हर साल 3 हजार करोड़ खर्च, पर 7 साल में बढ़ने के बजाय घटा 427 वर्ग किमी जंगल

भोपाल। हरियाली के प्रतीक सावन का महीना चल रहा है और आज तो हरियाली अमावस्या है। तात्पर्य यह है कि जहां धर्मसंस्कृत् में हरियाली की इतनी चिंता है, उसी देश- प्रदेश में हरियाली घट रही है। मप्र की बात करें तो जंगलों से अवैध कटाई, अवैध खनन की वजह से लगातार जंगल घटते जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ अलग होने के बाद मप्र में 94 हजार वर्ग किमी में जंगल थे, लेकिन बीते 17 सालों में घटकर यह 83,484 वर्ग किमी रह गए हैं। वैसे इनकी सुरक्षा और पौधरोपण पर सरकार हर साल करीब 3 हजार करोड़ रुपए खर्च करती है। फिर भी बढ़ते हुए राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण 2013 से बीते 7 सालों में धीमी गति से ही सही, पर घटते जंगलों को बचा पाना मुश्किल हो रहा है। खासकर मध्यम, सघन वनों का क्षेत्रफल कम हो रहा है और छोटी-बड़ी झाड़ी वाले वनों का भी। भारतीय वन अनुसंधान द्वारा वर्ष 2019की रिपोर्ट में मप्र में 580 वर्ग किमी मध्यम सघन वन क्षेत्र घट गया है। 2013 की सर्वे रिपोर्ट में मध्यम सघन वन 34,921 वर्ग किमी बताए गए थे, जो 2019 में घटकर 34,341 वर्ग किमी रह गए। इसी तरह छोटी-बड़ी झाड़ी के जंगल 6 हजार 389 वर्ग किमी से घटकर 6,002 वर्ग किमी रह गए हैं।

प्रॉपर वेंटिलेशन और हरियाली का महत्व

एक बहुत महत्वपूर्ण बात हम कोविड के दौर में जान लें कि कोरोना संक्रमित मरीज हों या आम आदमी, सबके लिए इस बीमारी से लड़ने के लिए ऑक्सीजन बहुत जरूरी है। ऑक्सीजन के लिए एसी के बजाय प्रॉपर वेंटिलेशन बहुत जरूरी है। इसलिए घर के खिड़की-दरवाजे खुले रखें। कमरा बंद करके एसी न चलाएं। हॉस्पिटल में भी प्रॉपर वेंटिलेशन हो, नहीं तो वेंटिलेटर पर जाने में देर नहीं लगेगी। आप डॉक्टर भी हैं तो ध्यान रखें कि चैंबर हो, वॉर्ड या ऑपरेशन थिएटर एसी आपके और मरीज के पीछे हो। सामने होने पर संक्रमण के चांसेज बढ़ जाएंगे। वेंटिलेशन के लिए पंखा ज्यादा बेहतर है। याद रखें प्रॉपर वेंटिलेशन से जो हवा आ रही है उसमें ऑक्सीजन की मात्रा पर्याप्त हो। इसके लिए हमें पेड़ ज्यादा से ज्यादा लगाने होंगे, इसलिए हरियाली बढ़ाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *