आजादी के 73 साल बाद भी मप्र के तीन हजार गांवों में नहीं पहुंची बिजली, लालटेन व चिमनी का सहारा
भोपाल। आज एक क्षण के लिए घर की बिजली गुल हो जाए, तो हाय-तौबा मच जाती है। लेकिन, मप्र में करीब तीन हजार ऐसे गांव हैं, जहां आजादी के 73 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंची है। इन गांवों में लालटेन और चिमनी की रोशनी में ही भोजन पकता है और बच्चे पढ़ाई करते हैं। गर्मियों में आंगन में सोने के लिए इन गांवों के लोग मजबूर हैं। मप्र शासन की वर्ष 2020 की डायरी में बताया गया है कि जनगणना 2011 के अनुसार, मध्य प्रदेश में कुल गांवों की संख्या 54,903 है। इनमें से 51,617 ग्राम विद्युतिकृत हैं। यानी 3,286 गांवों में बिजली नहीं है।
1 आदिवासी बाहुल्य ग्राम कोटा गुंजापुर, पन्नाआदिवासी बाहुल्य इस गांव मेंं बिजली नहीं है। यह गांव पन्ना टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है। ग्रामीणों के अुनसार, शाम होते ही घुप अंधेरा छा जाता है, रात में जंगली जानवरों के हमले का डर रहता है। सालों पहले इस गांव में बिजली के खंबे पहुंचाए गए थे, लेकिन टाइगर रिजर्व की एनओसी नहीं मिलने से आज तक खंबे नहीं गड़े।
2 ग्राम घुनघटा, अतरौटी, कछार जिला शहडोल शहडोल के जैतपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत घुनघटा के ग्राम अतरौटी, कछार, नवाटोला में बिजली नहीं है। ये गांव जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर हैं। ग्रामीण बताते हैं, रात के अंधेरे में डर बना रहता है कि कहीं जंगली जानवर हमला न कर दें। इसी साल फरवरी में ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय पर बिजली के लिए प्रदर्शन किया था, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला।
3 कुड़रिया, सिंगरौली जनपद पंचायत देवसर के ग्राम कुड़रिया, कुसेंड़ी और टिकट आदिवासी बाहुल्य हैं। सरपंच बैंकुठ प्रसाद तिवारी कहते हैं कि एक दर्जन से अधिक गांवों में बिजली नहीं है। तत्कालीन कलेक्टर ने प्रस्ताव मांगा था। 52 गांवों का दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना के तहत प्रस्ताव बना, लेकिन फिर भी बिजली नहीं आई।
4 बसारा पुरा, भिंड भिंड जिले के ग्राम बसारा पुरा में बिजली नहीं है, लेकिन यहां बिल भेजे जा रहे हैं। इस गांव को नगर पालिका गोहद में शामिल किया गया है, लेकिन फिर भी बिजली से नहीं जुड़ा। मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सहायक यंत्री मुकेश गुप्ता कहते हैं, बिजली के लिए प्रस्ताव भेजा है। स्वीकृति होने का इंतजार है।