अदालत का निजी स्कूलों को वार्षिक, विकास शुल्क लेने की अनुमति देने वाले आदेश पर रोक लगाने से इनकार
एकल पीठ ने 31 मई के अपने आदेश में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा अप्रैल और अगस्त 2020 में जारी दो कार्यालय आदेशों को निरस्त कर दिया था, जो वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क लेने पर रोक लगाते तथा स्थगित करते हैं।
नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों को लॉकडाउन खत्म होने के बाद की अवधि के लिए छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क लेने की अनुमति देने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने 450 निजी स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘एक्शन कमेटी अनएडिड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स’ से कहा कि वह एकल न्यायाधीश के आदेश के 31 मई के फैसले खिलाफ आप सरकार और छात्रों की याचिकाओं पर अपना रुख स्पष्ट करे।
अदालत ने आगे की सुनवाई के लिए मामले को 10 जुलाई के लिए सुचीबद्ध किया है।
दिल्ली सरकार और छात्रों का कहना है कि एकल न्यायाधीश का फैसला गलत तथ्यों और कानून पर आधारित था। एकल पीठ ने 31 मई के अपने आदेश में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा अप्रैल और अगस्त 2020 में जारी दो कार्यालय आदेशों को निरस्त कर दिया था, जो वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क लेने पर रोक लगाते तथा स्थगित करते हैं। अदालत ने कहा था कि वे ‘अवैध’ हैं और दिल्ली स्कूल शिक्षा (डीएसई) अधिनियम एवं नियमों के तहत शिक्षा निदेशालय को दी शक्तियों से परे है।