सख्ती बढ़ने से सैकड़ों कारोबारियों का जीएसटी रजिस्ट्रेशन निलंबित, व्यापारी छोटी गलतियों पर भी निलंबन का लगा रहे आरोप
नई दिल्ली। जीएसटी मामले में जरा भी हेराफेरी अब बर्दाश्त नहीं की जा रही है। पहली जनवरी से अब तक सैकड़ों कारोबारियों का जीएसटी पंजीकरण निलंबित किया जा चुका है। जीएसटी निलंबन की वजह से इन कारोबारियों का रिफंड रुकने के साथ-साथ बाजार में उनकी छवि को भी धक्का लगा है। कारोबारियों का कहना है कि मामूली गलती पर पंजीकरण निलंबित होने से कारोबार में नुकसान हो रहा है। व्यापारियों व ट्रांसपोटर्स ने इसके विरोध में 26 फरवरी को भारत व्यापार बंद का एलान किया है। जीएसटी अधिकारियों ने बताया कि उन कारोबारियों के पंजीयन निलंबित हो रहे हैं, जिनके पते वास्तविक जांच में सही नहीं पाए जा रहे हैं या फिर उन पर गलत रिटर्न भरने का मामला बनता है।
जीएसटी एक्सपर्ट एवं सीए राजदर अरोड़ा ने बताया कि जीएसटी विभाग के अधिकारियों को जीएसटी मामले में थोड़ी सी भूल पर पंजीकरण निलंबन का अधिकार दे दिया गया है। छोटे शहरों में जीएसटी के कई जटिल प्रविधानों को कारोबारी समझ नहीं पाते हैं और गलती कर बैठते हैं। इससे उनका पंजीकरण निलंबित हो रहा है। दिल्ली के करोल बाग के एक व्यापारी ने अपने पते में बदलाव किया तो उसका जीएसटी पंजीकरण निलंबित कर दिया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक पंजीकरण के निलंबित होने से रिफंड रुक जाते हैं। कारोबारी रिटर्न दाखिल नहीं कर सकता है। कारोबार की पूरी चेन प्रभावित होती है। बाजार में उस कारोबारी को लेकर गलत छवि बनती है जो उसके लिए नुकसानदायक है।
एक जनवरी से ईवे बिल को लेकर नए नियम के लागू होने से ट्रांसपोर्टर्स को कम समय में अधिक दूरी तय करनी पड़ रही है। ऐसा नहीं करने पर उन पर एक करोड़ के माल पर एक करोड़ का जुर्माना किया जा रहा है। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (एआइटीडब्ल्यूए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र आर्या ने बताया कि माल को कई जगह से लाने और उसे लोड कर गंतव्य तक रवाना करने में वक्त लगता है। पहले एक दिन में ईवे बिल की मान्यता 100 किलोमीटर तक की थी, जो 200 किलोमीटर हो गई है। ऐसे में, ट्रांसपोर्टर्स सीमित समय में माल नहीं पहुंचा पा रहे हैं और उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ रहा है।