Varanasi: गंगा का पानी हरा होने से बढ़ी चिंता, BHU के वैज्ञानिकों ने सैंपल लेकर शुरू की जांच; जताया सल्फेट बढ़ने का शक

बीएचयू के एक वैज्ञानिक (BHU Scientist) डॉ कृपा राम का कहना है कि पानी में सल्फेट या फास्फोरस की मात्रा बढ़ने से ऑक्सीजन कम हो जाती है.

बनारस में गंगा का पानी अचानक से रंग (Varanasi Ganga Water Color Change) बदल रहा है, जिसकी वजह से वैज्ञानिक काफी हैरान हैं. खबर के मुताबिक गंगा के एक बड़े हिस्से में पानी का रंग हरा हो गया है. बनारस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक (BHU Scientist) अब इसके कारण का पता लगा रहे हैं. इसके लिए पानी का सैंपल लिया गया है. बीएचयू के न्यूरोलॉजिस्ट प्रोफेसर विजय मिश्रा ने गंगा के पानी के हरा होने को लेकर सवाल उठाए हैं.

वहीं CPCB की स्थानीय टीम मामले की जांच (CPCB Examine Water Sample) कर रही है और ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर गंगा का पानी हरा कैसे हुआ. एक दिन गंगा किनारे टहलते हुए प्रोफेसर विजय मिश्रा की नजर अचानक हरे पानी पर पड़ी. जिसके बाद उन्होंने इसका सैंपल टेस्टिंग के लिए भेजा.

पानी में सल्फेट बढ़ने से कम होती है ऑक्सीजन

वहीं बीएचयू के एक वैज्ञानिक डॉ कृपा राम का कहना है कि पानी में सल्फेट या फास्फेट की मात्रा बढ़ने की वजह से ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. ये जल में रहने वाले जीवों के लिए सही नहीं है. वहीं केंद्रीय नियंत्रण बोर्ड के रीजनल अधिकारी कालिका सिंह ने बुधवार को कहा कि उनकी टीम गंगा के पानी का सैंपल लेकर जांच कर रही है.

जांच पूरी होने के बाद ही होगा वजह का खुलासा

उन्होंने कहा कि पानी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जरूरत से ज्यादा हैं. जब सैंपलिंग पूरी हो जाएगी तब ही इस बारे में पुख्ता तौर पर कुछ भी कहा जा सकेगा. वहीं वाराणसी में नमामि गंगे के कन्वेनर राजेश शुक्ला का कहना है कि ऐसा लग रहा कि गंगा के पानी के बहाव में काफी कमी आई है. अगर पानी लगातार बहता रहेगा तो हरे रंग की किक्कत नहीं होगी. पानी का रंग फिर से सामान्य हो जाएगा

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