आगरा के अस्पताल में 22 मरीजों की मौत का मामला:CM योगी ने 2 दिन में कलेक्टर से मांगी थी रिपोर्ट, 4 दिन बीत गए; रिपोर्ट देने वाला छुट्टी पर, DM का नंबर भी बंद
आगरा के पारस अस्पताल में ऑक्सीजन के मॉक ड्रिल के दौरान 22 मरीजों की हुई मौत के मामले में प्रशासन अब तक रिपोर्ट नहीं सौंप पाई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की 2 दिन में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था, लेकिन 4 दिन के बाद भी रिपोर्ट नहीं आ सकी है।
जांच कमेटी के सदस्य ACMO अचानक छुट्टी पर चले गए हैं। DM अपना CUJ नंबर कार्यालय के ऑपरेटर के नंबर पर फॉरवर्ड कर मौन हैं। वहीं, घटना सामने आए 6 दिन बीत चुके हैं।
4 दिन बीतने के बाद भी नहीं दर्ज हुए बयान
पूरे प्रकरण की जांच 8 जून को शुरू हुई और चार दिन 11 जून को पूरे होने पर भी रिपोर्ट नहीं दी गई। जबकि मुख्यमंत्री ने दो दिन में रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। हालात यह है कि जांच टीम ने अभी तक किसी भी पीड़ित के बयान दर्ज नहीं किए हैं। न ही अस्पताल के 96 मरीजों का रिकॉर्ड दिया गया है।
ADM सिटी प्रभाकांत अवस्थी ने बीती रात करीब 11 बजे सात पीड़ितों और तीन संगठनों के शिकायत दिए जाने की बात कही। मगर अब तक जांच रिपोर्ट नहीं दी गई है। वहीं, अस्पताल के अभी तक सीसीटीवी भी चेक नहीं किए गए हैं।
जांच अधिकारी गए तीन दिन छुट्टी पर
जांच प्रक्रिया का आलम यह है कि ACMO डॉ. वीरेंद्र भारती निजी कारण बताकर तीन दिन की छुट्टी पर चले गए हैं। उनका कहना है कि छुट्टी से लौटकर वह जांच पूरी करेंगे। यह जानकारी CMO डॉ. आरसी पांडे ने दी है।
5 मिनट में 22 लोगों की जिंदगी छीन ली थी
दरअसल, 7 जून को पारस अस्पताल के संचालक डॉ. अरिंजय जैन द्वारा मौत का मॉक ड्रिल की बात स्वीकार करने का वीडियो सामने आया था। इसमें अरिंजय खुद कबूल कर रहा था कि उसने 5 मिनट के लिए ऑक्सीजन बंद की थी, जिसमें 22 मरीजों की मौत हो गई थी।
मामला सुर्खियों में आने के बाद आगरा जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह अस्पताल संचालक को बचाने के लिए जी जान से जुट गए। उसी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 26 अप्रैल की रात अस्पताल में महज 3 मौतें हुई थीं। और उन्होंने ऑक्सीजन की कमी से कोई भी जान न जाने की बात कही थी। लेकिन उसके बाद से अब तक 26-27 अप्रैल की रात पारस अस्पताल में जान गंवाने वाले 11 मृतकों के परिजन सामने आ चुके हैं।
वहीं, मामला तूल पकड़ने पर 8 जून को यूपी के मुख्यमंत्री के आदेश पर एडीएम सिटी प्रभाकांत अवस्थी और एसीएमओ डॉ वीरेंद्र भारती व डॉ संजीव बर्मन की एक जांच कमेटी गठित कर जांच शुरू की गई। उसी दिन कुछ ही घंटों में जिलाधिकारी ने डॉक्टर को 22 मौतों का आरोपी होने के मामले में क्लीनचिट दे दी। ऑक्सीजन खत्म होने की बात को भ्रामक बताते हुए महामारी एक्ट का दोषी बताकर मुकदमा दर्ज करवाकर अस्पताल को सील कर दिया।
जांच कमेटी करती रही शिकायत का इंतजार
मौत की मॉक ड्रिल मामले में 11 मृतकों के परिवार सामने आ चुके हैं। एक मृतका राधिका अग्रवाल की वॉट्सऐप चैटिंग सामने आने के बाद भी बीती शुक्रवार यानी 11 जून तक जांच कमेटी शिकायत का इंतजार कर रही थी।
वीडियो बनाने वाला गायब, पुलिस ने साधी चुप्पी
सूत्रों के अनुसार, मौत की मॉक ड्रिल के कबूलनामे का वीडियो बनाने वाला ऑक्सीजन सप्लाई करने वाला वेंडर था। मामले के तूल पकड़ते ही वेंडर गायब हो गया। पुलिस का कहना है कि वीडियो व उसे बनाने वाले वेंडर की जांच के बाद ही कोई ठोस जानकारी सामने आ सकती है। हालांकि, अभी तक अस्पताल के सीसीटीवी न खंगालने के मामले में पुलिस चुप्पी साधे है।