RLD Chief Ajit Singh Death: ‘छोटे चौधरी’ रालोद चीफ अजित सिंह की कोरोना से मृत्यु, गुरुग्राम के निजी अस्पताल में चल रहा था इलाज
छोटे चौधरी’ अजित सिंह कोरोना से संक्रमित थे और गुरुग्राम के निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था.
रालोद प्रमुख अजित सिंह (RLD Chief Ajit Singh Death) का कोरोना संक्रमण के चलते गुरुवार सुबह गुरुग्राम के निजी अस्पताल में निधन हो गया. 86 वर्षीय अजित सिंह कोरोना संक्रमित थे और बीते दो दिनों से उनकी हालत काफी नाजुक बताई जा रही थी. बुधवार को डॉक्टर्स ने बताया था कि फेफड़ों में संक्रमण बढ़ने के कारण उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी.
चौधरी अजित सिंह का पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे थे और उनकी पैतृक सीट बागपत से 7 बार सांसद रहे थे. अजित सिंह केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री भी रहे थे. अजित सिंह की गिनती देश के बड़े जाट नेताओं में होती थी और पश्चिमी यूपी में उनकी ख़ास पकड़ मानी जाती है.
पंचायत चुनावों में RLD ने किया बढ़िया प्रदर्शन
बता दें कि यूपी में हुए पंचायत चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने शानदार वापसी की है. अब तक घोषित परिणामों के अनुसार, मेरठ में जिला पंचायत में रालोद ने आठ सीटें हासिल की हैं, जबकि सपा और बीजेपी को 6-6 सीटें मिली हैं. मुजफ्फरनगर में पार्टी को चार सीटें मिलीं, जबकि आजाद समाज पार्टी (भीम आर्मी) को 6 सीटें मिलीं. यहां बीजेपी ने 13 और बसपा ने तीन सीटें जीतीं.
उधर शामली में रालोद ने 19 में से 6 सीटें और बुलंदशहर में चार सीटों पर जीत दर्ज की. रालोद ने अलीगढ़ में दस, मथुरा में आठ और बागपत में नौ सीटें जीती हैं. मुजफ्फरनगर, शामली, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़ और बिजनौर में रालोद ने अच्छा प्रदर्शन किया है.
ऐसा था राजनीतिक सफ़र
चौधरी अजित सिंह ने साल 1986 में राजनीति में एंट्री ली थी. अजित सिंह के पिता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह बीमार पड़ गए थे और उसके बाद 1986 में राज्यसभा भेजे गए थे. साल 1987 से 1988 तक वह लोकदल (ए) और जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रहे हालांकि ऐसा माना जाता था कि वे अपने पिता की छाया से कभी बाहर नहीं आ पाए.
साल 1989 में अजित सिंह ने अपनी पार्टी का जनता दल में विलय कर दिया और महासचिव बन गए. 1989 में अजित सिंह पहली बार बागपत से लोकसभा चुनाव जीते थे. इसके बाद वीपी सिंह सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया था. साल 1991 में वे एक बार फिर बागपत से लोकसभा चुनाव जीते और नरसिम्हाराव की सरकार में भी मंत्री बने. साल 1996 में वह तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे, हालांकि बाद में उन्होंने इस सीट से इस्तीफ़ा दे दिया था.
RLD बनाई और बीजेपी का साथ भी दिया
साल 1997 में अजित सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल की स्थापना की और इसके बाद 1997 के उपचुनाव में बागपत से फिर लोकसभा चुनाव जीता. साल 1998 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हालांकि 1999 के चुनाव में वे फिर जीते और लोकसभा पहुंचे. साल 2001 से 2003 तक उन्होंने बीजेपी का दामन थामा और अटल बिहारी सरकार में मंत्री रहे. बाद में साल 2011 में वह यूपीए का हिस्सा बन गए. साल 2011 से 2014 तक वह मनमोहन सरकार में मंत्री रहे.
अजित सिंह को तब बड़ा झटका लगा जब साल 2014 में वह मुजफ्फरनगर सीट से लोकसभा चुनाव हार गए. इसके बाद साल 2019 में भी अजित मुजफ्फरनगर से लड़े लेकिन बीजेपी के संजीव बलियान के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 2013 में हुए मुजफ्फरनगर के दंगों ने आरएलडी की राजनीति को काफी नुकसान पहुंचाया था. इन दंगों ने रालोद के मशहूर जाट-मुस्लिम समीकरण को ध्वस्त कर दिया.