लेटर बम के बाद CWC में फेरबदल… कांग्रेस में राहुल युग की शुरुआत, वरिष्ठ नेताओं के कतरे पर

कांग्रेस पार्टी के संगठन में हुए बदलाव पर राहुल गांधी की छाप साफ नजर आ रही है. इसी के साथ कांग्रेस पार्टी में बदलाव की आंधी भी शुरू हो गई है. नए बदलावों में राहुल गांधी के करीबियों को पार्टी में बड़ी और अहम जिम्मेदारियां मिली हैं.

कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की चुनाव समिति को फिर से गठित किया है, जिससे ये चर्चाएं तेज हो गई है की पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए फिर से जल्द चुनाव हो सकते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक इस फेरबदल को राहुल गांधी रिटर्न्स या राहुल गांधी की वापसी के रूप में देखा जाना चहिए.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, “ज्यादातर राहुल गांधी के करीबियों को मत्वपूर्ण ज़िम्मेदरियां मिली हैं, जिन लोगों ने चिट्ठी लिखी थी, राहुल गांधी पर सवाल उठाया था, उनका कद संगठन में कहीं न कहीं छोटा किया गया है.” दरअसल इस बदलाव की शुरुआत हुई अधीर रंजन चौधरी को पश्चिम बंगाल का अध्यक्ष बनाकर.

अधीर रंजन चौधरी लोक सभा में कांग्रेस पार्टी के नेता हैं और पश्चिम बंगाल में अकेले ही कांग्रेस का मोर्चा संभाले हुए हैं. राहुल के एक और करीबी माणिक टैगोर को भी बड़ी जिम्मेदरी मिली है. उनको तेलंगाना का इंचार्ज बनाया गया है. वहीं जितेंद्र सिंह को असम का महासचिव बनाया गया है.

पार्टी आला कमान ने दिया साफ संदेश

राहुल गांधी के करीबी संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और गुजरात के इंचार्ज राजीव सातव के खिफाल कांग्रेस के अंदर कुछ नेताओं ने मुहिम चलाई थी. जिनमें से कई ने ने पत्र पर हस्ताक्षर भी किए थे, उन सभी को पार्टी आला कमान ने साफ संदेश देते हुए इन नेताओं को उनके वर्तमान पद पर बरकरार रखा है.

कांग्रेस पार्टी ने नए महासचिवों और प्रभारियों की नियुक्ति की है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, “राहुल गांधी ने हमेशा कहा है कि कार्यकर्ताओं और जमीन से जुड़े नेताओं को बड़ी जिम्मेदरियां मिलेंगी. संगठन में जो ये फेरबदल हुआ है उसमें ज्यादातर नेता जिनको बड़ी जिम्मेदरियां मिली हैं वो जमीनी नेता हैं और संगठन के आदमी हैं, जैसे माणिक टैगोर, एचके पाटिल, पवन कुमार बंसल”

लेटर बम के बाद बड़ा फेरबदल

दरअसल कांग्रेस पार्टी ने ये फेरबदल हाल ही में पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा पार्टी नेतृत्व में बदलाव से संबंधित चिट्ठी लिखे जाने के बाद किया गया है. चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में से आजाद का कद घटाया गया है. वहीं आनंद शर्मा को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है. मनीष तिवारी यथावत हैं तो कपिल सिब्बल को नजरअंदाज किया गया है.

गुलाम नबी आजाद को हरियाणा प्रभारी महासचिव पद से हटा दिया गया है. मुकुल वासनिक से चार राज्यों की जिम्मेदरी लेकर उनको सिर्फ एक राज्य मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी दे दी गई हैं.

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, “चिट्ठी लिखने वाले नेताओं ने मांग की थी कि कांग्रेस कार्यसमिति का चुनाव होना चाहिए, लेकिन उनको तगड़ा झटका देते हुए पार्टी अध्यक्ष ने CWC का पुनर्गठन कर दिया है. उनकी पार्लियामेंट्री बोर्ड गठित करने की मांग भी खारिज़ कर दी गई है.”

गुलाम नबी आजाद, अंबिका सोनी, मोती लाल वोहरा, लुजेनियो फलेरियो, मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम महासचिव की सूची से बाहर है. कांग्रेस ने कुल पांच वरिष्ठ नेताओं को महासचिव की जिम्मेदारी से मुक्त किया है.

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