इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना पर यूपी सरकार के मैनेजमेंट को सराहा लेकिन नहीं माना पर्याप्त

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कोरोना वायरस (coronavirus) के संक्रमण की रोकथाम के लिए यूपी सरकार के उठाए गए कदमों की सराहना की है, लेकिन इसे पर्याप्त नहीं माना है. हाईकोर्ट ने कहा कि सभी लोग हमेशा कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के भय में रह रहे हैं. घर से बाहर निकलते ही डर बना रहता है कि कोई भी कोविड-19 पॉजिटिव हो सकता है. ऐसे में इसका पता लगाया जाना जरूरी है. कोर्ट ने यूपी सरकार को कोरोना से जुड़ी टेस्टिंग और इस पर नियंत्रण के लिए कई सुझाव दिए हैं. इस पर सरकार को विचार करने और 25 जून को ब्लू प्रिंट तैयार कर कोर्ट में पेश करने का भी निर्देश दिया गया है.

सिस्टमेटिक टेस्टिंग बढ़ानी होगी

कोर्ट ने सरकार को सिस्टमेटिक टेस्टिंग बढ़ाने का सुझाव दिया है. इसके लिए प्रयागराज को सैंपल के तौर पर लेने की सलाह भी कोर्ट ने सरकार को दी है. कोर्ट ने परिवार के एक व्यक्ति की जांच घर पर जाकर करने का सुझाव दिया है क्योंकि सेंटर पर भीड़ से इंफेक्शन बढ़ने की आशंका है.

यूपी सरकार ने पेश किया ब्यौरा 
इससे पहले कोर्ट ने सरकार से टेस्टिंग में खर्च की जानकारी मांगी थी. अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बताया कि एक व्यक्ति की जांच मे ढाई हजार रूपये खर्च आएगा. अभी तक 94,63,756 घरों में जांच के लिए पहुंच सके हैं. 4,82,71,852 लोगों से संपर्क किया जा सका है. प्रदेश में कोरोना पीड़ितों के बेहतर इलाज व टेस्टिंग के लिए 1865 अस्पतालों को चिन्हित किया गया है. 17.6 लाख मजदूरों के टेस्ट किए गए हैं, जिसमें से 3950 कोरोना पाजिटिव पाए गए हैं, जिनका इलाज चल रहा है.

कोर्ट ने दिए और भी सुझाव 
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को कुछ और सुझाव भी दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि मास्क और सेनेटाइजर के निर्देशों का कड़ाई से पालन कराना जरूरी है. अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर्स की हालत सुधारने की मांग याचिका में की गई है, उस पर भी ध्यान देना होगा. कोर्ट ने कहा है कि  केवल उसी व्यक्ति को बाहर जाने की छूट हो, जो जांच में इंफेक्टेड न पाया गया हो.

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