यूपी पंचायत चुनाव : मैदान उतरीं देवरानी-जेठानी जानिए एक-दूसरे के खिलाफ कैसे कर रहीं प्रचार
अभी तक “उनकी” दिनचर्या सिर्फ चूल्हे चौके और घर की अन्य जिम्मदारियों तक ही सिमटी थी। मगर अब “वो” कमर कसकर पूरी तरह से ग्राम पंचायत का नेतृत्व करने के मूड मे आ चुकी है। इतना ही नही “उनके” इस फैसले मे परिवारीजन भी उनका हौसला बढा रहे है।
लखनऊ के काकोरी विकासखंड की बडांगांव पंचायत मे एक ही परिवार की दो बहुयें ( देवरानी- जेठानी) चुनावी मैदान मे एक दूसरे के सामने डट चुकी है। दोनों ही पढी लिखी है और बेहद सादगीपूर्ण ढंग से लोगों से वोट मांग रही है। इन प्रत्याशियों का कहना है कि अभी तक चूल्हा चौका पूरी जिम्मेदारी से संभाल रहे थे तब पूरा परिवार सवस्थ और हष्ट पुष्ट था। अब पंचायत को संभालने का मौका मिल रहा है। अगर प्रधान बने तो पंचायत की जिम्मेदारी भी उसी तरह से निभायेंगे ताकि पंचायत का प्रत्येक व्यक्ति और परिवार स्वस्थ और शिक्षित होकर स्वावलंबी बन सके।
मलिहाबाद की भतोईया,गोसवा, सहिलामऊ,बडीगढी जैसी कई ग्राम पंचायतों मे चूल्हे चौका संभालने वाली महिलाएं अब पंचायते संभालने के लिये पूरी तरह से मुस्तैद हो चुकी है। इन महिला प्रत्याशियों का मानना है कि बीते कई चुनावों मे हमलोगों को केवल नाम के लिये ही प्रधान, बीडीसी, पंच बनाया जाता था। मगर इसबार हमारे गावों और परिवारों मे भी बदलाव दिखाई पड रहा है। अब हम लोग केवल नाम के प्रधान ही नही रहेगें बल्कि गांव पंचायत के विकासकार्यों की रूपरेखा भी तय करेगें।
यहां बेटियां भी किसी से कम नहीं
तमाम ग्राम पंचायतों मे आरक्षण के बाद जहां महिलाओं ने पंचायतों की जिम्मेदारी संभालने के लिये तैयारी कर रखी है वही कई बेटियां भी क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं जिला पंचायत सदस्य पद के लिए मोर्चा संभाल चुकी है। वार्ड नं0 11 से एक समाजसेवी बेटी ने जिला पंचायत सदस्य पद के लिये मोर्चा संभाल चुकी है। पढाई लिखाई के दौरान ही एक एनजीओ की वालण्टियर बनकर इस बेटी ने तमाम महिलाओं को विभिन्न योजनाओ का लाभ दिलाकर ख्याति बटोरी। फिर उन्हीं महिलाओं ने इसे अपना नेता मानते हुये जिला पंचायत चुनाव लडने के लिए राजी कर लिया। आज यह बेटी धुरंधर नेताओं एवं प्रत्याशियों के लिये भारी पड रही है। वहीं कसमण्डी खुर्द गांव से बीडीसी का चुनाव लड रही एक अन्य बेटी भी अन्य प्रत्याशियों पर भारी पड रही है।