रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन सप्लाई वेंटिलेटर पर
भोपाल में 70% मरीजों को जिस इंजेक्शन की जरूरत, वो 6 दिन से बाजार में ही नहीं, 1920 मरीजों को लगना है
- वजह- जिनका सीटी स्कोर 5 से 10 के बीच, डॉक्टर उन्हें भी ये इंजेक्शन लगवाने को कह रहे, जबकि भोपाल में 1920 मरीजों को इमरजेंसी में चाहिए ये इंजेक्शन
- भोपाल में पांच स्टॉकिस्ट, उनके स्टोर्स के बाहर पुलिस तैनात, निगरानी में बिकेगा
जीवन रक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर की सप्लाई भोपाल में वेंटिलेटर पर पहुंच गई है। शहर के 51 कोविड अस्पतालों में 2400 भर्ती हैं, इनमें से 1920 मरीजों के परिजन इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं। वजह- जिन मरीजों का एचआर सीटी (सीने में संक्रमण की जांच) स्कोर 5 या 10 भी है, उन्हें डॉक्टर रेमडेसिविर लगवाने की सलाह दे रहे हैं। हालात ये हैं कि शहर के जिन पांच मेडिकल स्टॉकिस्ट को सीधे कंपनी से खरीदकर ये इंजेक्शन बेचने की अनुमति है, उनके यहां 6 दिन से इंजेक्शन नहीं आया।
जो पुराना स्टॉक है, वो दो दिन पहले खत्म हो गया। ये शहर के कई कोविड सेंटर्स के मेडिकल स्टोर्स पर भी नहीं हैं। एक मरीज को छह डोज लगते हैं, लेकिन अभी कुछ मरीजों को इसका एक डोज लग चुका है, दूसरे के लिए वो परेशान हैं। डिमांड बढ़ने पर स्टॉकिस्टों ने स्टोर्स के बाहर बोर्ड लगा दिया है- रेमडेसिविर उपलब्ध नहीं है।
फिलहाल कलेक्टर ने इसकी उपलब्धता और सप्लाई पर निगरानी के लिए एक कमेटी बना दी है और इन पांच स्टॉकिस्ट की शॉप्स के बाहर तीन-तीन सिपाही निगरानी के लिए बैठा दिए हैं। अब सरकार की देखरेख में ही ये इंजेक्शन बिकेगा।
एडवांस में रुपए जमा किए, लेकिन इंजेक्शन फिर भी नहीं मिला
रेमडेसिविर इंजेक्शन फरवरी में आसानी से उपलब्ध था। मार्च के अंतिम हफ्ते और अप्रैल के पहले हफ्ते में ये आउट ऑफ स्टॉक हो गए। जिनके पास कुछ इंजेक्शन बचे भी हैं, तो वो दोगुनी कीमत वसूल रहे हैं। एक स्टॉकिस्ट ने बताया कि कई मरीजों के परिजनों ने 10 से 12 दिन पहले ही इंजेक्शन की एडवांस बुकिंग कर ली। पैसे भी दे दिए, लेकिन उन्हें अब तक सप्लाई नहीं मिली। हर दिन इंजेक्शन के लिए एक हजार से ज्यादा फोन आ रहे हैं।
6 कंपनियां बना रहीं इंजेक्शन, कीमत 899 से 5400 तक
देश में हेट्रो हेल्थकेयर हैदराबाद, मायलोन, सिपला मुंबई, जुब्लियेंट नोएडा, डॉ. रेड्डीज हैदराबाद और जायडस केडिला अहमदाबाद ही इसे बना रही हैं। एक डोज की एमआरपी 899 से 5400 रु. तक है, पर स्टॉकिस्ट 900 से 1500 रु. तक बेच रहे हैं। हेट्रो की दवा 5400 रु. एमआरपी पर उपलब्ध है, बाकी बाजार से गायब हैं।
रेमडेसिविर एंटी वायरल ड्रग, पहले हफ्ते में लगना जरूरी
पल्मोरी एक्सपर्ट डॉ. पराग शर्मा ने बताया कि रेमडेसिविर एक एंटी वायरल ड्रग है। ये लंग्स इंफेक्शन होने के पहले सप्ताह में लगना जरूरी होता है। चूंकि पहले सप्ताह में वायरस वायरीनिया फेस में होता है। वह मल्टीप्लाय होता है। पहले दिन इसके दो डोज दिए जाते हैं। फिर हर दिन-एक एक डोज पांच दिन तक लगती है।
…. और सरकार का दावा- हर महीने 1 लाख इंजेक्शन खरीदेंगे
इंजेक्शन की किल्लत के बीच राज्य सरकार का दावा है कि किसी को परेशानी नहीं होने देंगे। कैबिनेट बैठक में तय हुआ कि सरकार हर महीने एक लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदेगी। 50 हजार का ऑर्डर दे दिया है। इन्हें प्रोटोकॉल के तहत गरीब व जरूरतमंदों को दिया जाएगा। दो दिन में 35 हजार इंजेक्शन अस्पतालों में भेज दिए जाएंगे।
बैठक में प्रदेश में ऑक्सीजन सप्लाई हर दिन 300 टन करने का लक्ष्य रखा है। बैठक में तय हुआ कि हर जिला चिकित्सालय में सीटी स्कैन की व्यवस्था होगी। बड़े सरकारी भवनों में कोरोना संक्रमितों को रखा जाएगा। इसे सरकार कोविड केयर सेंटर कहेगी। सरकार ने 14 अप्रैल तक हर दिन 5 लाख वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि जिस मंत्री के पास जो जिला है, वो वहां की व्यवस्थाएं देखेंगे। भोपाल में विश्वास सारंग को जिम्मा मिला है।