यूं तो नहीं लद पाएंगे दागी नेताओं के दिन

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने दागी सांसदों और विधायकोंपर कार्रवाई के लिए 12 स्पेशल कोर्ट स्थापित करने का एलान किया है. लेकिन क्या दागी नेताओं के खिलाफ चल रहे मामलों की सिर्फ 12 कोर्ट में सुनवाई संभव है? जनता के मन में यह सवाल बना हुआ है.

चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन ऑफ डमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 33 प्रतिशत नेता दागी छवि के हैं. 1581 सांसद और विधायकों के खिलाफ आपराधिक केस चल रहे हैं, जिनमें से 993 के खिलाफ गंभीर श्रेणी के मामले हैं.

बताया गया है कि 4852 सांसद और विधायकों हलफनामों के मुताबिक 993 के खिलाफ गंभीर श्रेणी में मामले दर्ज हैं. चुनाव आयोग को दिए 4852 सांसद और विधायकों के इन हलफनामों के अनुसार 87 नेताओं पर हत्या से संबंधित मामले जारी हैं.

देश में 48 विधायकों और तीन सांसदों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस दर्ज हैं. इनमें दुष्कर्म और अपहरण जैसे केस भी हैं. सवाल यह है कि इतनी कम अदालतोंं में कैसे साढ़े तेरह हजार केसों की सुनवाई होगी. जबकि इतने मामले तो वर्तमान सांसदों, विधायकों के हैं.

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सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार की नींद खुली

इस बारे में हमने एडीआर के हेड एवं नेशनल कॉर्डिनेटर मेजर जनरल अनिल वर्मा से बातचीत की. उन्होंने ने कहा ” इससे आपराधिक प्रवृत्ति के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद तो बंधती है. लेकिन जल्दी कार्रवाई इस बात पर निर्भर करती है कि कोर्ट कब बनेंगी.”

सरकार खुद तो दागी नेताओं के खिलाफ कुछ करना नहीं चाहती. क्योंकि इसमें सभी दलों के नेता शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने तो 2015 में ही बोला था, पर सरकार जागी है फटकार के बाद. फिर भी हम इस कोशिश को लेकर सकारात्मक सोच रहे हैं.

— मेजर जनरल अनिल वर्मा (रि.), एडीआर के हेड एवं नेशनल कॉर्डिनेटर

इस बाबत जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने दायर की हुई है. इस पर सुनवाई जारी है. उन्होंने राजनीति से अपराध को खत्म करने और आपराधिक तत्वों को राजनीति से हटाने पर जोर दिया है.

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याचिकाकर्ता एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय खुद इतनी कम अदालतों की घोषणा से संतुष्ट नहीं हैं. न्यूज18 हिंदी ने उपाध्याय से बातचीत की तो उन्होंने पूरा गुणाभाग समझा दिया. उन्होंने कहा कि सरकार की यह पहल सकारात्मक है, लेकिन पर्याप्त नहीं है. इस समय 1581 एमपी, एमएलए के खिलाफ 13680 केस चल रहे हैं. कोर्ट एक साल में 200 दिन चलती है. इस तरह एक साल में एक कोर्ट सिर्फ 100 केस निपटा सकती है. ऐसे में इन मामलों को निपटाने के लिए 140 कोर्ट की जरूरत है.

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सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने डाली है याचिका

सभी पार्टियों को दाग अच्छे हैं.

सभी पार्टियों में दागी नेताओं का बोलबाला है. चाहे वह राजनीतिक सुचिता की बात करने वाली बीजेपी हो या भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त शासन का वादा करके सत्ता में आई आम आदमी पार्टी हो. सपा, बसपा, जेडीयू, आरजेडी और अन्य सभी पार्टियों को दागी नेता सूट करते हैं. सभी को दाग अच्छे लगते हैं.

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक

इस समय भारतीय जनता पार्टी के 1675 नेताओं में से 523 पर आपराधिक मामले चल रहे हैं. इनमें से 337 पर संगीन केस हैं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 945 नेताओं के हलफनामों के आधार 248 पर आपराधिक मामलों का पता चला है. जिसमें 141 मामले गंभीर श्रेणी के हैं.
आम आदमी पार्टी के 90 नेताओं में से 26 पर आपराधिक मामले दर्ज़ हैं.  जिनमें से 14 गंभीर श्रेणी के हैं.

हालांकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि हर तिमाही में रिपोर्ट पेश कर यह बताया जाएगा कि कितने आपराधिक मामलों का निपटारा किया गया.

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