कृषि मंत्री ने अपने बयान से किसानों का अपमान किया है: संयुक्त किसान मोर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को आरोप लगाया कि केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने यह कह कर किसानों का अपमान किया है कि केवल भीड़ इकट्ठी करने से तीन कृषि कानून वापस नहीं हो जाएंगे।
नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को आरोप लगाया कि केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने यह कह कर किसानों का अपमान किया है कि केवल भीड़ इकट्ठी करने से तीन कृषि कानून वापस नहीं हो जाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी करके कहा कि वर्तमान के प्रदर्शन ‘‘गहरी अप्रसन्नता’’ और गुस्से का नतीजा है जिसे किसानों के दिमाग में सरकार ने ही पनपने दिया है।
तोमर ने रविवार को दोहराया था कि केन्द्र नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों से बातचीत के लिए तैयार है। साथ ही उन्होंने कहा कि केवल भीड़ इकट्ठी कर लेने से कानून वापस नहीं हो जाते। मोर्चा ने बयान में कहा, ‘‘आज किसान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हर ओर से समर्थन मिल रहा है। प्रदर्शनकारी महज भीड़ नहीं हैं ,वे हमारे अन्नदाता हैं , सरकार में शामिल लोगों सहित उन सभी का शुक्रिया जिनकी वजह से हम जिंदा हैं।’’
बयान में आगे कहा गया, ‘‘सत्ता में बैठे दल ने इसी भीड़ से वोट लिए और हमारे किसानों के प्रति इस प्रकार का अपमानजनक रवैया निंदनीय है।’’ इसमें यह भी कहा गया, ‘‘तोमर ने यह कह कर किसान आंदोलन का अपमान किया है कि भीड़ इकट्ठी करने से कानून वापस नहीं होंगे।’’
भीड़ तो सत्ता परिवर्तन की सामर्थ्य रखती हैः राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक बयान पर सोमवार को हरियाणा के सोनीपत जिले में पलटवार करते हुए कहा कि जब लोग जमा होते हैं तो सरकारें बदल जाती हैं। टिकैत ने चेताया कि अगर तीन नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो सरकार का सत्ता में रहना मुश्किल हो जाएगा।
राकेश टिकैत इस महीने हरियाणा में किसान महापंचायत कर रहे हैं। सोनीपत जिले के खरखौदा की अनाज मंडी में किसान महापंचायत में टिकैत ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक किसान किसान आंदोलन जारी रहेगा।
टिकैत ने महापंचायत में कहा, ” राजनेता कह रहे हैं कि भीड़ जुटाने से कृषि कानून वापस नहीं हो सकते। जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए कि भीड़ तो सत्ता परिवर्तन की सामर्थ्य रखती है। यह अलग बात है कि किसानों ने अभी सिर्फ कृषि कानून वापस लेने की बात की है, सत्ता वापस लेने की नहीं।”