अचूक निशानेबाज सब इंस्पेक्टर कैसे बन गया भिखारी, पढ़िए उसकी जिंदगी की दर्द भरी कहानी!

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 10 सालों से सड़क पर भीख मांगकर अपनी जिंदगी बिता रहे एक भिखारी की कहानी ने पूरे देश को चौंकाकर रख दिया. जानिए कैसे रातों-रात वो भिखारी खबरों की सुर्खियां बन गया और क्या है उसका इतिहास?

इस पूरी कहानी को समझने के लिए हमें एक हफ्ते पहले जाना पड़ेगा. मध्य प्रदेश में उपचुनावों की मतगणना के दिन राजनीतिक माहौल बेहद गर्म था, ये मतगणना राज्य में शिवराज सरकार का फैसला करने वाली थी. ग्वालियर में इस दौरान शहर की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी में 2 डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय भदौरिया तैनात थे. रात करीब 1:30 बजे उन्होंने एक भिखारी को ठंड में ठिठुरते हुए देखा. दोनों मे अपनी गाड़ी रोकी और उससे बात की.

उस भिखारी की हालत पर तरस खाते हुए डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर ने अपने जूते और विजय भदौरिया ने अपनी जैकेट दी. ऐसा करके जब वो दोनों अधिकारी जाने लगे तो उस भिखारी ने दोनों को उनके नाम से पुकारा. भिखारी के मुंह से अपना नाम सुनकर हैरान अधिकारियों ने पलटकर देखा और उसके पास गए. बातचीत करने पर पता चला कि वो भिखारी कोई और नहीं बल्कि उनका बैचमेट मनीष मिश्रा था.

मनीष मिश्रा उन दोनों अधिकारियों के साथ 1999 में पुलिस सब इंस्पेक्टर में भर्ती हुए थे. बताया जाता है कि मनीष न सिर्फ एक अच्छे निशानेबाज थे, बल्कि एक शानदार इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर भी थे. वो संभ्रात परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनकी बहन बड़े पद पर चीन में तैनात हैं.

मनीष की सारी कहानी सुनने के बाद उनके दोस्त उन्हें अपने साथ ले जाना चाहते थे. लेकिन मनीष तैयार नहीं हुए. उनके दोस्तों ने मनीषों ने समाजसेवी संस्था में भिजवा दिया. जहां उनका अच्छे इलाज करके ध्यान रखा जा रहा है.

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