पांच दशक में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में चीफ गेस्ट नहीं, जानिए पहले कब-कब हुआ ऐसा

यह तय हो गया है कि इस बार गणतंत्र दिवस परेड में कोई भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष चीफ गेस्ट के रूप में शामिल नहीं होने जा रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि वैश्विक कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। पिछले पांच दशकों में पहली बार ऐसा हो रहा है जब कोई राष्ट्राध्यक्ष 26 जनवरी की परेड देखने नहीं आ रहे हैं। हालांकि, इससे पहले तीन बार ऐसे मौके आए हैं।

भारत ने इस साल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का न्योता भेजा था। बोरिस ने न्योता कबूल भी किया था और वह बेसब्री से भारतीय दौरे का इंतजार भी कर रहे थे। लेकिन
इस बीच ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की वजह से संक्रमण तेजी से फैलने लगा और देश में एक बार फिर सख्त लॉकडाउन की नौबत आ गई। ऐसे में बोरिस ने इस मुश्किल घड़ी में देश नहीं छोड़ने का फैसला किया और उन्होंने परेड में शामिल होने से असमर्थता जताई।

इससे पहले 1966 में कोई भी विदेशी मेहमान गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि नहीं बना था। उस साल 11 जनवरी को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया था और गणतंत्र दिवस से ठीक दो दिन पहले 24 नवंबर को इंदिरा गांधी नई प्रधानमंत्री बनी थीं। इससे पहले 1952 और 1953 में भी परेड में कोई विदेशी चीफ गेस्ट नहीं था।

गौरतलब है कि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था और इस दिन को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश की राजधानी में राजपथ पर देश की सैन्य ताकत के साथ सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया जाता है। परेड में हर बार एक विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को चीफ गेस्ट बनाने की परंपरा रही है। कुछ ऐसे भी मौके आए जब एक से अधिक मेहमानों को बुलाया गया।

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