल है। परिजनों की व्यस्तता के कारण बच्चे मोबाइल की दुनिया में खो गए हैं और इसका खामियाजा भी दिख रहा है। बच्चे मोबाइल में वीडियो देखकर दोहराते हैं।

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जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट…

पंडित आरडी तिवारी स्कूल में हेड-मास्टर अनुज द्विवेदी ने बताया, कि यौन शिक्षा में बात करने पर हर व्यक्ति हिचकता है। इस मुद्दे पर अपने बच्चों से बात करने और उन्हें शिक्षित करने की आवश्यकता है। छोटे बच्चों को इसकी जानकारी होगी, तो वो अपने साथ होने वाली घटनाओं को परिजनों से बता सकेंगे।

परिजनों के एक्शन लेने पर उनके साथ भविष्य में दोबारा घटना नहीं होगी। स्कूल शिक्षा विभाग की पॉलिसी आने से पहले भी छोटे बच्चों को जागरूक करने के लिए हम उन्हें शिक्षा देते है। अभी पॉलिसी आने से कंटेंट मिल जाता है, तो बच्चों को समझाने में आसानी होती है। बच्चों को जानकारी होगी, तो उनके सोचने का स्तर बढ़ेगा।

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