क्या राज्यसभा के सभापति को पद से हटाया जा सकता है?
क्या राज्यसभा के सभापति को पद से हटाया जा सकता है? जानिये संवैधानिक नियम
भारत के राजनीति के इतिहास में पहले बार सभापति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही है. संविधान के अनुच्छेद 64 में इस पद के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है.
सबसे पहले जानते हैं कहां से हुई हंगामे की शुरुआत
8 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे विनेश फोगाट का मुद्दा उठा रहे थे. उन्होंने सदन में कहा कि हमें जानने की जरूरत है कि इसके पीछे कौन था. वहीं मल्लिकार्जुन बोल ही रहे थे कि बीच में सभापति जगदीप धनखड़ ने उनकी बात काटते हुए कहा कि आप इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं कर सकते हैं. इसके बाद चेयरमैन ने उनके माइक को ऑफ कर दिया और विपक्षी सांसद ने इसपर खूब हंगामा किया.
यही हंगामा 9 अगस्त को भी एक बार फिर तब शुरू हो गया जब सांसद जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ के टोन पर सवाल उठा दिया. जया ने सभा में कहा कि जगदीप धनखड़ के टोन ठीक नहीं है. जिसे सुनते ही सभापति नाराज हो गए और जवाब में उन्होंने जया की आड़ में विपक्ष को भी जमकर खरी खोटी सुना दी. इसके बाद एनडीए और विपक्ष के बीच सभापति सांसदों ने जगदीप धनखड़ को लेकर जमकर हंगामा किया.
अब विपक्ष एकजुट होकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए महाभियोग की तैयारी कर रहा है. खबरों की मानें तो राज्यसभा के लगभग 87 सांसद ऐसे हैं जिन्होंने धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर सहमति जता दी है. अगर ऐसा होता है तो भारत की राजनीति के इतिहास में ये पहले मौका होगा, जब उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए सदन में प्रस्ताव पेश किया जाएगा.
सबसे पहले समझिये राज्यसभा में सभापति का पद कितना महत्वपूर्ण है
संविधान के तहत, भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के स्वाभाविक सभापति होते हैं. वहीं उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मिलकर साधारण बहुमत से करते हैं. संविधान के अनुच्छेद 64 में इस पद के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. सभापति का काम राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करना है.
सभापति को राज्यसभा में सदन के दौरान उन सभी अधिकारों को दिया गया है जो लोकसभा के अध्यक्ष को मिलता है. जिसका मतलब है कि सभापति राज्यसभा में दल बदल कानून के तहत किसी भी सदस्यों की सदस्यता रद्द कर सकते हैं. इतना ही नहीं कोरम न होने पर कार्यवाही स्थगित भी कर सकते हैं. वे सुनिश्चित करते हैं कि सदन की कार्यवाही संविधान और सदन के नियमों के अनुसार चले. सदस्यों को बोलने के लिए समय देते हैं और बहस को नियंत्रित करते हैं.
इसके अलावा सभापति ही सदन में अनुशासन बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं. वे किसी भी सदस्य को अनुशासनहीनता के लिए चेतावनी दे सकते हैं और उन्हें सदन से बाहर कर सकते हैं. वे सदन में किसी भी अव्यवस्था को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा सकते हैं.
राज्यसभा के सभापति चूंकि भारत के उपराष्ट्रपति भी होते हैं, इसलिए भारत के संविधान में इस पद को दूसरा सबसे बड़ा पद माना जाता है. अनुच्छेद-67-(a) के अनुसार कार्यकाल की समाप्ति के पहले उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देकर पद छोड़ सकते हैं.
क्या सभापति को हटाया जा सकता है
इस सवाल के जवाब में एबीपी ने सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता से बात की. उन्होंने कहा, ‘सभापति को राज्यसभा में प्रस्ताव के जरिए हटाया जा सकता है. लेकिन इसकी पूरी प्रक्रिया है. सबसे पहले 14 दिन पहले लिखित नोटिस देना होता है. जिसके बाद राज्यसभा में मौजूद सदस्यों की वोटिंग होती है और अगर बहुमत मिलता है तो उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है.’
उन्होंने कहा कि सभापति को हटाने के लिए लाया जाने वाला प्रस्ताव एक सामान्य प्रस्ताव होता है और इसे राज्यसभा के 50 सदस्यों के हस्ताक्षर से सचिवालय को भेजा जाता है. वर्तमान की बात की जाए तो अभी राज्यसभा में अभी कुल 225 सदस्य हैं और विपक्ष अगर सभापति धनखड़ को इस पद से हटाना भी चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें कम से कम 113 वोटों की जरूरत होगी. अब इसे ऐसे समझिये की वर्तमान में सदन में इंडिया गठबंधन के पास 87 सीटें हैं. वहीं बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस को जोड़ दिया जाए तो भी फिलहाल ये संख्या 106 तक ही पहुंच पा रही है.
वहीं दूसरी तरफ एनडीए की बात की जाए तो उनके पास राज्यसभा की 110 सीटें हैं. अब अगले महीने यानी 3 सितंबर को राज्यसभा की 12 सीटों पर एक बार फिर चुनाव होना है, जहां एनडीए को कम से कम 10 सीटों पर जीत मिलेगी. यानी 3 सितंबर के बाद राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत हो जाएगा.
वकील विराग गुप्ता ने आगे कहा, ‘आपके सवाल पर आते हैं कि क्या सभापति को हटाया जा सकता है तो धनखड़ के मामले में तो अगर प्रस्ताव राज्यसभा से पारित हो भी जाता है तो उसके बाद वह लोकसभा जाएगा और वहां भी सभापति के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराना होगा, क्योंकि सभापति देश के उपराष्ट्रपति भी हैं. फिलहाल लोकसभा में एनडीए के पास 296 सांसद के साथ बहुमत है जबकि और विपक्ष के पास 234 सांसद हैं. यहां बहुमत के लिए 272 सांसदों की जरूरत होगी.’
सभापति को पद से हटाने के लिए क्या करना होता है
उपराष्ट्रपति को ही राज्यसभा का सभापति बनाया जाता है. सभापति का काम ही पूरे सदन को सुचारू रूप से चलाना है ऐसे में उन्हें राज्यसभा के सभापति पद से तभी हटाया जा सकता है, जब उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति के पद से हटा दिया जाएगा.
भारत के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े ये नियम हैं…
1. उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने से 14 दिन पहले नोटिस देना होता.
2. जब प्रस्ताव सभापति के खिलाफ विचाराधीन हो तो सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकते.
3. राज्यसभा के सभापति के खिलाफ प्रस्ताव पर वोटों की समानता के मामले में मतदान का अधिकार नहीं मिलता.
क्या है महाभियोग
महाभियोग एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके तहत उच्च पदों पर आसीन किसी अधिकारी (जैसे कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, या अन्य संवैधानिक पदों पर) को उनके पद से हटाने के लिए कार्यवाही की जाती है. महाभियोग की प्रक्रिया भारत के संविधान में दी गई है, और इसे बहुत गंभीर मामलों में ही लाया जा सकता है, जैसे कि भ्रष्टाचार, कर्तव्य की अवहेलना, अनुचित आचरण, या संविधान का उल्लंघन.