भोपाल कलेक्टर बोले- मैंने 3 माह से 6 साल की बेटी को नहीं छुआ, इससे वह सोशल डिस्टेंसिंग सीख गई

भोपाल। शहर में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इन्हें रोकने का सिर्फ एक ही तरीका है! सोशल डिस्टेंसिंग। प्रशासन को चलते हुए शहर को कोरोना से बचाना है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग बेहद जरूरी है। लेकिन इसका पालन करावने का जिम्मा जिनके सर पर है, जानिए उन्होंने कैसे अपने घर से इसकी शुरुआत की।

अब बेटी मुझे सिखाने लगी है …

मैं और मेरी टीम पिछले तीन महीने से कोरोना संक्रमण से निपटने में जुटी है। चूंकि कोरोना की न तो कोई दवा है और न ही वैक्सीन आई है। इसलिए इससे बचने का सबसे बड़ा हथियार सोशल डिस्टेंसिंग है। मैंने यह डिस्टेंसिंग मेनटेन करने की शुरुआत अपने घर से की। मेरी बेटी छह साल की है। उसे भी सोशल डिस्टेंसिंग सिखानी थी। इसके लिए मैंने उसे छूना बंद कर दिया। तीन महीने से उसे हाथ नहीं लगाया। अब वह समझ गई है कि सोशल डिस्टेंसिंग कितनी जरूरी है। वह भी मुझे छूने की कोशिश नहीं करती। लोगो ंको पास-पास खड़े लोगों को देखकर कहती है। इन पर एक्शन होना चाहिए।

स्कूल नहीं, पैरेंट्स को भी कुछ जिम्मेदारी लेनी होगी

अभी हाल ही में 12वीं के परीक्षा केंद्रों पर बच्चों के सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो न करने की तस्वीरें अखबारों में छपीं। इन्हें देखकर लगता है कि पेरेंट्स ने सब कुछ स्कूलों पर छोड़ दिया है। सिर्फ स्कूल नहीं, बल्कि अभिभावकों को यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग सीखें और कोराना की लड़ाई में भागीदार बनें।

स्पॉट फाइन शुरू किया, ताकि लोगों को समझ आए

पुराने शहर में ज्यादातर लोग मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। लोगों को नियमों का पालन करवाने के लिए हमने फाइन लगाने का टारगेट सेट किया है। एक दिन में 800 तक फाइन किए गए। मैंने आदेश दिया है कि ज्यादा से ज्यादा फाइन करो। हम किसी को पूरी कम्युनिटी को संक्रमित करने के लिए छोड़ नहीं सकते।

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