अवैध शराब बिकने से 9 माह में सरकार के 1 हजार करोड़ डूबे
भोपाल. प्रदेश में जहरीली शराब से बीते 9 महीने में सरकार के एक हजार करोड़ रु. डूब गए हैं। आबकारी विभाग, पुलिस और स्थानीय नेताओं के गठजोड़ से अवैध शराब का सिंडीकेट खड़ा हो गया है। इसकी वजह से वैध शराब के बराबर ही अवैध शराब बिक रही है। पिछले महीने मप्र देसी-विदेशी मदिरा व्यवसायी एसोसिएशन ने 17 दिसंबर और 22 दिसंबर को मुख्यमंत्री को दो पत्र लिखे थे।
इसमें अवैध शराब से एक हजार करोड़ रु. की कर चोरी का जिक्र था। लेकिन, इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। वैध शराब से सरकार को सालाना 6 हजार करोड़ रु. राजस्व मिलता है। ठेकेदार शराब की पर्ची कटाने के बाद 40% माल कम उठाते है, जिससे वेट पर ही 600 करोड़ का घाटा हुआ है।
लिकर्स एसोसिएशन ने ये मुद्दे उठाए
- प्रदेश में शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों पर जबरदस्त सख्ती की जाए, जिससे दो नंबर की अवैध शराब नहीं निकलेगी। शासन को अवैध शराब पर लगाम कसने से दो हजार करोड़ राजस्व बढ़ जाएगा।
- बॉर्डर से लगे झाबुआ और अलीराजपुर में हरियाणा और चंडीगढ़ के ठेकों से शराब की तस्करी मध्यप्रदेश और गुजरात में हो रही है। इससे शासन को वैट और 8 प्रतिशत परिवहन शुल्क का नुकसान हो रहा है।
- प्रदेश में ड्यूटी बढ़ने से शराब बहुत महंगी हो गई है। ठेकेदार एमआरपी पर बेचते है। आसपास के सभी राज्यों में ड्यूटी कम होने से शराब सस्ती है। ये अवैध शराब प्रदेश में बिक रही है, जिससे राजस्व नुकसान बढ़ रहा है।