राहुल गांधी के श्वेत पत्र का पोस्टमार्टम:केंद्र पर लगाए 7 बड़े आरोप; अहंकार और अपनी छवि चमकाने में लगे रहे, वैज्ञानिकों की सलाह को अनदेखा किया
- कांग्रेस ने 150 पेज और 9 चैप्टर का श्वेत पत्र जारी किया
- राहुल बोले- सरकार ने पहली और दूसरी लहर के दौरान कई गलतियां कीं
- वैक्सीन, आर्थिक मदद और तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों पर जोर दिया
कोविड-19 महामारी पर कांग्रेस ने एक श्वेत पत्र बनाया है। मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे जारी किया। इस डॉक्यूमेंट में कांग्रेस ने कोरोना से निपटने में मोदी सरकार पर मिसमैनेजमेंट के आरोप लगाए हैं। साथ ही इससे निपटने के तरीके भी बताए हैं। श्वेत पत्र एक ऐसा डॉक्यूमेंट होता है, जिसे आमतौर पर सरकार किसी जनहित के जटिल मुद्दे को विस्तार से समझाने के लिए जारी करती है।
लेकिन कांग्रेस के 150 पेज और 9 चैप्टर के श्वेत पत्र में राहुल ने आरोप लगाया कि ‘कोरोना की पहली लहर के दौरान महामारी विशेषज्ञों की चेतावनियों को न मान कर सरकार ने लोगों से ताली-थाली बजवाई। वैक्सीन मैत्री स्कीम का इस्तेमाल मोदी की निजी छवि चमकाने के लिए किया गया।’
कांग्रेस के श्वेत पत्र में मोदी सरकार पर कोरोना मिसमैनेजमेंट के क्या आरोप लगाए गए और क्या सुझाव दिए गए। पढ़िए, इस श्वेत पत्र की सभी बड़ी बातें…
1. शुरुआती दिनों की निष्क्रियता
सरकार ने जनवरी 2020 में एक्सपर्ट और विपक्षी नेताओं की चेतावनी को नजरअंदाज किया। कोरोना से प्रभावित अन्य देशों से कोई सीख नहीं ली। वायरस को फैलने से रोकने की कोई तैयारी नहीं की। शुरुआती दो महीने की निष्क्रियता हम सब पर भारी पड़ी।
कांग्रेस के सुझावः-
- सरकार को शुरुआत में कोरोना से प्रभावित देशों से सीख लेते हुए 3T पर फोकस करना चाहिए था- टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटिंग।
- जनवरी 2020 से ही सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की जांच कर उन्हें क्वारंटीन किया जाना चाहिए था।
2. पहली लहर के दौरान सरकार की प्रतिक्रिया
जनता कर्फ्यू, थाली बजाओ, दिया जलाओ जैसे कदमों ने जनता के बीच कोविड-19 के खतरों की सही तस्वीर पेश नहीं की। पीएम मोदी ने 4 घंटे के नोटिस पर देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया। इससे करीब 4 करोड़ प्रवासी मजदूर प्रभावित हुए और लाखों गरीब परिवारों की आजीविका छिन गई। लॉकडाउन के दौरान सरकार ने अस्पताल और जांच की क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया।
कांग्रेस के सुझावः-
- महामारी विशेषज्ञ, वायरोलॉजिस्ट और अन्य वैज्ञानिकों की चेतावनी पर काम करना चाहिए था।
- अन्य देशों से सीख लेते हुए हॉस्पिटल बेड और मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता बढ़ानी चाहिए थी।
- लोगों को साफ और स्पष्ट तरीके से कोरोना के खतरों के बारे में आगाह करना चाहिए था।
3. सरकार का अहंकार और राजनीतिक फायदे की सोच
मोदी सरकार ने 2021 की शुरुआत में ही कोरोना पर जीत की घोषणा कर दी। वैक्सीन मैत्री स्कीम का इस्तेमाल पीएम मोदी की इमेज बनाने के लिए किया गया। जब बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा नहीं होने चाहिए थे उस वक्त सत्ताधारी पार्टी ने राजनीतिक लोभ दिखाते हुए बड़ी-बड़ी इलेक्शन रैलियां की।
कांग्रेस के सुझावः-
- कोरोना पर विजय पर जल्दी घोषणा से बचना चाहिए था। इससे जनता बेफिक्र हो गई।
- बड़ी चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगाने चाहिए थे और उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव टालने चाहिए थे।
4. विज्ञान और संकेतों की अनदेखी
मोदी सरकार ने रिसर्च की संस्था ICMR को महामारी से निपटने के लिए नोडल एजेंसी बनाया न कि नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी को। सरकार ने वैज्ञानिकों की चेतावनी और सुझावों पर ध्यान नहीं दिया। कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के अलर्ट पर भी कोई एक्शन नहीं लिया जिससे ये भयावह साबित हुआ। कोरोना के केस और मौत की अंडर-रिपोर्टिंग को भी ठीक करने की कोशिश नहीं की।
कांग्रेस के सुझावः-
- उचित और अनुभवी संगठनों को चुनाव करना चाहिए था, जिससे महामारी की रोकथाम हो सके।
- इंस्टीट्यूशनल इंस्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना चाहिए था।
- वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर समय-समय पर प्रोटोकॉल और ट्रीटमेंट को अपडेट करना चाहिए था।
- नए स्ट्रेन पर विशेषज्ञों के सुझाव पर ध्यान देकर दूसरी लहर पर प्रभाव कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
5. दूसरी लहर की तैयारी में लापरवाही
पहली लहर के बाद तमाम एक्सपर्ट्स ने दूसरी लहर की चेतावनी दी थी। लेकिन सरकार ने कोई तैयारी नहीं की। सरकार की नाकामी पर मीडिया और सोशल मीडिया की आवाजों को चुप कराने की कोशिश की। राज्य सरकारों को भी पर्याप्त मदद मुहैया नहीं कराई।
कांग्रेस के सुझावः-
- हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर, खासकर जिला अस्पतालों को मजबूत करना चाहिए था।
- जरूरी मेडिकल सप्लाई, पर्याप्त उपकरण और ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था करनी चाहिए थी।
- कोविड-19 की वजह से जिनकी मौत हुई, उनके परिजन को 4 लाख की आर्थिक मदद मुहैया करानी चाहिए थी।
- कोविड-19 से जुड़ी मौतों और अन्य डेटा के मामले में पारदर्शिता लानी चाहिए थी।
6. वैक्सीनेशन का मिस-मैनेजमेंट
देश में जैसे-जैसे दूसरी लहर ने रफ्तार पकड़ी, वैक्सीन की कमी की खबरें आने लगी थीं। ये मोदी सरकार के वैक्सीन कुप्रबंधन का नतीजा था। ये जानते हुए कि भारत में कितनी बड़ी मात्रा में वैक्सीन की जरूरत है, सरकार का रवैया अदूरदर्शी, अवैज्ञानिक और गैर-जिम्मेदाराना था। सरकार ने समय से वैक्सीन की पर्याप्त खरीद नहीं की। इस वजह से अप्रैल 2021 से ही इसकी कमी हो गई। सरकार ने बिना किसी रोडमैप के दिसंबर 2021 तक सभी वयस्कों को वैक्सीन लगाने की घोषणा कर दी है।
कांग्रेस के सुझावः-
- जब भारत में पहली लहर आई थी उसी वक्त दुनिया भर में वैक्सीन के ऑर्डर दे देने चाहिए थे।
- प्रोडक्शन क्षमता को बढ़ाए जाने के लिए सरकारी और प्राइवेट सेक्टर को ग्रांट मुहैया कराई जानी चाहिए थी।
- निर्यात करने से पहले अपने देश की जनता के लिए वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए थी।
- भारत को पूरी तरह से वैक्सीनेट करने के लिए रोडमैप और स्ट्रैटजी का खुलासा करना चाहिए था।
7. पॉलिसी के स्तर पर कमी का असर
ये पॉलिसी फेल्योर का नतीजा ही था कि भारत को 17 साल पुरानी परंपरा तोड़नी पड़ी, जिसमें घरेलू मुसीबत में किसी बाहरी की मदद नहीं लेने का प्रावधान था। इसके अलावा मेडिकल ऑक्सीजन की कमी, जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी भी जमकर हुई।
कांग्रेस के सुझावः-
- ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को बढ़ाया जाना चाहिए था।
- अस्पतालों और डॉक्टरों की संख्या बढ़ानी चाहिए थी, जिससे सभी मरीजों पर ध्यान दिया जा सके।
8. भविष्य के लिए सरकार को कांग्रेस के सुझाव
- ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी भारतीयों को जल्द से जल्द मुफ्त वैक्सीन लगाई जाए। सरकार इसके लिए रोडमैप और हर हफ्ते की प्रोग्रेस रिपोर्ट जारी करे।
- वैक्सीन मैन्युफैक्चरर, रॉ मैटीरियल सप्लायर्स और विदेशी सरकारों के साथ सामंजस्य कर भारत में वैक्सीन की लगातार सप्लाई सुनिश्चित करनी चाहिए।
- वैक्सीन और कोरोना से जुड़े डेटा को पारदर्शी तरीके से जनता के सामने रखना चाहिए।
- सभी राजनीतिक दलों, सिविल सोसाइटी और राज्य सरकारों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए।
- तीसरी और आने वाली लहरों के लिए एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर तैयारी करनी चाहिए।
- कोविड-19 की वजह से जिनकी मौत हुई, उनके परिजनों को डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए।
- गरीबों और वंचितों को राहत देने के लिए न्यूनतम आय और मुफ्त राशन देना चाहिए। पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज टैक्स घटाना चाहिए, एमएसएमई सेक्टर को सब्सिडी देनी चाहिए और मनरेगा का बजट बढ़ाना चाहिए।
राहुल गांधी ने श्वेत पत्र जारी करते हुए पत्रकारों से कहा, ‘इस श्वेत पत्र का लक्ष्य सरकार पर उंगली उठाना नहीं है। हम सरकार की गलतियों का उल्लेख इसलिए कर रहे हैं, ताकि आने वाले समय में इसे ठीक किया जा सके।’
इस पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों से ही कोरोना की दूसरी लहर शुरू हुई, सबसे बुरा प्रभाव भी वहीं पर हुआ। पात्रा ने कहा कि एक दिन में 80 लाख से ज्यादा वैक्सीन की डोज लगाई गई हैं, ऐसे में हमें पता था कि कुछ अच्छा होगा तो राहुल गांधी अड़ंगा लगाएंगे।