मध्यप्रदेश में पुलिस का वीकऑफ:वर्ष 2014 से लेकर अब तक 5 बार घोषणा, 3 बार प्रयोग हो चुके; हर बार इमरजेंसी बताकर रद्द कर दिया, फिर शुरू ही नहीं हुआ
अगर शुरू हुआ तो रोज करीब 8 हजार पुलिस कर्मचारियों को साप्ताहिक छुट्टी रहेगी
मध्य प्रदेश में एक बार फिर पुलिस विभाग में पुलिस कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक के वीकली ऑफ दिए जाने को लेकर कवायद शुरू हो गई है। अब शिवराज सरकार नए सिरे से विधानसभा में प्रस्ताव लगाकर इसे लागू करने की योजना बना रही है। हालांकि यह कवायद वर्ष 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने शुरू की थी, लेकिन आज तक 5 बार घोषणा और तीन बार प्रयोग किए गए, लेकिन इसमें आगे कुछ नही हुआ। एक दो बार इसे शुरू जरूर किया गया, लेकिन सप्ताह भर में ही इस व्यवस्था को इमरजेंसी होने का कहकर बंद कर दिया गया। उसके बाद इसे दोबारा शुरू करने के कभी आदेश नहीं हुए।
8 हजार पुलिसकर्मी कहां से लाएं
प्रदेश में फील्ड में तैनात करीब 56 हजार पुलिस कर्मियों में से रोजाना करीब 8 हजार का स्टाफ साप्ताहिक अवकाश पर रहेगा। पहले से ही प्रदेश में स्वीकृत बल कम हैं। अगर एक साथ इन्हें अवकाश दिया गया, तो इतने का बल कहां से आएगा। इतना ही नहीं शेष पुलिसकर्मी बीमारी और निजी कारण से अवकाश लेते हैं, ऐसे में फील्ड में पुलिस कर्मियों की संख्या और कम हो जाएगी।
यह बनी थी योजना
इसके लिए अधिकारियों ने एसएएफ, पीटीएस और होमगार्ड शाखा से अतिरिक्त बल को लेने की योजना पर काम किया। वर्ष 2019 में इसे शुरू करने का प्रयास किया गया, लेकिन यह शुरू नहीं हो सका।
पहले अधिकारियों को देना था अवकाश
प्रदेश में 1101 थाने, 576 पुलिस चौकियां, जिला बल और पुलिस लाइन में रिजर्व बल की संख्या करीब 56 हजार है। इसमें सिपाही से लेकर एएसपी स्तर तक के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं। पहले दौर में सबसे पहले अधिकारियों को अवकाश देने की योजना बनाई गई थी।
इस तरह बल की कमी को पूरा करने की योजना थी
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार के समय बने प्रस्ताव में बताया गया था कि प्रदेश के पीटीएस (पुलिस ट्रेनिंग स्कूल) में आठ हजार से ज्यादा ट्रेनी सिपाही छह महीने से अधिक की ट्रेनिंग कर चुके हैं। इन पीटीएस से 50% बल यानी लगभग 4 हजार जवान फील्ड में तैनात किए जा सकते हैं। होमगार्ड से 2500 सैनिक और एसएएफ की ट्रेनिंग कंपनियां जो मुख्यालय में हैं, वहां से डेढ़ हजार जवानों को फील्ड में तैनात किया जाएगा। इसके अलावा पुलिस बल का उपयोग रिजर्व बल के तौर पर किया जा सकेगा। इस व्यवस्था से पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश दिया जा सकता है। एएसपी और सीएसपी स्तर के अफसरों को अवकाश देने की स्थिति में दूसरे अधिकारी के पास एक दिन का अतिरिक्त प्रभार होगा।
तीन तरह के प्रयास किए जा चुके
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद इसे कई तरह से लागू करने के प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। पहले वीकली ऑफ फिर 15 दिन में एक बार ऑफ और फिर जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ पर अवकाश दिए जाने की योजना पर कार्य हुआ, लेकिन इमरजेंसी के नाम पर रोक लगा दी गई।
अब तक हुईं घोषणा
2014
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने वर्ष 2014 में घोषणा की थी कि लगातार ड्यूटी की वजह से पुलिसकर्मी काफी तनाव में रहते हैं। इसलिए उन्हें महीने में एक दिन अवकाश का नियम लागू करेंगे। लेकिन न कभी ऐसा नियम बना, न ही इसके आदेश जारी हुए।
2016
भूपेंद्र सिंह ने गृहमंत्री रहते हुए 2016 में पुलिस कर्मियों को मासिक और फिर साप्ताहिक अवकाश देने की घोषणा की थी। इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए पुलिस एक्ट में बदलाव की बात भी कही थी, लेकिन हुआ कुछ नहीं।
2016
डीजीपी ऋषि शुक्ला ने 13 दिसंबर 2016 को तनाव मुक्ति के लिए स्वयं के साथ ही पत्नी व बच्चों के जन्मदिन, शादी की सालगिरह पर अवकाश देने के निर्देश दिए थे। ऐसा ही आदेश 6 अक्टूबर 2017 को फिर से डीजीपी ने जारी किया है। जिसका एक चौथाई जिलों में भी पालन नहीं हो सका।
2016
कमलनाथ के निर्देश के बाद राजधानी समेत प्रदेश के सभी जिलों में पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देने का रास्ता साफ हो गया था। पुलिस मुख्यालय ने नया ड्राफ्ट तैयार कर लिया था, लेकिन इसका भी कुछ नहीं हुआ।
2017
भोपाल में रोस्टर बनाकर वीक आफ शुरू किया था, लेकिन वह भी इमरजेंसी ड्यूटी के नाम पर बंद कर दिया गया था।
2018
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले चुनाव के दौरान ही पुलिस कर्मियों को वीकली ऑफ दिए जाने की घोषणा की थी।